यम नियम के पालन से ही नवरात्रि की सार्थकता: पीयूष

शारदीय नवरात्र माता दुर्गा की आराधना व भक्ति का महापर्व है. यह काल वर्षा एवं शरद ऋतु का संधिकाल होता है. इस अवसर पर श्रद्धालु विभिन्न प्रकार से पूजा अर्चना कर अपने आंतरिक उर्जा को जागृत करने के लिए तत्पर होते हैं.

By Rajeev Murarai Sinha Sinha | September 30, 2025 6:25 PM

बड़हिया. शारदीय नवरात्र माता दुर्गा की आराधना व भक्ति का महापर्व है. यह काल वर्षा एवं शरद ऋतु का संधिकाल होता है. इस अवसर पर श्रद्धालु विभिन्न प्रकार से पूजा अर्चना कर अपने आंतरिक उर्जा को जागृत करने के लिए तत्पर होते हैं. नवरात्रि में संयम व साधना की तपस्या से मनोवांछित फल प्राप्त होता है. इसके लिए आचार विभाग एवं आहार विभाग दोनों को संयमित रखना होता है. यम नियम के पालन से ही नवरात्रि की सार्थकता संभव है. उक्त बातें मंगलवार को बड़हिया मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर परिसर में संस्कृत शिक्षक सह कर्मकांड व ज्योतिष के जानकार पीयूष कुमार झा ने दुर्गा माता के उपासकों को कही. श्री झा ने कहा कि यम के अंतर्गत अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह आते हैं. जिसके पालन से ही भक्ति भाव का समावेश हो सकता है. नियम के अंतर्गत शुद्धता, संतोष, तपस्या, स्वाध्याय एवं ईश्वर प्रणिधान आते हैं. इन दस आचार विभाग एवं सात्विक आहार नियम के पालन से ही नवरात्रि के अवसर पर विभिन्न प्रकार से पूजा अर्चना कर अपने आंतरिक ऊर्जा को जागृत किया जा सकता है. बिना यम नियम के पालन के सही तरीके से भक्ति नहीं हो सकती है. नवरात्रि के अंतिम दिन अपने अंदर की एक बुराई का परित्याग करना ही सच्चे रूप में बलिदान है. तभी हमारे भीतर संस्कारों की वृद्धि होगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है