फांउडेशन कोर्स के आधार पर सिविल सेवकों के कैडर निर्धारण का शरद यादव ने किया विरोध

पटना / नयी दिल्ली : वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने सिविल सेवा में चयनित अभ्यर्थियों के कैडर की निर्धारण प्रक्रिया में बदलाव करने की सरकार की पहल का यह कहते हुए विरोध किया है कि इससे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नुकसान होगा. यादव ने सिविल सेवा में चयनित अभ्यर्थियों के फांउडेशन कोर्स में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 22, 2018 8:57 AM

पटना / नयी दिल्ली : वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने सिविल सेवा में चयनित अभ्यर्थियों के कैडर की निर्धारण प्रक्रिया में बदलाव करने की सरकार की पहल का यह कहते हुए विरोध किया है कि इससे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नुकसान होगा. यादव ने सिविल सेवा में चयनित अभ्यर्थियों के फांउडेशन कोर्स में प्रदर्शन के आधार पर कैडर का आवंटन करने की कोशिश को निंदनीय बताते हुए कहा कि सरकार की मंशा समाज के वंचित वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण के लाभ से वंचित करना है.

उन्होंने कहा, ‘‘सिविल सेवा परीक्षा में संघ लोक सेवा आयोग तीन स्तरीय परीक्षा का आयोजन करता है. मौजूदा व्यवस्था को बदलने की कोई जरूरत नहीं है. इस तरह का बदलाव करने से परीक्षा प्रणाली में पक्षपात के दरवाजे खुलेंगे.” उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा कोई बदलाव नहीं करना चाहिए, जिससे अभ्यर्थियों के मन में परीक्षा प्रणाली को लेकर कोई शक पैदा हो. यादव ने हाल ही में एसएससी परीक्षा में भ्रष्टाचार के आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि लोगों में लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा की निष्पक्षता पर भरोसा है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सरकार से आग्रह करूंगा कि इस तरह का कोई कदम न उठाये, जो समाज के कमजोर वर्गों के लोगों के हितों के विपरीत साबित हो. वैसे भी मौजूदा दौर में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोग खुद को भय और दबाव में महसूस कर रहे हैं.” इस बीच राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी सिविल सेवकों के कैडर आवंटन की प्रक्रिया में बदलाव के प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रस्ताव को सामाजिक न्याय के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘अगर कैडर और सर्विस आवंटन का पीएमओ का प्रस्ताव अनुमोदित होता है, तो ये सामाजिक न्याय और आरक्षण पर मनुवादी व्यवस्था का सबसे बड़ा आघात होगा. आइये केंद्रीय सेवा के चरित्र को नष्ट करने की मनुवादी साजिश को बेनकाब करें.”

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