पंचकोशी मेला : भारतीय ज्ञान और लोक समाज की यात्रा का एक उत्सव
पंचकोशी मेला पर भारतीय ज्ञान और लोक समाज की यात्रा का एक उत्सव विषय पर सोमवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र दिल्ली में एक सेमिनार का आयोजन किया गया.
बक्सर. पंचकोशी मेला पर भारतीय ज्ञान और लोक समाज की यात्रा का एक उत्सव विषय पर सोमवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र दिल्ली में एक सेमिनार का आयोजन किया गया. यह जानकारी क्रिएटिव हिस्ट्री ट्रस्ट से जुड़े जेएनयू के प्रो देवेंद्र चौबे ने दी. उन्होंने बताया कि बक्सर क्षेत्र के पांच गावों में चल पंचकोशी मेला (यात्रा) पर बुद्धजीवियों ने अपना-अपना विचार प्रस्तुत की. उन्होंने कहा कि बिहार के बक्सर क्षेत्र में अहिरौली, नदांव, भभुअर, नुआंव और बक्सर में बारी बारी से पांच दिनों तक लगने वाला यह पंचकोशी मेला भरातीय ज्ञान परंपरा और लोक समाज की उसमें भागीदारी के इतिहास का एक रुप भी हैं. इस क्षेत्र के अधिकांश गांवों के नाम इस क्षेत्र में प्राचीन काल में चिंतन मनन कराने वाले ऋषियों के नाम पर हैं; जैसे, च्यवन ऋषि के नाम पर चौसा, जहां 1538 में चौसा युद्ध हुआ. इसी प्रकार, भार्गव ऋषि के नाम पर भभुअर, नारद के नाम पर नदांव, पराशर ऋषि के नाम पर गांव परसिया. उन्होंने कहा कि यह लोक समाज के एक बड़े इतिहास की तरफ संकेत भी हैं जो विवेकशील दृष्टि से विचार करने की मांग करता है. इस वर्ष यह मेला 9 से 13 नवंबर 2025 तक चलेगा, जिस पर समाज विज्ञान की दृष्टि से भी विचार करने की जरूरत है. क्रिएटिव हिस्ट्री समूह से जुड़े अध्येयता भी इस पर गंभीरता से कार्य कर रहे हैं.
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