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बिहार की नदी जोड़ योजनाओं में सहयोग करे केंद्र, बोले संजय झा- बड़े इलाके में सिंचाई का संकट होगा दूर

संजय कुमार झा ने कहा है कि केंद्र अगर बिहार की नदी जोड़ योजनाओं में सहयोग करे तो बड़े इलाके में सिंचाई पहुंचाने में मदद मिलेगी. बिहार सरकार ने अपने प्रयासों से राज्य के अंदर की नदियों को जोड़ने की योजना तैयार की है. डीपीआर तैयार करने का दायित्व राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण को दिया गया है.

पटना. बिहार सरकार के जल संसाधन तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा ने कहा है कि केंद्र अगर बिहार की नदी जोड़ योजनाओं में सहयोग करे तो बड़े इलाके में सिंचाई पहुंचाने में मदद मिलेगी. बिहार सरकार ने अपने प्रयासों से राज्य के अंदर की नदियों को जोड़ने की योजना तैयार की है. डीपीआर तैयार करने का दायित्व राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण को दिया गया है. साथ ही राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण ने कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना का वर्किंग डीपीआर तैयार कर मार्च 2024 तक उपलब्ध करने आश्वासन दिया है.

बाढ़ और सूखे जैसी विभीषिका झेलता है बिहार

संजय झा गुरुवार को राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण की 37वीं वार्षिक सामान्य बैठक तथा नदी जोड़ परियोजना के लिए गठित विशेष समिति की 21वीं बैठक में बोल रहे थे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए संजय झा ने कहा कि भौगोलिक परिस्थितियों के कारण उत्तर बिहार का बड़ा इलाका जहां नेपाल से आने वाली नदियों की बाढ़ की विभीषिका झेलता है, वहीं दक्षिण बिहार के कई जिले सूखे से प्रभावित होते हैं. बिहार से संबंधित नदियों की जोड़ने की परियोजना हिमालयीय अवयव के अंतर्गत आती है. अंतरराष्ट्रीय पहलुओं के कारण हिमालयीय अवयव प्राथमिकता में नहीं रही है. इस स्थिति में राज्य को बाढ़ एवं सूखे की समस्या से राहत दिलाने के लिए राज्य के अंदर की नदियों को जोड़ने की योजना तैयार किया जाना अत्यंत जरूरी है.

बिहार की महत्वाकांक्षी कोसी मेची नदी जोड़ परियोजना का किया जिक्र

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने बिहार से संबंधित कोसी-मेची लिंक सहित कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं में सहयोग के बिंदुओं की चर्चा की. मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार की महत्वाकांक्षी कोसी मेची नदी जोड़ परियोजना को नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान में शामिल करते हुए 60 (केंद्रांश): 30 (केंद्रीय ऋण): 10 (राज्यांश) के फंडिंग पैटर्न पर स्वीकृति दी जाये, जिससे राज्य के सीमांचल क्षेत्र के चार जिलों में 2.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल को सिंचाई की सुविधा मिल सके और कोसी नदी की बाढ़ को नियंत्रित किया जा सके. उन्होंने कहा कि यदि 60 (केंद्रांश): 40 (राज्यांश) के फंडिंग पैटर्ऩ पर स्वीकृति प्रदान की जाती है, तो राज्यांश की राशि के लिए विश्व बैंक से ऋण प्राप्त करने की अनुमति प्रदान की जाये.

एनडब्ल्यूडीए का सहयोग अपेक्षित

संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार की इंट्रा स्टेट रिवर लिंकिंग स्कीम के तहत कोसी (बागमती)-गंगा लिंक एवं बूढ़ी गंडक-नून-वाया-गंगा लिंक की संभावना पर विचार किया जा रहा है. इन लिंक योजनाओं के लिए एनडब्ल्यूडीए का सहयोग अपेक्षित है. उन्होंने बताया कि बिहार में बागमती बूढ़ी गंडक (बेलवाधार) नदी जोड़ योजना, बागमती- बूढ़ी गंडक (शांतिधार) नदी जोड़ योजना एवं गंडक अकाली नाला (छाड़ी)- गंडकी माही- गंगा नदी जोड़ योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है.

बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के तहत मिले स्वीकृति

बागमती बूढ़ी गंडक (बेलवाधार) नदी जोड़ योजना एवं बागमती बूढ़ी गंडक (शांतिधार) नदी जोड़ योजना को बाढ़ नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सम्मिलित किये जाने हेतु प्रस्ताव गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग को समर्पित किया गया है. अनुरोध होगा कि दोनों योजनाओं को बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के तहत स्वीकृति दी जाय. उन्होंने कहा कि उत्तर बिहार में बागमती, कमला एवं कोशी बेसिन तथा दक्षिण बिहार में पुनपुन, किउल हरोहर बेसिन में छोटी-छोटी नदियों को आपस में जोड़ते हुए इन क्षेत्रों में बाढ़ के प्रभाव को कम करने के साथ-साथ सिंचाई देने की योजनाओं की असीम संभावनाएं हैं.

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सहयोगी राज्य के रूप में बिहार से ली जाये सलाह

उन्होंने आगे कहा कि बिहार राज्य गंगा नदी घाटी बेसिन का एक सहभागी राज्य है. अतः गंगा नदी घाटी बेसिन में ऊपरी तटवर्ती राज्यों द्वारा कोई भी योजना प्रतिवेदन तैयार किया जाता है, तो उस पर बिहार सरकार का मंतव्य प्राप्त किया जाना अनिवार्य होना चाहिए. साथ ही ब्रह्मपुत्र-गंगा लिंक योजना, कोसी-घाघरा, गंडक-गंगा, चुनार-सोन बराज एवं सोन डैम-गंगा की दक्षिणी सहायक नदियां लिंक योजना बिहार को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेंगी. इसी तरह घाघरा-यमुना, शारदा-यमुना, यमुना-राजस्थान एवं राजस्थान-साबरमती लिंक योजना बिहार राज्य को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है. अतः उक्त लिंक योजनाओं के प्रतिवेदन पर बिहार राज्य का मंतव्य अनिवार्य रूप लिया जाना चाहिए.

समस्या का एक दीर्घकालिक समाधान निकाला जाये

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को प्रत्येक वर्ष बाढ़ से सुरक्षा और कटाव निरोधक कार्य, बाढ़ संघर्षात्मक कार्य एवं बाढ़ सहायता कार्य में एक बड़ी राशि का व्यय करना पड़ता है. यदि नदी जोड़ योजनाओं के माध्यम से इस समस्या का एक दीर्घकालिक समाधान निकाला जाये, तो न केवल इस राशि का सदुपयोग राज्य के विकास में होगा, अपितु बड़े इलाके में सिंचाई की सुविधा भी प्राप्त हो सकेगी. इसके साथ ही मंत्री संजय कुमार झा ने राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण के पटना स्थित क्षेत्रीय कार्यालय को और मजबूत करने का भी अनुरोध किया.

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