शुद्ध पानी के लिए मिट्टी के घड़े का करें उपयोग
आरओ के पानी के बेवजह इस्तेमाल से बचने की है जरूरत जिला के कई क्षेत्रों में फ्लोराइड का दिखता है प्रभाव जिला जल जांच केंद्र में प्रति माह तीन से चार सौ पानी का सैंपलों की होती है जांच नवादा नगर : पीने का पानी यदि साफ नहीं हो तो अनेक प्रकार की बीमारियों का […]
आरओ के पानी के बेवजह इस्तेमाल से बचने की है जरूरत
जिला के कई क्षेत्रों में फ्लोराइड का दिखता है प्रभाव
जिला जल जांच केंद्र में प्रति माह तीन से चार सौ पानी का सैंपलों की होती है जांच
नवादा नगर : पीने का पानी यदि साफ नहीं हो तो अनेक प्रकार की बीमारियों का खतरा बनता है. गरमी की शुरुआत के पहले से ही पेयजल स्रोतों को बेहतर बनाने की जरूरत है, ताकि गरमी के समय शुद्ध व पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता हो सके. पीएचइडी विभाग के अंतर्गत काम करनेवाला जल जांच केंद्र पानी के सैंपल की जांच करके उसमें व्याप्त गड़बड़ियों के बारे में अगाह करने का काम करता है. घरों में भी पेयजल के स्रोतों को साफ करने के लिए यह उपयुक्त समय है.
इस समय चापाकल या पानी टंकी का क्लोरिनेशन करके अगले तीन-चार माह के लिए पानी में पड़ने वाले वायरस या वैक्टेरिया को रोका जा सकता है. इन दिनों आरओ लगाने का प्रचलन बढ़ा है, लेकिन जानकारों की मानें तो पानी में टोटल डिजोल्ब सॉलिड (टीडीएस) यदि पांच सौ से कम रहती है तो आरओ लगाने का कोई विशेष औचित्य नहीं है. क्योंकि पानी के हार्डनेश को समाप्त करने के साथ ही पानी में मौजूद कई लाभकारी मिनिरल को भी इससे नुकसान होता है तथा पानी का स्वाद भले ही बेहतर हो जाये, लेकिन इससे लंबे समय में शरीर में जरूरी खनिज लवण की कमी होगी. पानी को शुद्ध बनाये रखने के लिए मिट्टी के घड़े में पानी रख कर इसका इस्तेमाल करें, यह स्वास्थ्य के लिए बेहतर है. इसकी जानकारी जिला जल जांच केंद्र के जितेंद्र कुमार ने दी.
फ्लोराइड से बचाव की जरूरत पानी में फ्लोराइड की मात्रा जिले के कई क्षेत्रों में बढ़ा हुआ है. खास कर पहाड़ी इलाकों में इसका प्रभाव दिखता है. फ्लोराइड से बचाव की जानकारी देते हुए जल जांच केंद्र के जानकारों ने बताया कि पानी की जांच कर फ्लोराइड इफेक्टेड पेयजल स्रोतों को बंद करने का काम किया जाता है. बावजूद बचाव के लिए चकोर यानी गोलवा का साग, आंवला, पपीता, दूध आदि के सेवन से फ्लोराइड का प्रभाव घटता है. इसके साथ ही इस वित्तीय वर्ष में 272 स्थानों पर वाटर ट्रीटमेंट रिमूवल यूनिट लगाने की भी योजना है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
पानी की शुद्धता जांचने का काम नियमित रूप से किया जा रहा है. फरवरी में 292 जल स्रोतों की जांच की गयी है. इसमें 25 स्थानों पर फ्लोराइड की मात्रा मानक से अधिक मिली है. इस मौसम में पेयजल स्रोतों का क्लोरीनेशन करना चाहिए. यह बहुत ही सरल प्रक्रिया है. पानी में सभी खनीज लवण पीने के लिए जरूरी है. पानी को शुद्ध बनाये रखने के लिए मिट्टी के घड़े में पानी रख कर इसका इस्तेमाल करें, इससे पानी में कई हानिकारक तत्वों का नाश होता है.
जितेंद्र कुमार, जिला रसायणज्ञ, जिला जल जांच केंद्र
चापाकल या टंकी की सफाई के लिए छोटी सी प्रक्रिया
गरमी के दिनों में हानिकारक बैक्टीरिया का प्रभाव बढ़ता है, जो पेयजल को नुकसान पहुंचाता है. यदि इस मौसम में क्लोरीनेशन कर लिया जाये तो निश्चित ही शुद्ध पानी का लाभ लोगों को मिलेगा. क्लोरीनेशन के लिए पेयजल के स्रोतों यानी चापाकल या मोटरवाले घरों में पानी के टंकी की सफाई के लिए छोटी सी प्रक्रिया करके इसे साफ किया जा सकता है.
क्लोरीनेशन के लिए एक माचिस के डब्बे भर ब्लीचिंग पाउडर को प्लास्टिक के मग में घोल बना कर चापाकल के हेड से अंदर डाल दें, इसके बाद अगले 10 से 12 घंटे तक चापाकल का इस्तेमाल नहीं करें. लगभग 12 घंटे के बाद चापाकल से चार से पांच बाल्टी पानी बहा दें. इसके बाद इस्तेमाल करने से यह पानी शुद्ध रूप से प्राप्त होगा. यहीं प्रक्रिया पानी के टंकी के क्लोरीनेशन के लिए किया जाना है.
एक हजार लीटर वाले पानी के टंकी में माचिस के डब्बे भर ब्लीचिंग पावडर को मग में लकड़ी के सहारे घोल कर डाल दें तथा इसे टंकी में सही तरीके से मिलाये. घोल मिलाने के लिए टंकी में कम पानी रहे तब घोल डाले तथा बाद में मोटर चला कर पानी भर दें. इस प्रक्रिया से घोल पूरे क्षेत्र में सही ढंग से मिल जायेगा. 10 से 12 घंटे तक इसका इस्तेमाल नहीं करने के बाद पानी को बहा कर बाद में इस्तेमाल करें. क्लोरीनेशन की इस प्रक्रिया से निश्चित ही बेहतर लाभ मिलेगा.
