saran news : मूसलाधार बारिश से डूबीं शहर की सड़कें

saran news : 300 करोड़ के सालाना बजट वाले नगर निगम के दावे फ्लॉप, बेबस दिखे शहरवासीशहर में हर तरफ पानी ही पानी, लोगों ने कहा-ये कैसा विकास का मॉडलबारिश ने पूजा पंडालों के निर्माण को भी किया प्रभावित, पूजा समितियों में निराशा

By SHAILESH KUMAR | September 19, 2025 8:01 PM

छपरा. शुक्रवार को हुई बारिश के बाद शहर के अधिकांश मुहल्ले जलमग्न हो चुके हैं. लगभग सभी बाजार व पब्लिक प्लेस की स्थित भी बदतर है.

नगर निगम की लापरवाही के कारण कई मुहल्ले बारिश के पानी से पूरी तरह भर चुके हैं. मूसलाधार बारिश के कारण शहरी क्षेत्र के पूर्वी से लेकर पश्चिमी छोर तक के दर्जनों मुहल्लों की स्थिति बदहाल है. गुदरी, सरकारी बाजार, मौना चौक, साहेबगंज रोड, कटहरी बाग, मोहन नगर, भगवान बाजार थाना रोड समेत कई प्रमुख मुहल्लों में जलजमाव के कारण आवागमन भी बाधित हो रहा है. भगवान बाजार स्थित थाना रोड में तो घुटने भर पानी जमा होने से पैदल चलना मुश्किल हो गया है. वहीं, इस रोड में सिर्फ बड़े वाहनों का ही परिचालन हो रहा है. मुहल्ले के लोगों का कहना है कि आसपास के नालों को विगत एक वर्ष से साफ नहीं किया गया है, जिस कारण बारिश के समय यहां स्थिति नारकीय हो जाती है. वहीं, शहर के मोहन नगर तथा कटहरी बाग के लाला टोली इलाकों में भी संकरी गलियों व सड़कों पर जलजमाव के कारण लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है. जलजमाव के कारण जरूरी सामान की खरीदारी के लिए लोग बाहर नहीं आ पा रहे हैं. विदित हो कि तीन-चार दिन पहले भी काफी तेज बारिश हुई थी. उस समय से ही जलजमाव की स्थिति बनी हुई है. वहीं, शुक्रवार को दिन में करीब दो घंटे तक हुई बारिश ने स्थिति और नारकीय बना दी है. उधर जितने भी पूजा पंडाल बन रहे हैं, उसका निर्माण कार्य भी प्रभावित हुआ है. प्रतिमा निर्माण कर रहे कारीगरों ने कहा कि यदि इसी तरह बारिश जारी रही, तो समय पर प्रतिमा बन पाने में भी परेशानी आयेगी.

नालों की उड़ाही नहीं होने से परेशानी

शहरी क्षेत्र के अधिकतर नालों की उड़ाही नहीं हो रही है. खनुआ नाले के मेंटेनेंस का कार्य काफी धीमा है. वहीं, कई इलाकों में यह महत्वपूर्ण नाला जाम होने से जलजमाव की स्थिति बनी हुई है. शहर से बाहर जलनिकासी के सभी रास्ते फिलहाल बंद हैं या अतिक्रमण के शिकार हैं. ऐसे में शहरवासियों के सामने बरसात तथा सामान्य दिनों में भी जलजमाव की समस्या बनी रहती है. बरसात के पहले नालों की उड़ाही की बात भी कही जाती है. हालांकि, शहर में बरसात आते ही सडकों पर चलना दूभर हो जाता है. शहर में नयी सड़कें हों या पुरानी, सभी जलजमाव और कीचड़ से भरी रहती हैं.

