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Purnia news : भौकाल टाइट कर रहे लंबी कद-काठी वाले गनर

एक जमाना था जब सिर्फ वीआइपी को गनर की सुविधा मिलती थी, पर आज पूर्णिया में नव धनाढ्य वर्ग के रसूखदारों का ऐसा तबका है, जिनके लिए निजी सुरक्षा गार्ड रखना स्टेटस सिंबल बन गया है.

Purnia news : एक जमाना था जब सिर्फ वीआइपी को गनर की सुविधा मिलती थी, पर आज पूर्णिया में नव धनाढ्य वर्ग के रसूखदारों का ऐसा तबका है, जिनके लिए निजी सुरक्षा गार्ड रखना स्टेटस सिंबल बन गया है. हालांकि वीआइपी को पुलिस गार्ड मिलते हैं, पर इन नये रसूखदारों ने पंजाब व हरियाणा से निजी सुरक्षा गार्ड हायर कर रखे हैं. अहम तो यह कि एक-दो नहीं, बल्कि पांच-छह गनर के बीच में चलना और अपने रसूख का एहसास कराना इन्हें ज्यादा भाता है. पूर्णिया में ऐसे रसूखदारों की लंबी फेहरिस्त है. इनमें प्रापर्टी डीलरों की संख्या सबसे अधिक है. यह अलग बात है कि पंजाब और हरियाणा से भाड़े पर आये गनर की वैधता भी सवालों के दायरे में है, क्योंकि पुलिस के पास भी इनका कोई परफेक्ट रिकॉर्ड नहीं है.

नब्बे के दशक के बाद फिर बढ़ा गनर रखने का क्रेज

पूर्णिया में रसूखदारों का अलग-अलग तबका है.वीआइपी को छोड़ दें, तो बीच के दौर में उद्योगपति और बड़े व्यवसायी सुरक्षा के नाम पर अपने साथ निजी बंदूकधारी गार्ड लेकर चलते थे. नब्बे के दशक में कई तो ऐसे शौकीन थे कि छह से आठ गनर की टीम लेकर चलते थे और उनके लिए अलग-अलग फोर व्हीलर की व्यवस्था करते थे. वह दौर खत्म हुआ. अब एक बार फिर सुरक्षा के नाम निजी गनर रखने का क्रेज बढ़ गया है. अभी यह क्रेज सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी डीलरों में देखा जा रहा है, जो अपने साथ चार से छह गार्ड लेकर चलते हैं. कोशिश यह होती है कि दबी जुबान ही सही लोग उन्हें दबंग की श्रेणी में रखें, ताकि उनका रसूख बना रहे. दरअसल, गनर रखने के पीछे प्रॉपर्टी डीलरों के दो अलग-अलग मकसद हैं. एक तो यह कि समाज के लोग उन्हें भीड़ से अलग हटकर देखें-जानें और अपने कारोबार में उनका अनजाना खौफ बना रहे. ऐसा इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि निजी सुरक्षा गार्ड का गलत तरीके से इस्तेमाल कर प्रॉपर्टी पर कब्जे के कई मामले प्रशासन के सामने भी आये हैं. विवादित प्रॉपर्टी को हासिल करने में भी इन गनर्स की उपयोगिता बढ़ी है. पिछले तीन सालों के अंदर प्रॉपर्टी डीलरों में इसका प्रचलन बढ़ा है. क्रेज कुछ ऐसा है कि जेल से बेल पर बाहर आये चर्चित अपराधी भी निजी गार्ड के साथ लोगों के बीच घूम रहे हैं. ये अलग बात है कि पूर्व में अवैध हथियार रखने के कारण उन्हें दोबारा जेल की हवा खानी पड़ीथी.

कारोबार में अपराधियों के हस्तक्षेप से बढ़ा क्रेज

सुरक्षा के नाम पर निजी गनर रखनेवाले कई प्रॉपर्टी डीलरों व व्यवसायियों ने बताया कि उनके कारोबार में अपराधी किस्म के लोगों के हस्तक्षेप के कारण गनर रखने की जरूरत महसूस हुई. सक्रिय अपराधी अक्सर उन लोगों से रंगदारी मांगते रहते हैं. ऐसे में जान-माल की सुरक्षा के लिए गार्ड पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ताहै. दरअसल, दो दशक पूर्व शहर के एक बड़े उद्योगपति उस समय कुछ अपराधियों से इतना परेशान थे कि उन्होंने अपनी सुरक्षा में सात हथियारबंद गार्ड रख लियेथे. उस समय यही हाल जाने-माने डॉक्टरों का भी था. रंगदारी से परेशान डॉक्टरों ने अपने क्लिनिक के बाहर गार्ड रखना शुरू किया था और यह व्यवस्था आज भी बनी हुई है. गुलाबबाग के कई व्यवसायी भी निजी गार्ड रखकर कारोबार कर रहे हैं. इनके घर पर तो गार्ड रहते ही हैं, अलग से भी गार्ड लेकर बाहर निकलते हैं.

