शहर में मार्च निकाल आवाज की बुलंद
अरावली–हिमालय को बचाने के लिए सड़कों पर उतरे भाकपा माले के कार्यकर्ता
अरावली–हिमालय को बचाने के लिए सड़कों पर उतरे भाकपा माले के कार्यकर्ता प्रतिनिधि, नवादा सदर. अरावली और हिमालय पर्वत शृंखला के संरक्षण, ग्रेट निकोबार व हसदेव अरण्य को बचाने और देश की प्राकृतिक संपदा की लूट के खिलाफ भाकपा माले के आह्वान पर रविवार को नगर में “पर्यावरण बचाओ मार्च” निकाला गया. यह मार्च नगर थाना के समीप से शुरू होकर शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए भगत सिंह चौक पहुंचा, जहां जनसभा में तब्दील हो गयी. इस मार्च के दौरान “हिमालय बचाओ, अरावली बचाओ”, “पर्यावरण बचाओ, भारत बचाओ”, “ग्रेट निकोबार बचाओ”, “हसदेव अरण्य बचाओ” और “भारत के पर्यावरण की बिक्री नहीं चलेगी” जैसे नारों से पूरा शहर गूंज उठा. लाल झंडों से सजा मार्च आम नागरिकों का भी ध्यान आकर्षित करता रहा. सभा में भाकपा माले जिला सचिव भोला राम ने कहा कि अरावली पर्वत शृंखला लगभग 970 किलोमीटर में फैली हुई है और राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली समेत कई राज्यों के लिए जीवनदायिनी है. उन्होंने कहा कि अरावली को तोड़े जाने से थार मरुस्थल का बालू हिमालय के ग्लेशियरों तक पहुंचेगा, जिससे देश को भीषण पर्यावरणीय तबाही का सामना करना पड़ सकता है. मोदी सरकार पर साधा निशाना भोला राम ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि मोदी सरकार अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए देश के जल-जंगल-जमीन को बेचने पर आमादा है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्राकृतिक संसाधनों का निजीकरण कर सरकार न केवल पर्यावरण को नष्ट कर रही है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी खतरे में डाल रही है. उन्होंने बिहार की डबल इंजन सरकार को भी आड़े हाथों लिया. कहा कि राज्य में नदियों, तालाबों और पहाड़ों पर दबंगों व माफियाओं का कब्जा बढ़ता जा रहा है. खनन माफियाओं को सरकारी संरक्षण देकर खुलेआम लूट करायी जा रही है, जिससे पर्यावरण असंतुलन गहराता जा रहा है. आम लोगों से आह्वान इसमें खेगरामस के जिला सचिव अजीत कुमार मेहता, सुदामा देवी, सावित्री देवी, श्रीकांत महतो, रमेश पासवान, सुधीर राजवंशी, मंटू कुमार, श्यामदेव विश्वकर्मा, सुगिया देवी, अनुज प्रसाद तथा गोप गुट के वरिष्ठ नेता दिनेश प्रसाद समेत बड़ी संख्या में महिला-पुरुष कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी रही. सभा के अंत में वक्ताओं ने आम जनता से पर्यावरण संरक्षण के लिए संगठित संघर्ष का आह्वान किया. कहा कि प्रकृति की रक्षा ही देश की रक्षा है.
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