अब्दुल हमीद शहादत दिवस: जब बेटे से मिलने के लिए शहीद की पत्नी रसूलन बीबी को देने पड़े थे 10 रुपए नजराना

Abdul Hamid Shahadat Diwas: परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का आज (10 सितंबर) शहादत दिवस है. 1965 के भारत-पाक युद्ध में वे दुश्मनों के दांत खट्टा करते हुए शहीद हो गए थे. झारखंड के बोकारो से इनके परिवार का कनेक्शन रहा है. 1999 की बात है. वीर शहीद के छोटे बेटे तलत महमूद हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में जेल (तेनुघाट उपकारा) में बंद थे. तब शहीद की पत्नी रसूलन बीबी इनसे मिलने जेल आयी थीं. इन्हें तब तक बेटे से नहीं मिलने दिया गया था, जब तक उन्होंने नजराने के रूप में 10 रुपए नहीं दिए थे.

By Guru Swarup Mishra | September 10, 2025 6:06 AM

Abdul Hamid Shahadat Diwas: बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा-1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का आज 10 सितंबर को 60वां शहादत दिवस है. इनके परिवार का झारखंड के बोकारो से कनेक्शन रहा है. वीर शहीद के छोटे बेटे तलत महमूद 2018 में बेरमो के सीसीएल में सिक्योरिटी गार्ड से सेवानिवृत हुए. 1999 का एक वाकया है, जब तलत महमूद पर साथी सुरक्षा गार्ड की हत्या के षडयंत्र में शामिल होने का आरोप लगा था और वह जेल में थे. इस दौरान वीर शहीद अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी अपने बेटे से मुलाकात करने तेनुघाट उपकारा आयी थीं. चिलचिलाती धूप में खड़ी रसूलन बीबी को तब तक बेटे से नहीं मिलने दिया गया था, जब तक वह नजराने के रूप में 10 रुपए देने को तैयार नहीं हुई थीं. इस अपमान से आहत सामाजिक संगठन शोषित मुक्ति वाहिनी के संरक्षक सुबोध सिंह पवार ने शहीद की पत्नी रसूलन बीबी को बेरमो लाकर सम्मानित किया था.

शहादत दिवस पर रक्तदान शिविर आज


सामाजिक संगठन शोषित मुक्ति वाहिनी के द्वारा वीर शहीद अब्दुल हमीद के शहादत दिवस पर 10 सितंबर को संस्था के संडे बाजार स्थित प्रधान कार्यालय में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है. इसके अलावा जरीडीह मोड़ स्थित अब्दुल हमीद चौक के समक्ष श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है. संस्था के प्रमुख सलाहकार सुबोध सिंह पवार ने जानकारी दी कि रक्तदान शिविर में आम लोगों से अपील की गयी है कि वे अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर रक्तदान करें और आपसी एकता और सौहार्द की मिसाल पेश करें.

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शहीद के गांव की मिट्टी को लोहिया ने किया था नमन


परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का जन्म उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में 1 जुलाई 1933 को हुआ था. पिता उस्मान और मां सकीना के दो बेटों में वे सबसे बड़े थे. समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया वीर अब्दुल हमीद की धर्मपत्नी रसूलन बीबी से मिलने उनके गांव धामूपुर गांव पहुंचे थे और उस मिट्टी को नमन किया था. ग्रामीणों के लगातार दबाव के बाद 5 मार्च 1999 को इस गांव का नाम हमीद धाम किए जाने की औपचारिकता पूरी की गयी थी. वीर अब्दुल हमीद के चार बेटे हैं. बड़े बेटे जैनुल हसन, मंझले अली हसन, संझले जैनुद आलम एवं सबसे छोटे बेटे का नाम तहत महमूद है. उनकी बेटी का नाम नाजबून निंशा है.

अब्दुल हमीद को मरणोपरांत मिला था परमवीर चक्र


1954 से 1965 तक इन्फैंट्री इंडिया आर्मी के फोर्थ बटालियन में हवलदार पद पर अब्दुल हमीद सेवारत रहे. वर्ष 1966 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र के सम्मान से नवाजते हुए उनकी पत्नी रसूलन बीबी को यह पुरस्कार दिया था. वर्ष 1988 में फिल्म निर्देशक चेतन आनंद ने परमवीर चक्र सीरियल बनाया था. इसमें अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने अब्दुल हमीद की भूमिका अदा की थी.

भारत-पाक युद्ध में दुश्मनों के दांत कर दिए थे खट्टे


देश की सरहद पर तैनात अब्दुल हमीद ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान अपनी वीरता से दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे. दुश्मन देश की फौज ने अभेद्य पैटर्न टैंकों के साथ 10 सितंबर को पंजाब प्रांत के खेमकरण सेक्टर में हमला बोल दिया था. भारतीय थलसेना की चौथी बटालियन की ग्रेनेडियर यूनिट में तैनात कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद अपनी जीप में सवार होकर दुश्मन फौज को रोकने के लिए आगे बढ़े थे. इस दौरान उन्होंने टैंकों के परखच्चे उड़ाते हुए देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी.

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