दिल्ली में छुट्टी मना रहे तेजस्वी Bharat Bandh को लेकर नहीं थे गंभीर : सुशील मोदी

Bharat Bandh Latest News राज्यसभा के नवनिर्वाचित सांसद एवं बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने भारत बंद को लेकर विपक्षी दलों कांग्रेस-आरजेडी के साथ ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर जमकर हमला बोला है. सुशील मोदी अपने ट्वीट में लिखा है, भारत बंद के दौरान बिहार में किसान कहीं सड़क पर नहीं दिखे, क्योंकि वे सालाना 6 हजार रुपये खाते में पहुंचाने वाली किसान सम्मान योजना और आय दोगुनी करने में सहायक कृषि कानूनों से संतुष्ट हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2020 6:55 PM

Bharat Bandh Latest News राज्यसभा के नवनिर्वाचित सांसद एवं बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने भारत बंद को लेकर विपक्षी दलों कांग्रेस-आरजेडी के साथ ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर जमकर हमला बोला है. सुशील मोदी अपने ट्वीट में लिखा है, भारत बंद के दौरान बिहार में किसान कहीं सड़क पर नहीं दिखे, क्योंकि वे सालाना 6 हजार रुपये खाते में पहुंचाने वाली किसान सम्मान योजना और आय दोगुनी करने में सहायक कृषि कानूनों से संतुष्ट हैं.

सुशील मोदी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेट तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि भारत बंद के दौरान विपक्ष के नेता दिल्ली में छुट्टी मना रहे थे, जिससे जाहिर है कि वे इस मुद्दे पर गंभीर नहीं थे. वंशवादी राजनीति के राजकुमार उत्तर बिहार में चमकी बुखार और भीषण बाढ़ के समय भी बिहार से लापता थे.

राज्यसभा सांसद ने कहा कि बिहार में पहली एनडीए सरकार ने किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए जिस कानून को 2006 में ही समाप्त कर दिया था. 2010 के चुनाव में एनडीए को किसानों-महिलाओं ने 206 सीटों के अपार बहुमत से फिर सेवा का मौका दिया. विपक्ष ने 14 साल तक जिस मुद्दे पर विरोध करने की हिम्मत नहीं की, उस मुद्दे पर बिहार में “भारत बंद” कराने के लिए लाठी लेकर क्यों निकल पड़े?

सुशील मोदी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने बार-बार कहा कि तीन नए कृषि कानून लागू होने के बाद भी एमएसपी और मंडी व्यवस्था लागू रहेगी, लेकिन गरीबों-किसानों को धोखा देकर मतपेटी से बहुमत का जिन्न निकालना जिनके लिए मुश्किल हो गया, उन सबने मिलकर चुनावी पराजय का जनता से बदला लेने के लिए बंद कराने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने उस बंद को नकार दिया, जो न किसानों का था, न किसानों के लिए था और न असली किसानों की भागीदारी से संचालित था.

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