रामनगर के तत्कालीन थानाध्यक्ष, रिटायर्ड डीएसपी व चिकित्सक की गिरफ्तारी के आदेश
सरकारी अधिकारियों के मनमाने रवैये से पीड़ितों को न्याय मिलने में विलंब हो रहा है.

बेतिया. सरकारी अधिकारियों के मनमाने रवैये से पीड़ितों को न्याय मिलने में विलंब हो रहा है. बगहा सिविल कोर्ट से अमूमन हर रोज ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमें सरकारी पदाधिकारी गवाही के लिए हाजिर ही नहीं हो रहे हैं और न्याय का इंतजार लंबा होता जा रहा है. ताजा मामला रामनगर थाना क्षेत्र के बडगो में वर्ष 2010 में हुए मुसाफिर हत्याकांड का है. इस मामले में बीते सात वर्षों में कई बार नोटिस व वारंट जारी होने के बाद भी केस के आइओ रामनगर के तत्कालीन थाना प्रभारी कृष्णानंद झा, वाल्मीकिनगर थाना के तत्कालीन दारोगा सह रिटायर्ड डीएसपी भगीरथ प्रसाद व बगहा अनुमंडलीय अस्पताल के डॉ आरपी सिंह हाजिर नहीं हुए है. मामले में गुरूवार को सुनवाई करते हुए बगहा सिविल कोर्ट के जिला जज चतुर्थ मानवेंद्र मिश्र ने इसपर कड़ा रूख अपनाया और इन तीनों के खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश जारी कर दिया. हालांकि अभियोजन पदाधिकारी ने उक्त दोनों पुलिस पदाधिकारियों के यहां से स्थानांतरण का हवाला देते हुए एक और अवसर देने की मांग की. जबकि बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने 7 वर्ष के भीतर अभियोजन की ओर से एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करने का हवाला देते हुए साक्ष्य का अवसर समाप्त करने की मांग की. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपने जारी आदेश में बगहा एसपी को निर्देशित करते हुए उक्त तीनों साक्षियों की गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है. वहीं अभियोजन पदाधिकारी से स्पष्ट कहा है कि अगली तिथि में यदि उक्त साक्षी कोर्ट में हाजिर नहीं होते हैं, तो गृह सचिव बिहार सरकार एवं पुलिस महानिदेशक पटना को विधि सम्मत कार्यावाही के लिए सम्पूर्ण मामलों से अवगत कराया जाएगा. ———————- 2010 में हुई थी मुसाफिर की हत्या बता दें कि वर्ष 2010 में रामनगर थाना क्षेत्र के बडगो निवासी मुसाफिर चौधरी की हत्या कर दी गई थी. मामले में मुसाफिर चौधरी की पत्नी शांती देवी ने बांगुर मियां सहित तीन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है. कोर्ट में इसका ट्रायल चल रहा है. जिसमें अब तक कुल 06 साक्षियों का साक्ष्य हो चुका है. प्रभारी कृष्णानंद झा, रिटायर्ड डीएसपी भगीरथ प्रसाद व चिकित्सक डॉ आरपी सिंह का साक्ष्य बाकी है.
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