Bihar Election: अमित शाह का नया लक्ष्य, धर्मेंद्र प्रधान की इंट्री, बिहार में क्या है NDA की रणनीति
Bihar News: मगध और शाहाबाद के इलाके को जीतना 2010 में भी NDA के लिए आसान नहीं था. इस इलाके में माले और राजद के गठबंधन के कारण महागठबंधन पहले से काफी मजबूत हो गया है.
Bihar Election:पटना. बिहार में विधानसभा चुनाव की कभी भी घोषणा हो सकती है. सत्तासीन गठबंधन एकबार फिर सत्ता में लौटने के लिए रणनीति तैयार कर रहा है. जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार विभिन्न योजनाओं से वोटरों को रिझाने में लगे हैं तो भाजपा की ओर से अमित शाह दो दिनों में चार बैठकें कर जीत का मंत्र पार्टी पदाधिकारियों को दे दी है. इसके बावजूद इस चुनाव में एनडीए के लिए जीत की राह आसान नहीं है. प्रशांत किशोर की सेंधमारी, मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप और नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर उठ रहे सवाल NDA के लिए चुनौती हैं. इसलिए मिशन 225 के बीच अमित शाह ने 160 से अधिक सीटें जीतने की बात कह दी है.
हर बूथ पर 10 प्रतिशत वोट बढ़ाने का लक्ष्य
अमित शाह ने इस बार पिछली बार के मुकाबले 35 से 40 सीटें अधिक जीतने का लक्ष्य तय किया है, जबकि पहले 100 सीटें अधिक जीतने की बात कही जा रही थी. एनडीए की बिहार में सबसे बड़ी जीत 2010 में हुई थी, जबकि पिछली बार गठबंधन को महज 125 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था. 2025 में 225 का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अमित शाह ने अररिया में आयोजित बैठक में पदाधिकारियों को हर बूथ पर 10 प्रतिशत वोट बढ़ाने और 3 श्रेणियों में मतदाताओं को बांटकर रणनीति बनाने को कहा है. ऐसे में अब 160 से अधिक सीटें जीतने के लक्ष्य रह गया है.
धर्मेंद्र प्रधान पर बड़ी जिम्मेदारी
2010 के चुनाव में जब एनडीए को सबसे बड़ी जीत मिली थी, तब धर्मेंद्र प्रधान सह प्रभारी थे. भाजपा ने उनपर फिर विश्वास किया है और इस बार उन्हें प्रभारी बनाया है. वे बिहार को समझते हैं. नीतीश कुमार से भी उनका अच्छा तालमेल है. धर्मेंद्र प्रधान के लिए बिहार जीतना इसबार बहुत आसान नहीं है. मगध और शाहाबाद के इलाके को जीतना 2010 में भी NDA के लिए आसान नहीं था. इस इलाके में माले और राजद के गठबंधन के कारण महागठबंधन पहले से काफी मजबूत हो गया है. लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को इस इलाके में सफलता नहीं मिली थी.
