चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी की हुई पूजा
देर शाम मंदिर में आरती के लिए श्रद्धालु की भीड़ लगी रही
खगड़िया. बुधवार को नवरात्रि का चौथा दिन था, जिसमें मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी की पूजा-अर्चना और ध्यान किया गया. ज्योतिषाचार्य डॉक्टर शुभम सावर्ण के अनुसार, देवी दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां कुष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है. मां कुष्मांडा सूर्य के समान तेज हैं. मां कुष्मांडा की विधिवत पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है. मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है. मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है. संस्कृत में कुम्हड़े को कुष्मांडा कहते हैं, इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कुष्मांडा कहा जाता है. मां सिंह की सवारी करती हैं. मान्यताओं के अनुसार, कुष्मांडा माता की पूजा करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और वे जीवन में सफलता, समृद्धि और खुशहाली की ओर आगे बढ़ते हैं. ऐसे में नवरात्रि के चौथे दिन भक्त पूरे भक्ति भाव से कुष्मांडा माता की पूजा-अर्चना कर, उनके नाम का उपवास रखते हैं. जबकि आज चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता की पूजा और अर्चना की जाती है. भगवान स्कंद कुमार (कार्तिकेय) की माता होने के कारण दुर्गा जी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता नाम प्राप्त हुआ है. माना जाता है कि मां दुर्गा का यह रूप अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है और उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखाता है. देर शाम मंदिर में आरती के लिए श्रद्धालु की भीड़ लगी रही. सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं. देर शाम तक भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ. श्रद्धालुओं ने पूरे उत्साह से भाग लिया.
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