प्रायः सभी वार्डों में बरसात होते ही जमा हो जाता है पानी

नगर निगम के कुल 45 वार्ड हैं. इनमें से 30 से अधिक वार्डों में बरसात या सामान्य दिनों में जलजमाव की समस्या बनी रहती है. नालों की नियमित उड़ाही नहीं होने व इन वार्डों में डंपिंग जोन निर्धारित नहीं होने के कारण चौक-चौराहों पर लोग कचरा फेंकते हैं. शहर के सोनारपट्टी, साहेबगंज, मौना चौक, मौना बाजार, सांढ़ा, दालदली बाजार, सरकारी बाजार, सलेमपुर, योगिनियां कोठी, अस्पताल चौक, मालखाना चौक, भगवान बाजार थाना रोड, गुदरी, कटहरी बाग आदि दर्जनों इलाकों में जलजमाव की समस्या विगत कई वर्षों से बनी हुई है. नगर निगम बनने के बाद लोगों को उम्मीद जगी थी कि युद्धस्तर पर कार्य होगा और वर्षों से व्याप्त इन समस्याओं से छुटकारा मिलेगा. हालांकि अबतक इस दिशा में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया जा सका.

कारोबार भी हो रहा प्रभावित

दो दिन बाद दुर्गापूजा शुरू हो रही है. बाजारों में चहल-पहल बढ़ गयी है. सामान्य दिनों में शहर के सरकारी बाजार, मौना बाजार, साहेबगंज, सोनारपट्टी व गुदरी बाजार में रोजाना तीन हजार से अधिक लोग खरीदारी के लिए आते हैं. इन इलाकों में शहर का लगभग 80 प्रतिशत बाजार मौजूद है. सरकारी बाजार व गुदरी, तो नगर निगम को सर्वाधिक राजस्व देने वाले बाजार हैं. इसके बाद भी शहर के इन बाजारों में फैली गंदगी व जलजमाव को दूर करने के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाता है. बरसात के बाद लोग इन बाजारों में आने से कतराते हैं, जिससे बाजार भी प्रभावित होता है.

चौराहों पर होती है कचरा डंपिंग

शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्ट करने की गति भी धीमी है. कई रिहायशी इलाकों व बाजारों में सड़क पर ही कचरा डंप किया जाता है, जिस कारण बरसात में यह कचरा सड़क पर फैल कर कीचड़ में तब्दील हो जाता है. कीचड़ और जलजमाव के बीच ही लोगों को आना-जाना पड़ता है. नगर क्षेत्र में लगभग 60 ऐसी जगहें हैं, जहां कचरा डंप किया जा रहा है.

गली-मुहल्लों में सबसे अधिक समस्या

शहर के मुख्य मार्गों को ऊंचा किया जा रहा है. वहीं गली-मुहल्लों की सड़कें मुख्य सड़कों के समानांतर नहीं हैं. नाले भी योजनाबद्ध तरीके से नहीं बनाये गये हैं. ऐसे में बरसात का पानी गली-मुहल्लों से निकलकर मुख्य नालों में नहीं आता. सड़कें एक समानांतर नहीं होने के कारण भी गली-मुहल्लों में से जलनिकासी नहीं हो पाती है. शहर का लाइफलाइन कहे जाने वाले खनुआ नाले के जीर्णोद्धार को लेकर कवायद शुरू की गयी है, जिसके बाद अगले एक-दो वर्षों में कुछ बदलाव की उम्मीद जगी है. इधर, छपरा नगर निगम की डिप्टी मेयर रागिनी देवी ने कहा कि डबल डेकर निर्माण के कारण कई जगहों पर जलनिकासी अवरुद्ध है. हालांकि नगर निगम द्वारा नालों की उड़ाही करायी जा रही है. जिन जगहों पर ज्यादा जलजमाव है, वहां पंप से निकासी के इंतजाम किये जा रहे हैं.

एक नजर आंकड़ों पर

– जलजमाव से प्रभावित कुल वार्ड : 30- शहर में बने छोटे-बड़े डंपिंग जोन : 60

– सफाई की निगरानी के लिए जमादार : 15

– नगर के विभिन्न वार्डों के लिए सफाइकर्मी : 250

– एक महीने में साफ-सफाई पर खर्च : 30 लाख से अधिक

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