bhagalpur news. प्रदेश में जीआइ उत्पाद में कतरनी की डिमांड दूसरे स्थान पर

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर से अब तक पांच क्रॉप को जीआइ टैग मिला, जिसमें मगध क्षेत्र का मशहूर मगही पान का सबसे अधिक क्रेज लोगों के बीच है, तो कतरनी राइस का दूसरे स्थान पर. जिन क्रॉप को जीआइ टैग मिला है, उसके व्यापार के लिए व ब्रांडिंग में सहायक बनने के लिए जीआइ नंबर मिला है

By ATUL KUMAR | May 10, 2025 1:49 AM

भागलपुर बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर से अब तक पांच क्रॉप को जीआइ टैग मिला, जिसमें मगध क्षेत्र का मशहूर मगही पान का सबसे अधिक क्रेज लोगों के बीच है, तो कतरनी राइस का दूसरे स्थान पर. जिन क्रॉप को जीआइ टैग मिला है, उसके व्यापार के लिए व ब्रांडिंग में सहायक बनने के लिए जीआइ नंबर मिला है. बीएयू सबौर प्रशासन की ओर से 1247 लोगों को पांच क्रॉप का यूजर्स नंबर प्रदान किया गया है. शाही लीची के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए 25 लोग, मिथिला मखाना के लिए 67 लोग व भागलपुरी जर्दालू के लिए 91 लोगों ने नंबर लिया है. सबसे अधिक नंबर मगही पान के लिए, तो इसके बाद कतरनी प्रोडक्ट के लिए लिया गया है. भागलपुरी जर्दालू भी तीसरे स्थान पर है. ऐसे में भागलपुर व अंग क्षेत्र का दो-दो प्रोडक्ट जीआइ टैग मिलने के बाद लोगों के बीच अपना प्रभाव बढ़ा चुका है.

मार्केटिंग व पैकेजिंग को मिला बढ़ावा

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान सह वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार ने कहा कि जब से जीआइ टैग मिला है, तब से कतरनी की मार्केटिंग के लिए पैकेजिंग करने वाले लोगों की संख्या बढ़ गयी है. कतरनी यूजर्स ने ग्रुप भी बनाया है. प्रचार-प्रसार से डिमांड बढ़ गयी और अब देश के विभिन्न कोने-कोने में कतरनी चूड़ा व चावल की मांग बढ़ गयी. दरअसल, भागलपुरी कतरनी की खुशबू खास है. यह वासमती से अलग है.

कतरनी का बढ़ गया खेती का दायरा

बीएयू के पौधा प्रजनन विभाग के कनीय वैज्ञानिक डॉ मंकेश कुमार ने बताया कि कतरनी उत्पादक प्रक्षेत्र अंतर्गत तीन जिलों भागलपुर, बांका व मुंगेर में 800 हेक्टेयर से बढ़कर 1700 हेक्टेयर में खेती हो गयी. ऐसे में पिछले पांच वर्षों से बीएयू के सहयोग से भागलपुर कतरनी उत्पादक संघ की ओर से दाेगुना रकबा बढ़ाने का लक्ष्य पूरा हो गया. मुंगेर में 200, बांका में 600, जबकि भागलपुर में 800 से 1000 हेक्टेयर तक रकबा बढ़ाने का लक्ष्य था, जो कि पूरा हो गया.

इन क्षेत्रों में होती है कतरनी की खेती

भागलपुरी कतरनी उत्पादक संघ के अध्यक्ष सुबोध चौधरी ने बताया कि मुंगेर, बांका और भागलपुर में 800 हेक्टेयर में कतरनी की खेती हो रही थी. इसे दोगुना करने की तैयारी पहले से थी, जिसे किसानों ने दो साल पहले स्वीकार कर लिया. जगदीशपुर के प्रगतिशील कतरनी उत्पादक किसान राजशेखर ने बताया कि इसे लेकर उनकी पत्नी खुशबू कुमारी और मुंगेर के सुबोध चौधरी राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुके है.

कोट:

यूजर्स को जीआइ नंबर मिलता है, जिससे संबंधित फसल का व्यापार कर सकता है. बीएयू की ओर से भी जीआइ टैग वाले क्रॉप को जीआइ नंबर प्रदान किया जा रहा है, ताकि व्यापार को बढ़ावा मिल सके. कतरनी पर लगातार रिसर्च जारी है. किसानों की सुविधा का ख्याल किया जा रहा है. कतरनी भागलपुर में उत्पादित विशेष क्रॉप है. जीआइ टैग क्रॉप में जीआइ नंबर लेने वाले लोगों में दूसरे स्थान पर भी है.

डॉ दुनियाराम सिंह, कुलपति, बीएयू, सबौर

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