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डायलिसिस के इंतजार में बढ़ रहा किडनी का दर्द, पटना में कहीं 10 दिन की वेटिंग तो कहीं टेक्नीशियन का पद खाली

पीएमसीएच अस्पताल में जहां 32 में सिर्फ 18 मशीन से ही डायलिसिस हो रही हैं तो आइजीआइएमएस संस्थान में मशीनों की संख्या कम होने की वजह से 10 दिन की वेटिंग मिल रही है. गार्डिनर रोड अस्पताल में पांच मशीनें हैं, लेकिन टेक्नीशियन नहीं है.

आनंद तिवारी, पटना. किडनी डायलिसिस के मरीजों को शहर के सरकारी अस्पतालों में समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है. पीएमसीएच अस्पताल में जहां 32 में सिर्फ 18 मशीन से ही डायलिसिस हो रही हैं तो आइजीआइएमएस संस्थान में मशीनों की संख्या कम होने की वजह से 10 दिन की वेटिंग मिल रही है. गार्डिनर रोड अस्पताल में पांच मशीनें हैं, लेकिन टेक्नीशियन नहीं है. तो पटना एम्स में नेफ्रोलॉजिस्ट की संख्या कम है. नतीजतन अधिकांश मरीज प्राइवेट अस्पतालों में डायलिसिस कराने को मजबूर हैं.

न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल में बिना टेक्नीशियन हो रही डायलिसिस

यहां किडनी फेल्योर मरीजों के लिए छह बेड पर डायलिसिस की सुविधा है. लेकिन नेफ्रोलॉजिस्ट एक साल से नहीं है. नेफ्रोलॉजिस्ट के रिटायर होने के बाद अभी तक नियुक्ति नहीं हुई है. टेक्नीशियन नहीं होने से डायलिसिस दूसरे स्टाफ से मजबूरी में करते हैं. कम से कम यहां दो टेक्नीशियन की जरूरत है. आइसीयू की सुविधा भी नहीं है.

पीएमसीएच में 12 मशीनें खराब, 18 से चल रहा इलाज

पीएमसीएच में मरीजों की डायलिसिस हो रही है. मरीजों की सुविधा के लिए 32 मशीनें लगायी गयी, जिनमें वर्तमान समय में 18 चल रही हैं, मरीज 10 गुना से अधिक हैं. जबकि 12 मशीनें खराब हैं. यहां के विशेषज्ञों की माने तो रोज 25 से 35 मरीज डायलिसिस के इंतजार में रहते हैं. जब पता चलता है कि यहां समय पर डायलिसिस नहीं हो सकेगी तो वे निजी अस्पतालों में जाने को विवश हो रहे हैं. जबकि मशीन ठीक कराने के लिए कई बार अस्पताल प्रशासन ने जिम्मेदार विभाग को पत्र लिख चुका है.

आइजीआइएमएस में मिल रही वेटिंग

आइजीआइएमएस के नेफ्रोलॉजी विभाग में किडनी डायलिसिस के लिए 14 मशीनें लगायी गयी हैं. हालांकि सभी मशीनें ठीक हैं लेकिन मरीजों की संख्या के अनुपात में मशीनें कम पड़ गयी हैं. नतीजा नये मरीजों को जहां 10 दिन की वेटिंग मिल रही हैं, वहीं दूसरी नेफ्रोलॉजी वार्ड में भर्ती मरीज डायलिसिस का इंतजार कर रहे हैं. यहां पहले से वार्ड में भर्ती मरीजों को नंबर लगाने के एक सप्ताह बाद डायलिसिस के लिए बुलाया जाता है.

नि:शुल्क डायलिसिस की सुविधा

इलाज कर रहे डॉक्टरों की माने तो आइजीआइएमएस में पहले से इतने पुराने मरीज भर्ती हैं कि डायलिसिस के लिए नये मरीजों का रजिस्ट्रेशन के बाद वेटिंग देनी पड़ रही. वहीं आइजीआइएमएस व पीएमसीएच में एड्स और हेपेटाइटिस के मरीजों की डायलिसिस नहीं हो पाती है. यहां बता दे कि पीएमसीएच, गार्डिनर रोड अस्पताल में नि:शुल्क डायलिसिस की सुविधा है. जबकि आइजीआइएमएस में करीब 1600 रुपये व प्राइवेट अस्पतालों में 4500 से 7000 रुपये के बीच खर्च लगता है.

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क्या कहते हैं अधिकारी

गार्डिनर रोड अस्पताल के निदेशक डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि कर्मियों की जानकारी विभाग को दे दी गयी है. आश्वासन मिला है. उम्मीद है कि जल्द टेक्नीशियन की कमी दूर हो जायेगी. वहीं आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने कहा कि डायलिसिस मशीनों को बढ़ाने का प्रस्ताव बनाया गया है. मशीनें बढ़ते ही वेटिंग खत्म हो जायेगी. इसी तरह पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने कहा कि मरीजों की गंभीरता के आधार पर डायलिसिस किया जाता है. जो मशीनें खराब हैं उसको ठीक कराया ज रहा है. जल्द ही सभी मशीनें काम करने लगेंगी.

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