जिंदगी देने आई थी मौत गले लगाकर लौट गई अजहर की नगमा

गुरुवार की दोपहर नरकटियागंज अनुमंडलीय अस्पताल में सब कुछ सामान्य चल रहा था. ओपीडी से लेकर लेबर रूम तक डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी अपने कार्य में व्यस्त थे. लेकिन करीब 1:30 बजे जैसे ही रोआरी गांव की नगमा खातून की मौत की खबर आई, अस्पताल का माहौल अचानक मातम और उग्रता में बदल गया.

By SATISH KUMAR | July 31, 2025 6:49 PM

सतीश कुमार पांडेय, नरकटियागंजगुरुवार की दोपहर नरकटियागंज अनुमंडलीय अस्पताल में सब कुछ सामान्य चल रहा था. ओपीडी से लेकर लेबर रूम तक डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी अपने कार्य में व्यस्त थे. लेकिन करीब 1:30 बजे जैसे ही रोआरी गांव की नगमा खातून की मौत की खबर आई, अस्पताल का माहौल अचानक मातम और उग्रता में बदल गया. नगमा की मौत की सूचना मिलते ही अस्पताल परिसर में कोहराम मच गया. मृतका के परिजन गुस्से में बेकाबू हो गए और देखते ही देखते अस्पताल में जमकर उत्पात मचाने लगे. गुस्साए लोगों ने लेबर रूम के शीशे तोड़ डाले और अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों व नर्सों को खोजते हुए हंगामा किया. कई स्वास्थ्यकर्मियों को जान बचाकर इधर-उधर भागना पड़ा.इस हंगामे का सबसे भयावह असर उन महिलाओं पर पड़ा, जो प्रसव के लिए अस्पताल पहुंची थीं. पिपरा दिउलिया की रेश्मा खातून, पुरैना की कसीरन खातून, शिवगंज की रागनी कुमारी, सोनासती की तारा खातून समेत लगभग दस प्रसूताओं को जान बचाकर भागना पड़ा. वहीं, इमरजेंसी में तैनात डॉ. अबरार आलम व जीएनएम किरण, मोनी व वर्षा को भी अपनी जान बचानी पड़ी.

नगमा की चीख सुनता रहा अस्पताल, पर कोई नहीं आया

परिजनों ने बताया कि सुबह 5:30 बजे नगमा को पहली बार अस्पताल लाया गया था. डॉक्टरों ने तब कहा कि समय है, इसलिए वे उसे घर वापस ले गए दोपहर 12:30 बजे फिर उसे अस्पताल लाया गया. लगभग 1 बजे नगमा ने बेटे को जन्म दिया, लेकिन खुद प्रसव पीड़ा से जूझती हुई दम तोड़ गई.पति अजहर बेहोश हो रहे थे, वहीं नगमा की मां, सास और ननद अस्पताल परिसर में चीख-चीखकर विलाप कर रही थीं. उनका कहना था कि नगमा की चीखें प्रसव कक्ष से बाहर तक आ रही थीं, लेकिन कोई डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचा.

ड्यूटी रोस्टर बना गुस्से की चिंगारी

नगमा की मौत के बाद परिजन जब लेबर रूम के बाहर चिपके महिला डॉक्टरों के ड्यूटी रोस्टर को देखे तो आगबबूला हो गए. उन्होंने कहा कि रोस्टर पर नाम होते हुए भी ड्यूटी पर डॉक्टर नहीं थे. आरोप लगाया गया कि डॉ. गजाला प्रवीण का नाम रोस्टर में था, लेकिन वे अस्पताल में मौजूद नहीं थीं. स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकतर महिला चिकित्सक अपने निजी क्लीनिकों में व्यस्त रहते हैं. परिजनों ने कहा कि अगर नगमा को किसी निजी क्लीनिक में ले जाते, तो शायद उसकी जान बच जाती.

शव भेजा गया पोस्टमार्टम को, तोड़फोड़ पर केस दर्ज

घटना की जानकारी मिलते ही शिकारपुर थाने की पुलिस अस्पताल पहुंची. पुलिस ने नगमा का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जीएमसीएच बेतिया भेजा. थानाध्यक्ष ज्वाला सिंह ने बताया कि अस्पताल प्रशासन की ओर से तोड़फोड़ की शिकायत मिली है और आगे की कार्रवाई की जा रही है.

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