दूसरे जुम्मे की नमाज अदा करने मस्जिदों में उमड़े लोग

रमजान उल मुबारक के दूसरे जुम्मा की नमाज अदा करने मस्जिद में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. उलेमाओं ने लोगों से रमजान उल मुबारक के मौके पर दूसरों के जज्बात का ख्याल रखने की बात कही.

By PRAVEEN | March 16, 2025 9:31 PM

कोडरमा. रमजान उल मुबारक के दूसरे जुम्मा की नमाज अदा करने मस्जिद में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. उलेमाओं ने लोगों से रमजान उल मुबारक के मौके पर दूसरों के जज्बात का ख्याल रखने की बात कही. जुम्मा की नमाज को लेकर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उल्लास का माहौल देखा गया. रमजान का 15 रोजा मुकम्मल हो चुका है. रोजा के दौरान लोग अपना पूरा समय इबादत में लगा रहे हैं. इस दौरान लोगों ने कुरान की तिलावत के अलावा नमाज, तस्बीहात व अन्य इबादतों में अपना पूरा समय लगा रखा है. जामा मस्जिद मस्जिद-ए-हेरा असनाबाद के इमाम सरफराज अहमद ने जुम्मे की नमाज के पहले लोगों को खिताब करते हुए रमजान में अधिक से अधिक इबादत करने की बात कही. जामा मस्जिद के बाहर होली त्योहार को लेकर शांति व्यवस्था के लिए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद नजर आयी. थाना प्रभारी पुलिस जवानों व पदाधिकारी के साथ तैनात थे.

रमजान रहमतों और सब्र का महीना है : मुफ्ती नसीम

दुनिया भर में ईमान वाले रमजान का बेसब्री से इंतजार करते हैं. खुदा की तरफ से बंदों के लिए रमजान का महीना बख्शीश का तोहफा है. इस मुबारक महीने में अल्लाह गुनाहगार बंदों को पूरा मौका देता है कि वह तौबा करके नेकी के रास्ते पर चले और अल्लाह के करीब तर बंदों में उसका शुमार हो जाये. उक्त बातें मस्जिद-ए-अक्सा में मुफ्ती नसीम साहब ने जुम्मा में अपनी तकरीर में कही. उन्होंने कहा कि रोजे में झूठ, गीबत, धोखा, फरेब और लड़ाई-झगड़ा सबसे पूरी तरह परहेज करने का एहतेमाम करना चाहिए. अगर रोजा रखकर भी इंसान हराम खाना खाए तो फिर उसका रोजा अल्लाह के बारगाह में कबूल नहीं होता है, इसलिए हमें हर बुरी बातों से बचना है, रुकना है और तकबे की दौलत रोजे के जरिये से जिंदगी में पैदा करना है. तकबा यानि परहेजगारी दिल की उस कैफियत को कहते हैं कि इंसान तन्हाई में भी गुनाह और बुराई से बचने वाला इंसान बन जाये. रमजान रहमतों और सब्र का महीना है, इसमें ईमान वालों की रोजी बढ़ा दी जाती है.

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