Saran News : सांस्कृतिक विरासत को बचाये रखने में संस्कृत की महती भूमिका : मृत्युंजय

बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ मृत्युंजय कुमार झा ने संस्कृति एवं संस्कार यात्रा की शुरुआत करते हुए कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और संस्कारों की आत्मा है.

By SHAH ABID HUSSAIN | September 20, 2025 9:24 PM

छपरा. बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ मृत्युंजय कुमार झा ने संस्कृति एवं संस्कार यात्रा की शुरुआत करते हुए कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और संस्कारों की आत्मा है. उन्होंने इस यात्रा को समाज में सांस्कृतिक जागृति और मूल्यपरक शिक्षा के संवाहक के रूप में परिभाषित किया. डॉ. झा ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य विद्यार्थियों एवं युवाओं में संस्कृत भाषा के प्रति अनुराग जगाना, भारतीय संस्कृति की महान परंपराओं को समझाना तथा जीवन में संस्कारों को व्यवहार में उतारना है. उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा और तकनीकी युग में भी यदि संस्कारों का अभाव हो तो व्यक्तित्व अधूरा रह जाता है. उन्होंने विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के शिक्षकों से आग्रह किया कि वे संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन को केवल परीक्षा तक सीमित न रखें, बल्कि उसे जीवन के आदर्शों से जोड़कर प्रस्तुत करें. साथ ही विद्यार्थियों को यह प्रेरणा दें कि संस्कृत हमें सर्वे भवन्तु सुखिनः और वसुधैव कुटुम्बकम् जैसे सार्वभौमिक विचारों से जोड़ती है. संस्कार यात्रा के दौरान विभिन्न जिलों में संगोष्ठी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, संस्कृत संभाषण शिविर एवं मूल्यपरक व्याख्यान आयोजित किए जायेंगे.बोर्ड अध्यक्ष ने यह भी आशा व्यक्त की कि इस पहल से समाज में नैतिकता, पारस्परिक सहयोग और भारतीय जीवन-मूल्यों के प्रति नई चेतना विकसित होगी. इस मौके पर भाजपा नेता शैलेंद्र सेंगर, जिला प्रवक्ता सुशील कुमार सिंह, हरे राम शास्त्री, वैद्यनाथ मिश्रा, दिनेश त्रिपाठी इत्यादि गणमान्य लोग मौजूद रहे.

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