Kaimur News : खजुरा से लेकर कर्मनाशा तक बनारस जाने वाले लेने में वाहनों का लगा रहा जाम
गुरुवार की सुबह खजुरा बॉर्डर से लेकर कर्मनाशा बाजार तक बनारस जाने वाले लेने में दो किलोमीटर दूर तक वाहनों का जाम लगा रहा.
कर्मनाशा. यूपी-बिहार बॉर्डर के सीमावर्ती क्षेत्र में बालू लदे वाहनों का चक्का जीटी रोड पर थम जाने से गुरुवार की सुबह खजुरा बॉर्डर से लेकर कर्मनाशा बाजार तक बनारस जाने वाले लेने में दो किलोमीटर दूर तक वाहनों का जाम लगा रहा. इसके कारण बनारस जाने वाले चारचक्का व बसों को राॅन्ग साइड से होकर गंतव्य की ओर रवाना होना पड़ा. राॅन्ग साइड से वाहनों के परिचालन से सुबह के वक्त घटना-दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है. थोड़ी सी असावधानी बरतने पर घटना-दुर्घटना घट जाती है. दरअसल, बिहार के सोन नदी का बालू की डिमांड यूपी की मंडियों में अत्यधिक है. इसलिए बिहार के डेहरी ऑनसोन, औरंगाबाद सहित अन्य जगहों से बालू लोडकर काफी संख्या में ट्रकें यूपी के विभिन्न मंडियों में पहुंचते हैं. लेकिन, बालू लदे वाहनों को चालान कर्मनाशा तक ही मिलता है. इसके कारण बालू लदे ट्रकें बॉर्डर पर आकर रुक जाते हैं और खनन विभाग का ऑनलाइन आइएसटीपी चालान कटाकर यूपी सीमा में प्रवेश करते हैं. लेकिन, कभी-कभी खनन विभाग का सर्वर डाउन हो जाता है, तो घंटों आइएसटीपी चालान नहीं कट पता है. इसके कारण बालू लदे ट्रकों का चक्का जीटी रोड पर ही घंटों थमा रहे जाता है. दूसरी तरफ बहुत से बालू लदी गाड़ियां खनन विभाग का आइएसटीपी चालान काटना नहीं चाहते हैं और वे खनन विभाग के अधिकारियों का लोकेशन लेकर पार करना चाहते हैं. वैसे गाड़ियों की संख्या अत्यधिक होती है और जब तक यूपी के खनन अधिकारी सड़क पर रहते हैं, तब तक बालू लदे ट्रकों का चक्का बिहार सीमा में थमा रह जाता है. खनन विभाग का इएसटीपी नहीं काटने वाले ट्रकों को करीब 3700 रुपये बच जाता है. लेकिन बालू लदे ट्रकों का चक्का थम जाने से सीमावर्ती क्षेत्र में जाम की समस्या से लोगों को रूबरू होना पड़ता है. वहीं, घटना दुर्घटना होने की संभावना प्रबल हो जाती है. जीटी रोड पर घंटों खड़े रहते बालू लदे वाहन -जीटी रोड पर वाहनों के खड़े होने से आये दिन घटना दुर्घटना हो रहे हैं. इसके बावजूद चालक जीटी रोड पर ही घंटों वाहन खड़े कर दे रहे हैं. जबकि यातायात हाइवे पेट्रोलिंग पार्टी, एनएचएआइ की टीम, पुलिस प्रशासन व गश्ती पुलिस दल कहीं न कहीं रोड पर ही दिखायी देती है, लेकिन कार्रवाई नहीं होने से बालू लदे वाहन जीटी रोड पर ही खड़े दिखते हैं. इसमें बालू लदे वाहनों की संख्या सबसे अधिक होती है. दरअसल, जीटी रोड पर वाहनों के खड़े रहने से घटना दुर्घटना आये दिन होते रहते हैं. सबसे ज्यादा बालू लदे वाहन चिपली से लेकर यूपी बिहार बॉर्डर खजुरा तक जीटी रोड पर खड़े देखने को हमेशा मिल जाते हैं और जरा सी भी चूक होने पर घटनाएं हो जाती है. बालू लदे वाहनों के चालक जीटी रोड पर ही खड़ा कर यूपी के खनन विभाग का आइएसटीपी चालान कटाने चले जाते हैं. यूपी खनन विभाग का आइएसटीपी चालान कटाने के लिए बॉर्डर से लेकर चिपली तक लोग अपना अपना काउंटर खोलकर बैठे हैं और बिहार से यूपी जाने वाले बालू लदे वाहनों के पास चालान कर्मनाशा तक ही रहता है और यूपी में जाने के लिए यूपी के खनन विभाग का चालान उनके पास नहीं होता है .वह बॉर्डर पर आकर ऑनलाइन आइएसटीपी कटा कर यूपी के अलग-अलग मंडियों में पहुंचते हैं. हालांकि बहुत से बालू लदे वाहन चालक जीटी रोड पर घंटों इसलिए खड़े हो जाते हैं कि वह आइएसटीपी चालान भी नहीं कटाना चाहते हैं और खनन विभाग के अधिकारियों का लोकेशन लेकर पैसा बचना चाहते हैं और जैसे ही यूपी के खनन विभाग के अधिकारी रोड से हटते हैं गंतव्य को रवाना हो जाते है. कुल मिलाकर बिहार के पुलिस पदाधिकारी व एनएचएआइ की टीम का ध्यान इस गंभीर समस्या की ओर नहीं है. जबकि, अभी दो दिन पहले ही छज्जूपुर के पास खड़े गिट्टी लदे एक डंपर में एक कार भिड़ गयी थी. इसमें कार चालक की मौत हो गयी थी. इसी तरह आये दिन रोड पर खड़े वाहनों के चलते लोगों की जान चली जाती है. फिर भी चालक सड़कों पर ही वाहनों को खड़ा कर होटलों में चाय व भोजन करने चले जाते हैं. व बालू लदे चालक आइएसटीपी चालान कटाने चले जाते है. इसके कारण जीटी रोड पर अक्सर बॉर्डर इलाके में जाम लग जाता है तथा घटना-दुर्घटना होने की संभावना हमेशा बनी रहती है. क्योंकि, बालू लदे ट्रकें बॉर्डर क्षेत्र में आकर आड़े तिरछे व जीटी रोड पर ही खड़े कर देते हैं.
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