Kaimur News : छह माह में 10 चिकित्सकों की पोस्टिंग, पर काम कर रहे तीन

सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पताल चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं.

By PRABHANJAY KUMAR | June 16, 2025 9:08 PM

भभुआ कार्यालय. सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पताल चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति की बात करनी तो दूर की बात है, अगर जिले के सबसे बड़े हॉस्पिटल सदर अस्पताल की बात करें तो यहां भी सामान्य चिकित्सक या फिर विशेषज्ञ चिकित्सक दोनों की घोर कमी है. स्थिति यह है कि भभुआ के सदर अस्पताल में एमडी मेडिसिन का एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं हैं, जिले में एक भी मेडिसिन के विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद नहीं हैं. चिकित्सकों की इस तरह की घोर कमी से जूझ रहे जिले में अगर स्वास्थ्य विभाग पटना की मेहरबानी से कुछ चिकित्सकों की पोस्टिंग होती भी है, तो वह या तो यहां योगदान नहीं करते हैं या फिर लंबी छुट्टी पर चले जाते हैं या जुगाड़ लगाकर यहां से ट्रांसफर करा लेते हैं. ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि अगर पिछले छह महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह आंकड़े स्पष्ट रूप से यह बता रहे हैं कि चिकित्सकों के घोर कमी के बीच यहां जिन चिकित्सकों की पोस्टिंग हो भी रही है, वह यहां पर रहकर इलाज करने को तैयार नहीं हैं. पिछले छह महीने में जिलेभर में 10 चिकित्सकों की पोस्टिंग की गयी, लेकिन उनमें मात्र तीन चिकित्सक ही योगदान कर काम कर रहे हैं, जबकि शेष सात चिकित्सक या तो लंबी छुट्टी पर चले गये हैं या यहां पर योगदान ही नहीं किये हैं. ऐसे में कैमूर जिले में चिकित्सकों की कमी फिलहाल दूर होती नजर नहीं आ रही है. = दो उच्चतर शिक्षा के लिए, तो दो योगदान करके हैं छुट्टी पर पिछले छह महीने में कैमूर जिले में 10 चिकित्सकों की पोस्टिंग हुई थी, जिसमें तीन चिकित्सक ही योगदान करके अपना काम कर रहे हैं, उनमें सदर अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ रंजन कुमार प्रकाश, सदर अस्पताल में ही एमडी पैथोलॉजी मनीष कुमार भास्कर व संविदा प्रवाहक स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ मनीषा नारायण हैं. इसके अलावा पंकज कुमार सिंह की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चांद में सामान्य चिकित्सक के रूप में पोस्टिंग हुई थी, योगदान करने के बाद वह दो बार छुट्टी लिये और उसके बाद से वह आज तक गायब हैं. इसी तरह से डॉ रंजीत कुमार की दुर्गावती में सामान्य चिकित्सक के रूप में पोस्टिंग हुई थी, वह भी योगदान करने के बाद से ही छुट्टी लेकर गये तो आज तक नहीं लौटे. मोहनिया अनुमंडलीय अस्पताल में डॉक्टर श्रुति का शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में पोस्टिंग हुई थी, वह योगदान करने के बाद उच्चतर शिक्षा के लिए चली गयीं. अमित कुमार तिवारी का मोहनिया अस्पताल में सामान्य चिकित्सक के रूप में पोस्टिंग हुई थी, वह भी योगदान करके लंबी छुट्टी पर हैं. नेहा सवर्ण की भगवानपुर में सामान्य चिकित्सक के रूप में पोस्टिंग हुई थी, वह योगदान करने के बाद चाइल्ड केयर लीव पर चली गयी. सदर अस्पताल में सामान्य चिकित्सक के रूप में पूजा कुमारी की पोस्टिंग हुई थी, वह योगदान करने के बाद से ही उच्चतर शिक्षा के लिए चली गयी है. इस तरह से कुछ चिकित्सक उच्चतर शिक्षा, चाइल्ड केयर लीव सहित अन्य छुट्टी पर हैं, तो कुछ बगैर बताये योगदान करने के बाद से गायब हैं. = सर्जन की पोस्टिंग हुई, तो योगदान ही नहीं किया स्वास्थ्य विभाग पटना द्वारा सदर अस्पताल में एक भी सर्जन चिकित्सक नहीं होने के कारण पिछले दिनों डॉक्टर पार्थ सारथी नाम की एक चिकित्सक की पोस्टिंग