विद्याकर कवि ने दी थी बिहार की राजनीति को ऊंचाई

विद्याकर कवि की पुण्यतिथि आज... बिहार के शिक्षा व पथ निर्माण मंत्री रहे थे विद्याकर कवि वर्ष 1957 से 67 तक विधान परिषद सदस्य रहे व 1969 प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने आलमनगर : जीवन भर राजनीति को जनसेवा को आधार मानने वाले और राजनीति के विकृत चेहरे के मध्य भी अपने उज्ज्वल चरित्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2018 5:35 AM

विद्याकर कवि की पुण्यतिथि आज

बिहार के शिक्षा व पथ निर्माण मंत्री रहे थे विद्याकर कवि
वर्ष 1957 से 67 तक विधान परिषद सदस्य रहे व 1969 प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने
आलमनगर : जीवन भर राजनीति को जनसेवा को आधार मानने वाले और राजनीति के विकृत चेहरे के मध्य भी अपने उज्ज्वल चरित्र को स्वच्छ व बेदाग रखने वाले बिहार के पूर्व मंत्री विद्याकर कवि ने बिहार की राजनीति में ऊंचे आदर्श और मूल्यों के मानदंड को स्थापित किया. 1942 में गांधी जी के राजनीति व सामाजिक संघर्ष गाथा का प्रारंभ करने वाले व्यक्तित्व का अंत 31 जनवरी 1986 को पूर्णिया में हिंदी राज्य भाषा की बैठक में हृदयगति के रुक जाने से हो गयी. उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए उनकी पुण्यतिथि पर 31 जनवरी को राज्य में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.
शिक्षक से बने राजनेता: शिक्षक से राजनेता की लंबी यात्रा में मर्यादित आचरण, उदारता, कुशल नेतृत्व, कथनी व करनी में तालमेल सहित अनेक गुणों का अभूतपूर्व मिश्रण के पात्र थे. अपने प्रारंभिक जीवन में समाजसेवी व साहित्य साधक के रूप में उन्होंने विशिष्ट पहचान बनायी. विद्याकर कवि का जन्म 1923 में आलमनगर में हुआ था. पिता मनमोहन कवि ब्रज भाषा के विद्वान थे. पिता के संस्कार से परिपूर्ण साहित्य प्रेम व जनसेवा भाव विद्याकर में कूट-कूट कर भरा था. विद्याकर का व्यक्तित्व त्याग, सत्य निष्ठा व सैद्धांतिक दृढ़ता का अनूठा मिश्रण था.
कार्यकर्ता से मंत्री तक का सफर
विद्याकर कवि 1942 से छात्र जीवन से ही राजनीति व सामाजिक सेवा में सक्रिय थे. वे आलमनगर स्थित उच्च विद्यालय में अवैतनिक रहकर शिक्षक बनकर बच्चों में शिक्षा का अलख जगाया. 29 फरवरी 1953 को विद्यालय से अध्यापन कार्य त्याग कर राजनीति में कूद पड़े. विद्याकर कवि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता से यात्रा प्रारंभ कर बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्रिमंडल सदस्य के रूप में विशिष्ट सेवा प्रदान किये.
वर्ष 1957 से 1967 तक विधान परिषद सदस्य रहे व वर्ष 1967 से 1977 तक आलमनगर विधान सभा का प्रतिनिधित्व कर शिक्षा व पथ निर्माण मंत्री पद को सुशोभित किया. वह दोनों सदनों में तार्किक प्रस्तुतिकरण और बेबाक टिप्पणी के लिए जाने जाते थे. यहां तक कि अपनी ही सरकार की गलत नीति की आलोचना से भी नहीं चुकते थे. वर्ष 1969 में जब प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति दयनीय चल रही थी, तो इन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पदभार पार्टी द्वारा इन्हें सौंपा गया जिसे बखूबी इनके द्वारा निभाया गया.
एनएच 106 कवि की देन
कवि ने ही वीरपुर-बिहपुर पथ की सामरिक महत्ता को बताते हुए इसे राजपथ का दर्जा देने के लिए बिहार विधान सभा में पारित करवा कर केंद्र की स्वीकृति के लिए भेजा गया था. इसके अलावा आलमनगर क्षेत्र का दक्षिणी भाग जो हर वर्ष बाढ़ के तांडव से त्रस्त रहता था. मुख्यालय से भू-भाग के अंतिम छोर तक सड़क मार्ग का निर्माण इन्होंने कराया. इस सड़क को क्राइम कंट्रोल रोड के नाम से आज भी जाना जाता है. आलमनगर विधान सभा में सड़क, बिजली, जलमीनार, स्कूल आदि का निर्माण इन्होंने अपने कार्यकाल में कराया.