विश्व साइकिल दिवस विशेष. 67 साल के अनादि दास आज भी 240 रुपये की साइकिल की करते हैं सवारी
विश्व साइकिल दिवस पर विशेष प्रस्तुति.
– पचास सालों से चला रहे हैं साइकिल, हर दिन बरारी से कोर्ट आते हैं अपनी साइकिल सेललित किशोर मिश्र, भागलपुरआधुनिकता के इस दौर में इलेक्ट्रिक साइकिल, गीयर वाली साइकिल समेत कई माडर्न साइकिल सड़कों पर दौड़ती नजर आती है. मगर, 67 वर्षीय अनादि प्रसाद दास के लिए पचास साल पहले महज 240 रुपये में खरीदी गयी साइकिल से आज भी बेहतर है. वह इसी साइकिल की सवारी करते हुए रोजाना कार्यस्थल आते-जाते हैं. वह रोजाना साइकिल के कैरियर पर अपनी शार्ट- हैंड टाइपिंग मशीन बांध कर बरारी स्थित घर से कचहरी पहुंचते हैं फिर इसी तरह लौटते हैं. वह तीस वर्षों से बरारी रेलवे कॉलोनी में रह रहे हैं.
समय व अनुशासन के पाबंद अनादि प्रसाद दास ने अपनी साइकिल का साथ कभी नहीं छोड़ा है. जिंदगी में कई उतार- चढ़ाव देखने वाले इस शख्स का अपनी साइकिल से बेहद लगाव है. हर दिन साइकिल की सफाई करते हैं, कभी अपने साइकिल को पराया नहीं माना, उसे हमेशा परिवार के सदस्य की तरह माना.
– बेगूसराय में खरीदी थी साइकिल
अनादि प्रसाद दास का पैत्रिक घर शाहकुंड के खैरा गांव में है. वह बेगूसराय में अपने बड़े भाई के साथ रहते थे. उस समय 240 रुपये में साइकिल खरीदी थी. हालांकि, उनके बेटे के पास बाइक है, लेकिन आज तक साइकिल छोड़कर किसी दूसरे गाड़ी को यूज नहीं किया. वो कहते हैं. पचास साल से अधिक समय से साइकिल चला रहे हैं.साइकिल चलाने से शरीर स्वस्थ रहता है
भागलपुर. बरहपुरा निवासी सादिक हसन 60 से ज्यादा उम्र में भी साइकिल चलाना नहीं छोड़ा है. हालांकि, उनके पास बाइक भी है. लेकिन साइकिल को ही अपना बेस्ट सवारी बताते हैं. सादिक हसन ने बताया कि बचपन से लेकर अबतक साइकिल चलाते आ रहे हैं. इसका फायदा है कि शरीर स्वास्थ्य है. साइकिल नहीं चलाने पर महसूस होता है कि मेहनत ही नहीं किया है. बहुत इमरजेंसी पर ही बाइक का उपयोग करते हैं. ज्यादातर साइकिल की ही सवारी करते है.
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