शिव के त्रिशूल को कोहबर से निकालकर गर्भगृह में लाया गया
फाल्गुन पूर्णिमा पर 80 हजार श्रद्धालुओं ने की पूजा, जमकर खेली होली
बासुकिनाथ. फाल्गुन पूर्णिमा पर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी थी. सुबह से ही जलार्पण का जो सिलसिला शुरू हुआ. वह शाम तक चलते रहा. मंदिर प्रबंधन के अनुसार 80 हजार शिवभक्तों ने भोलेनाथ पर जलार्पण किया. भक्तों ने बाबा फौजदारीनाथ की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की. दिन के तीन बजे तक उसके बाद सात बजे संध्या से मंदिर प्रांगण में शंख, ध्वनि घंटा की आवाज से मंदिर परिसर गुंजायमान रहा. साढ़े तीन बजे भोर से मंदिर प्रांगण में भक्तों का तांता लगा रहा. श्रद्धालुओं ने शिवगंगा में आस्था की डुबकी लगाकर बाबा फौजदारीनाथ की पूजा की. पूर्णिमा को स्नान करने का विशेष धार्मिक महत्व है. परंपरा के मुताबिक फाल्गुन पूर्णिमा पर कोहबर घर से निकलकर भगवान शिव व माता पार्वती अपने-अपने मंदिर के लिए प्रस्थान कर गये. फाल्गुन पूर्णिमा के मौके पर पुजारी के द्वारा परंपरागत तरीके से भगवान शिव के प्रतीकात्मक त्रिशूल को कोहबर से निकालकर पुनः गर्भगृह के अंदर ले गये. बाबा मंदिर के गर्भगृह में अधिवास पूजन से बिछाया गया पलंग भी हटा दिया गया. बाबा एवं पार्वती मंदिर के गुंबद पर शिवरात्रि के अवसर पर भक्तों के द्वारा चढ़ाये गये गठबंधन व ध्वजा को उतारकर नये ध्वजा एवं गठबंधन को चढ़ाया गया.
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