स्वैच्छिक पुनर्वास परियोजना का ग्रामीणों ने किया विरोध
स्वैच्छिक पुनर्वास परियोजना का ग्रामीणों ने किया विरोध
लातेहार ़ जिले के मनिका प्रखंड के पटना गांव की वनभूमि में प्रस्तावित स्वैच्छिक पुनर्वास परियोजना का ग्रामीणों ने जोरदार विरोध किया है. रविवार को धुमकुड़िया भवन में ग्राम प्रधान लिलेश्वर सिंह की अध्यक्षता में ग्रामसभा हुई, जिसमें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की योजना के खिलाफ लोगों ने एकजुटता दिखायी. ग्रामसभा में बताया गया कि पलामू व्याघ्र परियोजना 2020 से चोरी-छिपे इस योजना पर काम कर रही है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है. सामाजिक कार्यकर्ता जेम्स हेरेंज ने जानकारी दी कि इसी साल 11 जनवरी को बरवाडीह प्रखंड के नवरनागू गांव के 23 रैयतों ने पटना वनभूमि क्षेत्र का निरीक्षण कर पुनर्वास के लिए जमीन चुनी थी. इसमें ग्राम प्रधान का नाम भी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है. योजना के तहत प्रथम चरण में नवरनागू गांव के 19 परिवारों को पटना गांव की 97.27 एकड़ वनभूमि पर बसाने का प्रस्ताव है. जबकि दूसरे चरण में पटना व बरवैया कला की 98.21 एकड़ भूमि का उपयोग होना है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इस पूरी प्रक्रिया में लातेहार वन विभाग की कोई भूमिका नहीं दिख रही है. इसके खिलाफ लोगों ने वन विभाग मुर्दाबाद के नारे लगाये और किसी भी कीमत पर परियोजना को लागू नहीं होने देने का संकल्प लिया. जेम्स हेरेंज ने कहा कि ग्रामसभा पटना ने 2020 में ही अपने संपूर्ण वनभूमि का सामुदायिक दावा अनुमंडल कार्यालय को सौंप दिया था, जिसकी समीक्षा जून 2024 में की गयी है. वनाधिकार कानून की धारा 4(5) के अनुसार दावा निपटारे तक किसी को भी वनभूमि से बेदखल नहीं किया जा सकता. इसके बावजूद पीटीआर प्रबंधन कानून का उल्लंघन कर रहा है. सभा में लक्ष्मण सिंह, मंजू देवी, रामेश्वर सिंह, भूखन सिंह, श्यामा सिंह, सोमवती देवी, जुगेश्वर सिंह, औरंगा बांध विरोधी संघर्ष समिति के जितेन्द्र सिंह, राजकुमार, महावीर परहिया समेत काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.
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