की गयी थी, लेकिन उन्होंने भी योगदान नहीं किया है. उनके योगदान नहीं करने के कारण सदर अस्पताल में एक भी सर्जन डॉक्टर नहीं है. प्रखंडों से एक चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति की गयी है, इस प्रतिनियुक्ति के सहारे जिले भर की सर्जरी है. आप ऐसे में समझ सकते हैं कि सदर अस्पताल कितना सर्जरी करता होगा और जिले में सरकारी अस्पताल में कितने लोगों की सर्जरी हो पाती हैं. वहीं चिकित्सकों के नहीं होने के कारण लोग झोलाछाप डॉक्टरों के यहां सर्जरी करने को विवश हैं और इसी विवशता में उनकी आये दिन मौत हो रही है. = 226 चिकित्सकों के हैं पद, 97 ही हैं कार्यरत जिलेभर में विशेषज्ञ व सामान्य चिकित्सक मिलकर 226 चिकित्सकों का पद है, लेकिन इसमें मात्र 97 चिकित्सक ही वर्तमान में कार्यरत हैं. 129 चिकित्सकों का पद खाली है. मतलब आधे से अधिक चिकित्सकों का पद खाली है. ऐसे में दो-चार चिकित्सकों की पोस्टिंग रेगिस्तान में दो-चार बूंद पानी की तरह है, लेकिन वह भी चिकित्सा योगदान नहीं कर रहे हैं और अगर योगदान कर रहे हैं तो आधे से अधिक योगदान करने के बाद लंबी छुट्टी पर चले जा रहे हैं. इससे चिकित्सकों की कमी दूर नहीं हो पा रही है. इसका खामियाजा स्पष्ट रूप से मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. = सीट भी फुल और चिकित्सक भी गायब सबसे बड़ी बात यह है कि जो चिकित्सक योगदान देने के बाद लंबी छुट्टी पर चले जा रहे हैं, उच्चतर शिक्षा के लिए छुट्टी पर चले जा रहे हैं, उनके जाने से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि विभाग के रिकॉर्ड में वह चिकित्सक जिले में कार्यरत हैं और उक्त चिकित्सक का पद भरा हुआ है. लेकिन वास्तव में जिले में वह कार्य कर ही नहीं रहा है. वह लंबी छुट्टी पर है. विभाग के रिकॉर्ड में उक्त पद पर चिकित्सक कार्यरत है और जमीनी हकीकत है कि वह चिकित्सक लंबे समय से गायब है. ऐसा नहीं है कि यह कोई पहली बार हुआ है कि चिकित्सक योगदान करके गायब हो गये है. इससे पहले भी जब कभी चिकित्सकों की इस जिले में पोस्टिंग होती है, तो उसमें 10 में एक दो चिकित्सक ही योगदान करके काम करते हैं. हमेशा साथ आठ चिकित्सक योगदान करने के बाद या तो लंबी छुट्टी पर चले जाते हैं या फिर योगदान ही नहीं करते हैं. = राजधानी के नजदीक खूब होती है चिकित्सकों की पोस्टिंग पटना के आसपास के जिलों में चिकित्सकों की खूब पोस्टिंग होती है. वहां पर पोस्टिंग करने के लिए चिकित्सक इच्छुक भी रहते हैं. क्योंकि वहां से राजधानी पटना काफी नजदीक है. चिकित्सा राजधानी के आसपास ही रहना चाहते हैं. इसलिए आसपास के जिलों में पोस्टिंग करने के लिए व पोस्टिंग होने के बाद वहां पर योगदान भी करते हैं. लेकिन अगर पटना से दूर कैमूर जैसे जिले में पोस्टिंग होती है, तो चिकित्सक या तो योगदान नहीं करते और अगर योगदान करते भी हैं तो योगदान करने के बाद लंबी छुट्टी पर चले जाते हैं. = क्या कहते हैं सिविल सर्जन सिविल सर्जन चंदेश्वरी रजक ने बताया कि हाल के दिनों में योगदान करने वाले पांच चिकित्सक योगदान करने के बाद बगैर बताये गायब है. वहीं, सदर अस्पताल में एक चिकित्सक द्वारा योगदान ही नहीं किया गया है. निश्चित रूप से चिकित्सकों की पहले से कमी है और इस बीच जिन चिकित्सकों की विभाग से पोस्टिंग की जा रही है उनके योगदान नहीं करने से और परेशानी बढ़ जा रही है. = जिले में चिकित्सकों के पद जिले में चिकित्सकों के कुल पद = 226 जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद = 114 जिले में सामान्य चिकित्सकों के पद = 112 जिले में चिकित्सकों के खाली पद = 129 जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों के खाली पद = 96 जिले में सामान्य चिकित्सकों के खाली पद = 33

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