नयी दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बिहार सरकार को जैव चिकित्सा अपशिष्ट पैदा करने वाली इकाइयों के बारे में विस्तृत विवरण जमा करने को कहा है. यह भी बताने को कहा गया है कि राज्य में 23,684 अस्पतालों और नर्सिंग होम से निकलने वाले कचरे से निपटने को लेकर राज्य सरकार की क्या योजना है. न्यायमूर्ति आरएस राठौड़ और विशेषज्ञ सदस्य एसएस गरबयाल की पीठ ने प्रदेश स्वास्थ्य सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक को 15 अक्तूबर को पेश होकर अस्पतालों के बारे में जानकारी देने और यह बताने को कहा है कि चिकित्सा अपशिष्ट (जैव कचरा) से निपटने के लिए राज्य सरकार की क्या योजना है.
एनजीटी ने उनसे मुद्दे पर विस्तृत हलफनामा पेश करने को कहा है. पीठ ने कहा, ‘‘हम स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग से समूचा विवरण लेना चाहेंगे कि अस्पतालों की वास्तविक संख्या कितनी है, उनमें कितने नियमों का पालन करते हैं और राज्य में 23,684 अस्पताल/नर्सिंग होम से पैदा होने वाले जैव कचरे के निपटान के लिए सरकार क्या सब कदम उठा रही है.’
हरित पैनल को सूचित किया गया था कि बिहार में 23684 अस्पताल, नर्सिंग होम और क्लीनिक हैं और जैव अपशिष्ट के निपटारे के लिए राज्य में तीन संयंत्र हैं जबकि एक की स्थापना की जा रही है. अधिकरण एनजीओ वेटेरंस फोरम फार ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक लाइफ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में एनजीटी के 24 अक्तूबर 2017 के आदेश का पालन कराने की मांग की गयी है.