प्रॉपर्टी डीलरों की दलील

शहर के कई प्रापर्टी डीलरों ने बताया कि वे लोग सरकार को मोटी रकम आयकर के रूप में देते हैं. पर, अक्सर छोटे-बड़े अपराधी उनकी जमीन पर दखल देकर रंगदारी की मांग करते हैं. जमीन के कागजात रहने के बावजूद थाने से उन्हें पर्याप्त मदद नहीं मिलती है. यहां तक कि जिला प्रशासन भी उन्हें हथियार के लिए लाइसेंस नहीं देता है. कई सालों से डीएम के कार्यालय में लाइसेंस का आवेदन पड़ा हुआ है. ऐसे में उनके लिए हथियार से लैस सुरक्षा गार्ड रखना अनिवार्य हो जाता है. अपराधी उन लोगों को फोन कर परेशान करते रहते हैं. रंगदारी दे दी, तब तो ठीक है, वरना जान का खतरा बना रहता है. जेल में बंद बड़े अपराधियों के बाहर बैठे गुर्गे उनके घर धमक जाते हैं.

ऐसे होती है निजी गनर की बहाली

जमीन के एक बड़े कारोबारी ने बताया कि सुरक्षा गार्ड रखने के लिए प्राइवेट सुरक्षा गार्ड एजेंसियाें से संपर्क किया जाता है. प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों का दफ्तर राज्य के प्रत्येक जिले में है. इन दफ्तरों में बिहार से लेकर पंजाब और हरियाणा के हथियारबंद सुरक्षा गार्ड की सूची रहती है. इनमें से जो खाली रहते हैं, उन्हें जरूरतमंद नियोजक को मुहैया करा दिया जाता है. प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों द्वारा मुहैया कराये गार्ड का वेतन नियोजक से तय किया जाता है. सुरक्षा एजेंसियां गार्ड को दिये जानेवाले वेतन में अपना कमीशन लेती हैं. अर्थात रखे गये गार्ड का वेतन सुरक्षा एजेंसियाें को जाता है, जहां से वह अपने कमीशन की राशि काटकर गार्ड के बैंक खाते में जमा कर देती हैं.

पंजाब-हरियाणा के गनर पहली पसंद

लंबी कद-काठी, गठा हुआ शरीर और पहलवानों जैसी ताकतवाले पंजाब व हरियाणा के गनर इन रसूखदारों की पहली पसंद हैं. प्रॉपर्टी डीलरों ने बताया कि पंजाब व हरियाणा के गार्ड को हायर करने में काफी खर्च है. एक गार्ड को प्रतिमाह 45 से 50 हजार रुपये के अलावा खाने व रहने की व्यवस्था मुफ्त करनी पड़ती है, जबकि स्थानीय बंदूकधारी गार्ड 15 से 20 हजार में मिल जाते हैं. दरअसल, पंजाब व हरियाणा के गार्ड को रखने का उद्देश्य हैसियत व दबंगता को दिखाना भी रहता है. जमीन के दो बड़े कारोबारियों ने आधा दर्जन हरियाणा व पंजाब के गार्ड रखे हैं. इन पर प्रत्येक कारोबारी को दो लाख रुपये महीने खर्च हो रहे हैं.

पिस्टल व राइफल से लैस गार्ड सबसे महंगे

पिस्टल व राइफल एक साथ रखनेवाले गार्ड का वेतन सबसे अधिक होता है. पूर्णिया के एक जमीन कारोबारी ने बताया कि फिलहाल दो हथियार से लैस गार्ड को उन्हें 60 हजार रुपये महीना देना पड़ रहा है. इसके अलावा खाना-रहना मुफ्त है. महीने में चार दिन की छुट्टी भी दी जाती है. 40-45 हजार रुपये महीने हरियाणा और पंजाब के रहनेवाले गार्ड लेते हैं. नियोजक के अनुसार, सूबे के बाहर के राज्यों के सुरक्षा गार्ड अनुशासित होते हैं. इस वजह से उनकी मांग अधिक होती है.

सुरक्षा गार्ड रखनेवालों का होता है सत्यापन

गत वर्ष एसपी के निर्देश पर हर थाने की पुलिस ने ऐसे सुरक्षा गार्ड रखनेवालों की सूची तैयार की है. जैसे, सुरक्षा गार्ड के रूप में गनर को किस सुरक्षा एजेंसी ने मुहैया कराया है, सुरक्षा गार्ड का पूरा बॉयोडाटा, किस हथियार का लाइसेंस है और वह लाइसेंस किस राज्य से जारी किया गया है. हथियार के लाइसेंस व सुरक्षाकर्मी के आधार कार्ड की फोटोकॉपी अब थानों में जमा करायी जा रही है. इसके लिए सुरक्षा गार्ड रखनेवालों की सूची तैयार कर उन्हें गार्ड के साथ थाने आने के लिए नोटिस भेजा जा रहा है. थानेदारों ने बताया कि अगर निजी सुरक्षा गार्ड द्वारा किसी प्रकार की घटना की जाएगी, तो उनपर कार्रवाई करने के लिए उनका पूरा ब्योरा थाने में रखने की जरूरत है. अब बगैर थाने को सूचना दिये निजी गनर रखनेवालों पर पुलिस कार्रवाई करेगी.

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