जिला जेल अररिया में 418 विचाराधीन कैदी, 379 को मिली कानूनी सहायता
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में जिला विधिक सेवा प्राधिकार अररिया ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है.
एशियन लॉ कॉलेज के छात्र अनस रहमानी की आरटीआइ से हुआ खुलासा अररिया. सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में जिला विधिक सेवा प्राधिकार अररिया ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है. यह आरटीआइ एशियन लॉ कॉलेज के कानूनी छात्र अनस रहमानी द्वारा 26 जून 2025 को दाखिल की गयी थी. उन्होंने जिला जेल अररिया में बंद गरीब विचाराधीन कैदियों को दी जा रही कानूनी सहायता से जुड़ी जानकारी मांगी थी. आरटीआइ के जवाब में बताया गया कि एक अप्रैल 2024 से 30 जून 2025 तक अररिया जिला कारा में कुल 418 विचाराधीन कैदी बंद थे. इनमें से 379 कैदियों को विधिक सहायता मंच व माननीय न्यायालय के माध्यम से मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की गयी, जबकि 39 कैदियों की ओर से कोई अधिवक्ता नियुक्त नहीं किया गया. प्राधिकार ने यह भी स्पष्ट किया कि विचाराधीन कैदियों की अपराध की श्रेणी, सामाजिक स्थिति या आर्थिक पृष्ठभूमि से जुड़ी विस्तृत जानकारी उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. कुछ सूचनाएं गोपनीय श्रेणी की हैं, जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. अनस रहमानी एशियन लॉ कॉलेज में विधि के छात्र हैं, उनकी यह पहल न केवल न्यायिक पारदर्शिता की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे एक जागरूक छात्र समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा में अहम भूमिका निभा सकता है. जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने आश्वस्त किया है कि ऐसे कैदी, जो निजी अधिवक्ता नहीं रख सकते, उन्हें एलएसए के पैनल अधिवक्ताओं के माध्यम से विधिक सहायता उपलब्ध करायी जा रही हैं.
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