Aurangabad News: मौसम की मार झेल रहे खेतिहरों को अब नयी राह की दरकार
Aurangabad News:गर्मी में आसमान में उमड़-घुमड़ रहे बादल, प्रकृति की निगाहें बेरूखी
औरंगाबाद/कुटुंबा. जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निबटना किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है. प्राकृतिक संसाधनों को अत्यधिक दोहन हो रहा है. जलवायु परिवर्तन में अनिश्चिता आ गयी है. इस वजह से मौसम का मिजाज बदल रहा है. प्रकृति की निगाहें दिन प्रतिदिन क्रूर होती जा रही है. ग्रीष्म ॠतु में बरसात जैसे आसमान में कारे-कजरारे बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं. बेमौसम बारिश हो रही है. किसान समझ नहीं पाते हैं उन्हे क्या करना है, क्या नहीं. अन्नदाताओं को अपने उपज संजोने की चिंता सताने लगती है. वर्तमान में मौसम का मिजाज ठीक नहीं रह रहा है. अनियमित मौसम सूखा बाढ़ व तापमान में वृद्धि ने किसानों के सामने संकट खड़ा कर दिया है. मिट्टी की उर्वरता व फसल की उपज पर जलवायु प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. गर्मी के मौसम में टिड्डियों और अन्य कीटों का प्रकोप बढ़ने से फसलों को भारी क्षति हो रही है. ऐसे में खेती घाटे की सौदा बन गया है. मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए कम अवधि वाली फसलों को अपनाने की जरूरत है. यह अनियमित मॉनसून के प्रभाव को कम करती हैं. वर्षा जल संचयन, ड्रिप सिंचाई, चेक डैम और तालाब निर्माण जैसे जल प्रबंधन उपायों से पानी का कुशल उपयोग संभव है. इससे भूजल दोहन को नियंत्रित किया जा सकता है. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, फसल चक्र और मिश्रित खेती को बढ़ावा देना जरूरी है. आम नागरिक को निजी जमीन से लेकर सरकारी भूमि पर पौधारोपण करने की जरूरत है.इससे कुछ तक हद तक निजात मिल सकती है.
तेज हवा के झोके के साथ पड़ रहे बौछारे
अभी किसानों के खेत व खलिहान में गेहूं के बोझे दिख रहे हैं. उन्हे फसल की थ्रेसिंग करानी है. मौसम साथ नहीं दे रहा है. बेमौसमी बारिश से पशु चारा भी खराब हो रहा है. वर्तमान की बारिश से गर्मा सब्जी फसल को भारी नुकसान हुआ है. लत्तर वाली सब्जी खराब हो रही है. फलों में सड़न रोग लग रहा है. शनिवार की शाम में जिले के दक्षिण भूभाग में जमकर बारिश हुई. हालांकि, सांख्यिकी विभाग का रिपोर्ट शून्य बता रहा है. बेमौसम बारिश से ग्रामीण क्षेत्रो में जिनके घरो में शादी-विवाह मांगलिक कार्य होने है उनकी मुश्किले बढ़ती नजर आ रही है. ऐसे मौसम से पशुपालक चिंतित है. मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लग रही है. हालांकि, तापमान में कमी से लोगों को हीटवेब से राहत मिली है.
क्या बताते हैं मौसम वैज्ञानिक
मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार ने बताया जलवायु परिवर्तन के जिम्मेदार मनुष्य हैं. मानवीय गतिविधियों से जलवायु परिवर्तन में अनिश्चिता आयी है. ग्रिन हाउस गैसों का उत्सर्जन, कोयला, इंधन, गैस आदि के जलाए जाने से जलवायु पर असर पड़ रहा है. ये गैसें पृथ्वी के वातावरण में गर्मी को रोकती है, जिससे तापमान बढ़ता है. वनो की कटाई, प्लास्टिक एसी, कूलर, फ्रिज आदि के प्रयोग प्राकृतिक सरंचना को बिगाड़ता है. इसके अलावा रसायन का प्रयोग भी जलवायु को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने बताया कि अभी तीन चार दिनों तक इसी तरह का मौसम रहेगा. 17 मई को मेघगर्जन के साथ बारिश होने की संभावना जतायी जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
