बीड़ी में सुलग रहा बचपन बिलख रही महिलाएं

गोगरी में पढ़ने लिखने की बजाय बीड़ी बना रहे बच्चे, पेट चलाने के लिये महिलाएं भी करती हैं यही काम... परिवार के भरण-पोषण के लिए बीड़ी बनाना मजबूरी, कई पुस्त से चला आ रहा बीड़ी बनाने का कारोबार गोगरी : जिसके हाथ में किताब-कॉपी रहना चाहिये वह बीड़ी बना रहा है. नगर पंचायत गोगरी के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2017 5:48 AM

गोगरी में पढ़ने लिखने की बजाय बीड़ी बना रहे बच्चे, पेट चलाने के लिये महिलाएं भी करती हैं यही काम

परिवार के भरण-पोषण के लिए बीड़ी बनाना मजबूरी, कई पुस्त से चला आ रहा बीड़ी बनाने का कारोबार
गोगरी : जिसके हाथ में किताब-कॉपी रहना चाहिये वह बीड़ी बना रहा है. नगर पंचायत गोगरी के वार्ड 10 के अधिकांश महिलाएं,बच्चे और बूढ़े बीड़ी बनाकर पेट पाल रहे हैं. यहां के महिलाएं एक झुण्ड बनाकर बीडी बनाने का काम करती है. जिसके सहारे होने वाली आमदनी पर अपना जीवन यापन करती हैं. आजादी के बाद से ही इस गांव में बीड़ी बनाना जारी है. बताया जाता है कि खगड़िया सहित आसपास के जिले में में प्रति सप्ताह करीब तीन लाख बीड़ी सप्लाई किया जाता है. मात्र 35 रुपये के लिए 8 -10 घंटा काम करती है. यहां की कामगारों को सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी तक नहीं है. मौके पर तसरुल खातून,
मूकबधिर नूरजहां खातून आदि अपने बच्चे के साथ बीड़ी बनाती है. लेकिन मेहनत के अनुसार मजदूरी नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार दूसरे रोजगार उपलब्ध करवा देगी तो वह क्यों बीड़ी बनायेगी. -56 वर्षीय चिंता देवी ने कहा -बीड़ी बनाना मैंने अपने सास -ससुर से सिखा. शादी के बाद से ही नियमित बीड़ी बना रहे हैं. प्रति दिन पांच सौ बीड़ी बनाकर 35 रुपये अर्जित कर लेती हूं. सप्लायर घर तक बीड़ी लेने आते हैं. एक मलाल है कि मेहनत के अनुसार कीमत नहीं मिलता.