जकात आर्थिक न्याय व दौलत की पाकीजगी के लिए जरूरी

ढाई प्रतिशत जकात निकालना है

By MRIGENDRA MANI SINGH | March 16, 2025 9:10 PM

-2- प्रतिनिधि, अररिया मजहब ए इस्लाम की पांच बुनियादी रूक्न है जिसमें तौहीद यानी कलमा, नमाज, हज रोजा व जकात. इन पांच बुनियादी चीजों में जकात भी एक अहम रूक्न है. इस संबंध में इस्लामिक मामलों के जानकार सह स्कॉलर मौलाना अरशद कबीर खाकान मुजाहिरी नाजिम मदरसा नूरुल मारिफ मौलाना अली मियां नगर दियागंज अररिया व हिमाचल में एक बड़े मदरसा के संस्थापक मौलाना कबीर उद्दीन फ़ारान ने जकात को लेकर खास बातचीत कर पूरी जानकारी दी है. मौलाना ने बताया कि अभी रमजानुल मुबारक का पाक महीना चल रहा है. इस माहे मुबारक का पहला असरा रहमत का मुकम्मल हो चुका है. अब दूसरा असरा मगफिरत का चल रहा है. इसके बाद तीसरा असरा जहन्नुम से निजात का शुरू होगा. मौलाना अरशद कबीर खाकान व मौलाना कबीर उद्दीन फ़ारान ने जकात के बारे में बताते हुए कहा कि इस्लाम की पांच बुनियादी चीजों में जकात भी एक अहम रूक्न है. ये पांचवां और एक खास इबादत है.सामाजिक फलाह का एक बुनियादी सतून है. ये दौलत के मुंसफना तकसीम ,आर्थिक न्याय, गरीबों व जरूरतमंदों के लिए एक मजबूत जरिया है. जकात सिर्फ एक माली फ़रीज़ा ही नहीं बल्कि इस्लामिक अर्थव्यवस्था और समाज की पाकीज़गी का एक जरिया भी है. जकात के बारे में मुख्य रूप से दो बातों की चर्चा की है ,एक तो जकात क्या है. कितना जकात निकालना चाहिए इसको लेकर मौलाना अरशद ने बताया कि जकात इस्लाम की एक आर्थिक व्यवस्था है जो सभी साहिबे निसाब पर फ़र्ज़ है. दूसरा कितनी राशि निकलनी है. इसपर उन्होंने बताया कि वैसे लोगों पर जकात फर्ज है. जिनके पास भी कम से कम 87,5 ग्राम सोना व 613 ग्राम चांदी हो या इतने के बराबर नगदी हो वैसे लोगों पर जकात निकालना फर्ज है. अपनी वार्षिक आमदनी का साल भर खर्च करने के बाद जो राशि बच जाती है. उसका ढाई प्रतिशत जकात निकालना है. जैसे साल में एक लाख बच जाता है तो ढाई हजार जकात निकाल देना है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है