Patna News: नारियल वेस्ट से रोजाना इतने टन होता है कचरा उत्पादन, अब कोकोपीट व फाइबर में बदलेगी निगम
Patna News: राजधानी में हर दिन नारियल के छिलके से उत्पादन होने वाले वेस्ट का प्रबंधन किया जायेगा. यह कवायद पटना नगर निगम द्वारा की जा रही है. हर रोज करीब 10 टन नारियल वेस्ट मैनेजमेंट की क्षमता का प्लांट तैयार है. इससे कोकोपीट व फाइबर तैयार किया जायेगा.
Patna News: पटना में रोजाना 25-30 मीट्रिक टन नारियल के छिलके सड़क किनारे, नालियों और कूड़े के ढेरों में फेंक दिए जाते हैं. इससे न सिर्फ गंदगी बढ़ती है, बल्कि फफूंद, मच्छरों और दुर्गंध की समस्या भी पैदा होती है. नगर निगम के कचरा-प्रबंधन पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ताहै. अब पटना नगर निगम ने आयुक्त यशपाल मीणा के नेतृत्व में नारियल अपशिष्ट प्रबंधन की नई पहल शुरू की है, जिसके तहत इन छिलकों को उपयोगी उत्पादों में बदला जाएगा. इससे पर्यावरण संरक्षण और रोजगार, दोनों को बढ़ावा मिलेगा.
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दानापुर में बना नारियल वेस्ट के लिए प्रोसेसिंग प्लांट
नारियल वेस्ट प्रबंधन के लिए दानापुर रेलवे स्टेशन के पास वार्ड 40 में 10 टन प्रतिदिन क्षमता वाला संयंत्र स्थापित किया गया है. भविष्य में इसे मल्टी शिफ्ट मॉडल पर बढ़ाकर 30 टन प्रतिदिन की क्षमता करने की तैयारी चल रही है. यहां नारियल छिलकों को संग्रहण, सफाई, कतराई, सुखाने और छनाई के बाद कोकोपीट और फाइबर में बदला जाता है. फाइबर से रस्सी बनती है, जबकि कोकोपीट का उपयोग कृषि, बागवानी और वानिकी में होता है.
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नारियल वेस्ट का लैंडफिल से मिलेगा निजात
पटना नगर निगम के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विशेषज्ञ अरविंद कुमार ने बताया कि इस परियोजना से कचरा लैंडफिल में जाने से बचेगा और शहर में स्वच्छता बढ़ेगी. साथ ही बागवानी, छत गार्डन और नर्सरियों में कोकोपीट की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा. नगर निगम इसे बड़े पैमाने पर उपयोगी उत्पादों जैसे जैविक उर्वरक और सक्रिय कार्बन तक विस्तारित करने की तैयारी में है, जिससे रोजगार और राजस्व दोनों बढ़ेंगे.
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नारियल वेस्ट पटना की एक बड़ी चुनौती थी. अब इसे संसाधन में बदलने की दिशा में हम ठोस कदम उठा रहे हैं. इस पहल से शहर स्वच्छ होगा, रोजगार बढ़ेगा और कचरे को लैंडफिल से हटाकर पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा. हमारा लक्ष्य इसे बड़े पैमाने पर टिकाऊ मॉडल बनाना है.
– यशपाल मीणा, नगर आयुक्त
