Sasaram News : मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार को समर्पित है रोहतास का बुढ़ा-बूढ़ी मंदिर
Sasaram News : बुढ़ा-बुढ़ी मंदिर को रामायण काल से जोड़ते हैं ग्रामीण, मंदिर का चाहते हैं विकास
अनुराग शरण, सासाराम/बंजारी रोहतास जिला पौराणिक काल के धरोहरों से भरा पड़ा है. महान सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के बेटे रोहिताश्व का इतिहास इस स्थल से जुड़ा है. पुराणों में कारूष प्रदेश जिक्र है, जो रोहतास की सोन नदी से गंगा के दोआब के बीच को दर्शाता है. नौहट्टा में दशशीशानाथ महादेव को रामायण काल का माना जाता है. वहीं, महाराजा सहस्त्रबाहु और महर्षि विश्वामित्र को इस धरती से जोड़ कर बातें होती हैं. इसी ऐतिहासिक भूमि पर रोहतास प्रखंड की बंजारी पंचायत में कैमूर पहाड़ी के शीर्ष पर एक प्राचीन मंदिर स्थापित है, जिसे आमजन बुढ़ा-बुढ़ी मंदिर के नाम से जानते हैं. हालांकि, इतिहास या पुराणों में इस मंदिर का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता है, पर स्थानीय लोगों की श्रद्धा इस मंदिर की प्राचीनता को दर्शाता है. स्थानीय ग्रामीण इस मंदिर को रामायण काल का मानते हैं. गांव के पुरोहित 79 वर्षीय पंडित नागेश्वर तिवारी बताते हैं कि इस मंदिर को रामायण काल में बनाया गया था. ऐसा हमारे बुजुर्ग कहते रहे हैं. उनका मानना था कि रामायण काल में अयोध्या के राजा दशरथ इसी पहाड़ी में शिकार के खोज में विचरण कर रहे थे. उस समय श्रवण कुमार अपने बूढ़े माता-पिता को तीर्थ यात्रा पर को लेकर जा रहे थे. माता-पिता के प्यास लगने पर उनके लिए पानी की खोज में श्रवण कुमार पानी की खोज में चकदह नदी की ओर बढ़ गये. चकदह नदी में पानी का पात्र डुबोने की आवाज के भ्रम में राजा दशरथ ने शब्द भेदी बाण चला दी थी, जो श्रवण कुमार को लगी थी. और उनकी मृत्यु हुई थी. पुत्र के वियोग में श्रवण के माता-पिता ने भी देह त्याग दिया था. इसी चकहद नदी से कुछ दूरी पर बुढ़ा-बुढ़ी मंदिर विद्यमान है, जिसे श्रवण के माता-पिता का मंदिर माना जाता है. मंदिर तक पहुंचने लगे हैं श्रद्धालु : बंजारी गांव निवासी शंभू पासवान ने बताया कि इस मंदिर की देखरेख ग्रामीण करते हैं. मंदिर की सफाई व रंग रोगन का कार्य लगातार हो रहा है. वर्तमान में इस मंदिर में बाहरी श्रद्धालुओं का आना-जाना बढ़ा है. यहां का वातावरण भी पौराणिक है. जंगल व पहाड़ के मनोरम दृश्य श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचने के लिए काफी हैं. श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से सोशल मीडिया पर मंदिर का प्रचार होने लगा है. अब जरूरत है कि सरकार की नजर इस मंदिर पर पड़े. सरकार अधिकारी, प्रतिनिधि ध्यान दें, तो यहां पर्यटन का एक बेहतरीन अवसर पैदा हो सकता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
