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बिहार में कम नहीं हो रहा प्राइवेट स्कूल का क्रेज, सात साल में दोगुना से अधिक हुई बच्चों की संख्या

पिछले सात वर्षों में 2015-16 से 2021-22 के बीच प्राइवेट स्कूलों की संख्या और उनमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में करीब दोगुना इजाफा हुआ है. वर्ष 2015-16 के दरम्यान राज्य में स्कूलों की कुल संख्या (84236) का 4.7 फीसदी (3944) प्राइवेट स्कूल थे.

राजदेव पांडेय ,पटना. बिहार की स्कूली शिक्षा में प्राइवेट स्कूलों की धमक साफ देखने को मिल रही है. थोड़ी- सी भी आर्थिक स्थिति में मजबूत अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में ही पढ़ाना चाहते हैं. इसका जीता -जागता प्रमाण यू-डाइस का आंकड़ा है. इससे पता चलता है कि पिछले सात वर्षों में 2015-16 से 2021-22 के बीच प्राइवेट स्कूलों की संख्या और उनमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में करीब दोगुना इजाफा हुआ है. वर्ष 2015-16 के दरम्यान राज्य में स्कूलों की कुल संख्या (84236) का 4.7 फीसदी (3944) प्राइवेट स्कूल थे.

प्राइवेट स्कूलों की कुल संख्या बढ़कर दोगुना

शैक्षणिक सत्र 2021-22 के सत्र में राज्य में प्राइवेट स्कूलों की कुल संख्या बढ़कर दोगुना 8.7 फीसदी (8097) पहुंच गयी है. वहीं, 2015-16 से 2021-22 के दरम्यान में राज्य में कुल स्कूलों की संख्या में सरकारी स्कूलों की हिस्सेदारी 88.7 फीसदी से घटकर 81.17 फीसदी रह गयी है. संख्या के हिसाब से पिछले सात वर्षों में सिर्फ 869 सरकारी स्कूलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.

स्कूलों की संख्या 84236 से बढ़कर 93165 हो गयी

यह समूचे आंकड़े केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के यू-डाइस रिपोर्ट पर आधारित हैं. खास बात ये है कि सात वर्षों की इसी समयावधि के दौरान राज्य में कुल स्कूलों की संख्या 84236 से बढ़कर 93165 हो गयी है. यानी कि इस दरम्यान कुल 8929 स्कूल बढ़े हैं. सरकारी की तुलना में संख्या में करीब पांच गुना अधिक 4153 प्राइवेट स्कूल बढ़े हैं. अनुदान प्राप्त स्कूलों की संख्या में इस समयावधि में 441 और अन्य स्कूलों मसलन प्रोफेशनल्स, अल्पसंख्यक व अन्य कैटेगरी के स्कूलों की संख्या में 3466 का इजाफा हुआ है.

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स्कूलों में बच्चों की संख्या 33 लाख से अधिक

जहां तक राज्य के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या का सवाल है, प्राइवेट स्कूलों में 2015-16 से 2021-22 के बीच 15.10 लाख से बढ़ कर 33 लाख से अधिक लांघ गयी है. जहां तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या तुलनात्मक रूप में इसी समयावधि के दौरान 2.55 करोड़ से 2.19 करोड़ रह गयी है. हालांकि, इसकी कई वजह रहीं हैं. दरअसल यू-डाइस सिस्टम प्रभावी हो जाने के बाद ऐसे बच्चे छंट गये, जो विभिन्न वजहों से सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में नामांकन करा लेते थे. शैक्षणिक सत्र 2022-23 में सरकारी स्कूल में इन्फ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों की उपलब्धता की वजह से कुछ नामांकन बढ़े हैं.

नये सरकारी स्कूलों की जरूरत नहीं

शिक्षा विभाग के एक्स ज्वाइन डाइरेक्टर आरएस सिंह ने कहा कि सरकार की तरफ से बिहार में क्रमश: एक और तीन किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक और मध्य स्कूल खोले जा चुके हैं. ऐसे में लगता है कि नये सरकारी स्कूलों की जरूरत नहीं है. चूंकि लोगों की नजर में प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना स्टेटस सिंबल बन गया है, इसलिए प्राइवेट स्कूल खुलते जा रहे हैं. दरअसल जिनकी भी आर्थिक स्थिति अच्छी है वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में ही पढ़ाना चाहते हैं.

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