5G की रफ्तार ने छीनी कार्ड्स की रौनक: अब क्लिक पर सिमटीं नववर्ष की खुशियां
वक्त के साथ परंपराएं बदलती हैं, लेकिन तकनीक ने ग्रीटिंग कार्ड्स के उस दौर को लगभग इतिहास बना दिया है.
मोतिहारी. वक्त के साथ परंपराएं बदलती हैं, लेकिन तकनीक ने ग्रीटिंग कार्ड्स के उस दौर को लगभग इतिहास बना दिया है, जब नए साल की आहट से पहले बाजारों में रौनक बढ़ जाती थी. कभी अपनों को शुभकामना संदेश भेजने के लिए दुकानों पर घंटों कार्ड चुनने की जो होड़ मचती थी, वह अब मोबाइल की स्क्रीन तक सिमट गई है. सोशल मीडिया का बढ़ा क्रेज, 5G ने बदली तस्वीर आज व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ””””एक्स”””” जैसे मंचों ने बधाई देने का अंदाज पूरी तरह बदल दिया है. 5G नेटवर्क और स्मार्टफोन की तेज रफ्तार ने एक ही क्लिक में सैकड़ों लोगों तक एनिमेटेड पोस्टर और वीडियो संदेश पहुंचाना आसान कर दिया है. डिजिटल माध्यमों की इसी चकाचौंध के कारण अब लोग कागजी कार्ड खरीदने की जरूरत महसूस नहीं करते. युवा ही नहीं, बल्कि बुजुर्ग भी अब सोशल मीडिया पर सक्रिय होकर इसी माध्यम को अपना रहे हैं. परंपरागत कारोबार पर संकट के बादल इस डिजिटल बदलाव का सबसे बुरा असर स्थानीय दुकानदारों पर पड़ा है. शहर के पुराने व्यवसायी बताते हैं कि पहले नववर्ष के दौरान ग्रीटिंग कार्ड्स की बिक्री से अच्छी कमाई होती थी. लेकिन अब बाजार सिमट गया है. नुकसान के डर से दुकानदारों ने स्टॉक मंगवाना काफी कम कर दिया है. गिफ्ट गैलरी और स्टेशनरी दुकानों पर अब वो पहले वाली भीड़ नजर नहीं आती. अधूरा है डिजिटल संदेशों का अहसास हालांकि, आज भी एक छोटा वर्ग ऐसा है जो हाथ से लिखे संदेशों की अहमियत समझता है. उनके लिए ग्रीटिंग कार्ड महज कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक यादगार है जिसे सालों तक संभालकर रखा जा सकता है. जानकारों का मानना है कि तकनीक ने सुविधा तो दी है, मगर इसके साथ एक पुरानी परंपरा और उससे जुड़ा भावनात्मक जुड़ाव धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है.
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