वीर बुधु भगत ने अंग्रेजों के खिलाफ कोल विद्रोह का किया नेतृत्व : डॉ तेतरु
अमर शहीद वीर बुधु भगत की जयंती मनायी गयी
गुमला. शहर से सटे खोरा पंचायत के बम्हनी बाइपास वीर बुधु भगत चौक पर सोमवार को अमर शहीद वीर बुधु भगत की जयंती मनायी गयी. मौके पर धूमा टाना भगत व पाहन हरि उरांव द्वारा बुधु भगत की तस्वीर के समक्ष दीप जला कर कार्यक्रम की शुरुआत की. केओ कॉलेज गुमला के सहायक प्राध्यापक डॉक्टर तेतरु उरांव ने कहा कि वीर बुधु भगत का जन्म 17 फरवरी 1792 को सिलागाई गांव में हुआ था, जो रांची जिले के चान्हो ब्लॉक में हैं. एक किसान परिवार से थे. वीर बुधु भगत ने अंग्रेजों के खिलाफ कोल विद्रोह का नेतृत्व किया था, जिनका क्षेत्र छोटानागपुर के रांची, हजारीबाग, पलामू व मानभूम तक फैला हुआ था. 1832 में बुधु भगत ने छोटानागपुर के आदिवासियों के साथ अंग्रेजों व जमींदारों के दमनकारी शासन के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया. इस विद्रोह को लरका विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है. अंग्रेजों ने बुधु भगत को पकड़ने के लिए एक हजार रुपये इनाम की घोषणा की थी. 13 फरवरी 1832 को ब्रिटिश सेना सिलागई गांव पहुंची और बुधु भगत के अनुयायियों के प्रतिरोध का सामना किया. उन्होंने धनुष, बाण, कुल्हाड़ियों व तलवारों के साथ अंग्रेजी सेना पर आक्रमण किया. लड़ाई में बुधु भगत के पुत्र हलधर भगत व गिरिधर भगत भी मारे गये. बताते हैं कि उन्होंने कसम खा रखी थी कि कभी भी अंग्रेजों के हाथ में नहीं आयेंगे. इस कारण उन्हें जब बचने का कोई उपाय नहीं सूझा, तब उन्होंने अपने तलवार से अपने गर्दन को धड़ से अलग कर दिया और उनका गर्दन आंगन में जा गिरा. इससे यही पता चलता है कि वीर बुधु भगत अंग्रेजों के नाक में किरकिरी बने हुए थे. आज उसका परिणाम है कि हमारे पास जल, जंगल व जमीन है. उन्हीं की देन से आदिवासियों की जमीन रक्षा के लिए सीएनटी व एसपीटी एक्ट बना. मौके पर सुरेंद्र टाना भगत, बुधु टोप्पो, हंदू भगत, गंगा उरांव, महेश उरांव, झिरका उरांव, महेंद्र उरांव, कुयूं उरांव, लक्ष्मण उरांव, चीलगू उरांव, विनोद भगत, अंकित तिर्की, आरती कुमारी, उर्मिला कुमारी, प्रियंका कुमारी, नम्रता कुमारी, लेंगा उरांव, गोंदल सिंह, विमला कुमारी मौजूद थे.
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