जिला परिवहन विभाग का पहिया जाम, नई व पुरानी गाड़ी खरीद कर चक्कर काट रहे लोग

जिला परिवहन कार्यालय का हालात अत्यंत खराब हो गया है. परिवहन कार्यों की बोझ संभाल रहा परिवहन विभाग का पहिया जाम होकर रह गया है.

By SATISH KUMAR | August 7, 2025 6:33 PM

प्रभात खबर एक्सक्लूसिव

अवध किशोर तिवारी, बेतिया

जिला परिवहन कार्यालय का हालात अत्यंत खराब हो गया है. परिवहन कार्यों की बोझ संभाल रहा परिवहन विभाग का पहिया जाम होकर रह गया है. कारण कि अधिकारियों की अनुपस्थिति से यहां आमजनों का कामकाज प्रभावित है. नतीजा आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

परिवहन कार्यालय में कार्यों को गति देने के लिए राज्य सरकार ने तीन मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआई) की नियुक्ति की थी, लेकिन वर्तमान में इनमें से एक बीमार है, दूसरे और तीसरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है. हालांकि तीसरे एमवीआई को प्राथमिकी दर्ज होने के पूर्व हीं अन्य आरोपों में राज्य सरकार ने उन्हें राज्य मुख्यालय में तलब कर लिया है. नतीजतन, पिछले दो महीनों से कार्यालय में वाहनों का हस्तांतरण, फिटनेस सर्टिफिकेट, परमिट, और नए रजिस्ट्रेशन जैसे सभी प्रमुख कार्य पूरी तरह ठप पड़े हैं. बताते है कि जिले के वाहन विक्रेताओं को वाहनों का रजिस्ट्रेशन नंबर जारी करने के लिए यूजर आईडी दे दिया गया है. उन्हें विभिन्न स्तर के सीरीज का नंबर भी अलॉट है, लेकिन वाहन विक्रेताओं द्वारा बिक्री किये गये वाहनों के कागजात परिवहन कार्यालय में ही जमा होते है. जिसमें कागजातों की सम्यक जांच के बाद एमवीआई एवं डीटीओ मिलकर जब अपने यूजर आईडी से एप्रुवल देते है तभी नये बिक्री किये गये वाहनों का रजिस्ट्रेशन पक्का माना जाता है और वाहन स्वामियों के लिए स्मार्ट कार्ड परिवहन कार्यालय से जारी किया जाता है.

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नये वाहन खरीद पर भी नहीं मिल रहा यूजर

नये वाहन की खरीदारी किये विकास कुमार बताते है कि उन्होंने वाहन तो खरीद कर ली. एजेंसी की ओर से नंबर भी अलॉट कर दिया गया है, लेकिन परिवहन विभाग की ओर से जारी स्मार्ट कार्ड या यूजर नही मिलने से वे अपने वाहन को जिले से बाहर नही ले जा पा रहे है। उन्हें डर है कि यदि वे दूसरे राज्य या जिला में ले गये और कागजातों की जांच हुई तो ऑनलाइन उनका स्वामित्व नहीं शो करेगा.

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पुराने वाहनों की हस्तांतरण की प्रक्रिया रुकी

पुराने वाहनों की बिक्री करने या खरीदारी करनेवाले स्वामियों के साथ भी कमोवेश यही हाल है. उनके वाहनों के स्वामित्व हस्तांतरण की प्रक्रिया रुकी हुई है. वहीं वाणिज्यिक और निजी वाहनों की फिटनेस जांच नहीं हो रही, जिसके कारण वाहन मालिक परमिट नवीकरण या संचालन में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. वाणिज्यिक वाहनों के लिए परमिट जारी करना और नवीकरण बंद है.

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नहीं मिल रहे फिटनेस सर्टिफिकेट

वाहन मालिकों, खासकर वाणिज्यिक वाहन चालकों (जैसे टैक्सी, बस, और ट्रक मालिकों) को परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट के अभाव में वाहन संचालन में कानूनी दिक्कतें आ रही हैं. आमजनों का कहना है कि एमवीआई की अनुपस्थिति के बावजूद तत्काल कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है.

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यह कामकाज है प्रभावित

* प्रति माह 1000 से अधिक वाहनों की होती है बिक्री, नहीं मिल रहा स्मार्टकार्ड

* प्रति माह औसतन 100 से अधिक पुराना वाहनों की होता है हस्तांतरण, बंद है प्रक्रिया

* ड्राइविंग लाइसेंस के लिए प्रति माह 500 से अधिक आते हैं आवेदन, नहीं मिल रहा डीएल

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कोट…

कार्यालय में उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए स्वयं उनके द्वारा और जिलाधिकारी के माध्यम से भी राज्य सरकार को पत्राचार किया गया है. जल्द ही व्यवस्था दुरूस्त कर ली जाएगी.

ललन प्रसाद, जिला परिवहन पदाधिकारी

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