Motihari: नगर सभापति धुरपति देवी को नगर विकास एवं आवास विभाग ने किया पदमुक्त
नगर परिषद रक्सौल की मुख्य पार्षद धुरपति देवी को नगर विकास एवं आवास विभाग ने पदमुक्त कर दिया है.
Motihari: रक्सौल. नगर परिषद रक्सौल की मुख्य पार्षद धुरपति देवी को नगर विकास एवं आवास विभाग ने पदमुक्त कर दिया है. अपने कृत्यों एवं कर्तव्यों को करने से इंकार या उपेक्षा करने तथा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में दुराचार का दोषी पाए जाने के फलस्वरूप बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 25(4) के अधीन तत्काल प्रभाव से पदमुक्त किया गया है. नगर विकास एवं आवास विभाग के परियोजना पदाधिकारी सह अपर निदेशक देवेंद्र सुमन के हस्ताक्षर से पांच अगस्त को जारी आदेश में बताया गया है कि नगर परिषद रक्सौल की उप मुख्य पार्षद पुष्पा देवी ने मुख्य पार्षद धुरपति देवी के विरुद्ध विभागीय प्रतिबंध के बावजूद समूह ख एवं ग के पदों पर हुई अवैध रूप से बहाली बोर्ड की संपुष्टि के बिना लगभग 7 से 8 करोड़ की खरीदारी, विगत आठ महीनों से बोर्ड की बैठक नहीं बुलाए जाने, समस्त कार्य सशक्त स्थानीय समिति के माध्यम से कराये जाने तथा अपने संंबंधितों को बिना विज्ञापन एवं बहाली की प्रक्रिया अपनाए सहायक के पद पर नियोजन करने का आरोप प्रतिवेदित किया था. इसके आलोक में विभागीय पत्रांक 1433 दिनांक 13/09/2024 द्वारा जिलाधिकारी पूर्वी चम्पारण से जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था. इसके आलोक में जिलाधिकारी पूर्वी चम्पारण के द्वारा अनुमंडल पदाधिकारी रक्सौल से जांच कराकर पत्रांक 501 दिनांक 27/11/2024 द्वारा चार बिंदुओं पर अपनी जांच रिपोर्ट विभाग को भेजी गयी थी. जिसमें मुख्य पार्षद पर लगे आरोपों को सही पाया गया था. इधर, जिलाधिकारी के जांच प्रतिवेदन के आलोक में नगर विकास एवं आवास विभाग के द्वारा विभागीय पत्रांक 424 दिनांक 25/2/2025 के माध्यम से मुख्य पार्षद धुरपति देवी से बिंदुवार स्पष्टीकरण की मांग की गयी तथा विभागीय पत्रांक 423 दिनांक 25/2/2025 के माध्यम से कार्यपालक पदाधिकारी नगर परिषद रक्सौल से बहाली प्रक्रिया में विभाग से मंतव्य ली गयी थी अथवा नहीं की को लेकर अनुमति की मांग की गयी थी. जिसके बाद मुख्य पार्षद धुरपति देवी के द्वारा अपने पत्रांक 15 दिनांक 5/3/2025 द्वारा चार बिंदुओं पर स्पष्टीकरण विभाग को दिया गया था. स्पष्टीकरण में उन्होंने विभाग को बताया था कि बहाली करने का निर्णय व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामूहिक था. खरीदारी के संबंध में उन्होंने स्पष्टीकरण विभाग को दिया था कि बोर्ड के बैठक में पारित प्रस्ताव के आलोक में सामान की खरीदारी की गयी थी. वही तीसरी स्पष्टीकरण में उन्होंने बताया कि मैं बीमारी की इलाज कराने हेतु बाहर गयी थी जिसके कारण विशेष परिस्थिति में बोर्ड की बैठक नहीं हो सकी. इसके बाद आदर्श आचार संहिता लगने के बाद बैठक नहीं हो सका. आचार संहिता समाप्ति के बाद लगातार बोर्ड की बैठक की गयी है. इधर, कार्यपालक पदाधिकारी नगर परिषद के द्वारा पत्रांक 222 दिनांक 13/3/2025 को प्रतिवेदन किया गया कि नगर परिषद के द्वारा बहाली किए जाने के बिंदु पर विभाग से अनुमति प्राप्त नहीं की गयी है. इधर, विभाग ने दो बिंदुओं मुख्य पार्षद के द्वारा दिनांक 10/12/23 को बोर्ड की बैठक में क्रय संबंधित निर्णय को आगामी बैठक में संपुष्ट नहीं कराया गया जो बिहार नगरपालिका सशक्त स्थायी समिति कार्य संचालन नियमावली 2010 के नियम का उल्लंघन है. जिसके लिए पूर्णरूप से दोषी पाया गया व दिनांक 12/10/2023 से दिनांक 31/7/2024, दिनांक 16/3/2024 से दिनांक 6/4/2024 तक प्रभावित आचार संहिता की अवधि को छोड़कर बीच में लगातार पांच माह से अधिक अवधि तक बोर्ड की सामान्य बैठक आयोजित नहीं किया गया. जिसको लेकर दोषी करार दिया गया है.
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