Buxar News: वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गणपति पूजन के साथ हुआ विजयादशमी महोत्सव का श्रीगणेश
ऐतिहासिक किला मैदान स्थित विशाल मंच पर रविवार को 22 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव का विधिवत शुभारंभ हो गया.
बक्सर.
ऐतिहासिक किला मैदान स्थित विशाल मंच पर रविवार को 22 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव का विधिवत शुभारंभ हो गया. श्री गणेश पूजन के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महोत्सव का उद्घाटन बसांव पीठ के पीठाधीश्वर श्री अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज एवं नई बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के महंत श्री राजाराम शरण दास जी द्वारा संयुक्त रूप से पूजन व आशीर्वचनों के साथ हुआ. बाइस दिवसीय महोत्सव का समापन 5 अक्टूबर को प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक लीला के साथ होगा. इस बीच वृंदावन के लीला मंडल द्वारा दिन में श्रीकृष्ण लीला एवं रात में श्रीराम लीला का मंचन किया जाएगा. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रामावतार पांडेय ने मुख्य यजमान के रूप में भगवान गणेश जी व अन्य देवताओं का विधिवत पूजन व आरती की रस्म निभायी. जिले के प्रतिष्ठित विद्वान डॉ नारायण जी शास्त्री व अन्य सहयोगी आचार्यों की अगुवाई में किए गए पूजन के दौरान बसांव मठ से पधारे वेदपाठी छात्रों के वैदिक मंत्रोच्चार से समारोह आबाद हो गया. बारी-बारी से साझे तौर पर मंच संचालन की जवाबदेही समिति के सचिव बैकुण्ठनाथ शर्मा व कथा वाचक डॉ. रामनाथ ओझा ने निभाई, जबकि धन्यवाद ज्ञापन की रस्म समिति के कोषाध्यक्ष सुरेश संगम ने पूरी की. समिति के संयुक्त सचिव सह मीडिया प्रभारी हरिशंकर गुप्ता ने बताया कि 15 सितम्बर से रामलीला मंच पर प्रतिदिन दिन में 10 बजे से श्री कृष्ण लीला और रात्रि 8 बजे से श्री रामलीला का कार्यक्रम होगा. कार्यक्रम में बक्सर सांसद सुधाकर सिंह, राजपुर विधायक विश्वनाथ राम, नगर परिषद के चेयरमैन प्रतिनिधि नियामतुल्लाह फरीदी, आरएसएस के प्रांत कार्यवाह राजेन्द्र प्रसाद, नगर कार्यवाह ओम प्रकाश वर्मा, राजद जिलाध्यक्ष शेषनाथ सिंह, अमित पाण्डेय, संतोष रंजन राय, अमरेन्द्र पाण्डेय व पुरुषोत्तम मिश्रा सहित प्रतिष्ठित समाजसेवी, साहित्यकार, व्यवसायी एवं राजनीतिक हस्तियां मौजूद रहीं.शिव विवाह प्रसंग का मंचनमहोत्सव के पहले दिन वृंदावन से पधारे सर्वश्रेष्ठ रामलीला मंडल श्री राधा माधव रासलीला एवं रामलीला लीला संस्थान के स्वामी श्री सुरेश उपाध्याय ”व्यासजी” के निर्देशन में 22 दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम दिन “श्री गणेश पूजन एवं शिव विवाह ” प्रसंग का मंचन किया गया. जिसमें दिखाया गया कि सती और बाबा भोलेनाथ ऋषि अगस्त के यहां रामकथा श्रवण करते हैं. इसके बाद सती श्रीराम की परीक्षा लेने वन में पहुंच जाती है जहां श्रीराम उनको पहचान जाते हैं और भोलेनाथ जी का समाचार पूछते हैं. वहां मां सती लज्जित होकर अपनी आंखें बंद कर लेतीं हैं और उन्हें चारों तरफ राम, लक्ष्मण और सीता के प्रतिबिंब दिखाई देने लगते हैं. वहां से लौटने के बाद भोलेनाथ जी सती से परीक्षा की बात पूछते हैं, मगर सती उनसे पूरी बात छिपा लेती हैं. हालांकि भोलेनाथ ध्यान करके सभी बातों को जान जाते हैं. दूसरी तरफ सती के पिता दक्ष यज्ञ का आयोजन करते हैं और भोलेनाथ को निमंत्रण नहीं देते हैं. यह सुनकर सती बिना बुलाए अपने पिता दक्ष के यज्ञ में पहुंचती है और अपने पति भोलेनाथ को वहाँ नहीं बुलाने की बात पर यज्ञ कुण्ड में कूद जाती हैं. सती का जन्म हिमालय के पुत्री पार्वती के रूप में होता है. नारद जी के वचन के अनुसार शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए पार्वती जी कठोर तप करती हैं, अंत में शिव जी और पार्वती जी का विवाह संपन्न होता है.
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