हद से ज्यादा भावुक हुए मैथ्यू हेडेन, जिसने क्रिकेट का क ख ग घ सिखाया, वही दुनिया छोड़ गया

Matthew Hayden pays tribute to Bob Simpson : पूर्व ओपनर मैथ्यू हेडन ने 89 वर्ष की उम्र में सिडनी में निधन हुए ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और कोच बॉब सिम्पसन को श्रद्धांजलि दी. 1990 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को नई ऊँचाई देने वाले सिम्पसन ने हेडन जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को तराशा. हेडन ने कहा, सिम्पसन ने उन्हें स्पिनरों के खिलाफ स्वीप शॉट खेलने की कला सिखाई थी.

By Anant Narayan Shukla | August 16, 2025 2:11 PM

Mathew Hayden pays tribute to Bob Simpson : पूर्व ओपनर मैथ्यू हेडन ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और कोच बॉब सिम्पसन को श्रद्धांजलि दी, जिनका 89 वर्ष की उम्र में सिडनी में निधन हो गया. सिम्पसन 1990 के दशक में ऑस्ट्रेलिया को क्रिकेट जगत की चोटी पर पहुँचाने में एक अहम किरदार रहे. जब एलन बॉर्डर की कप्तानी वाली टीम लगातार हार झेल रही थी और तीन साल तक कोई जीत नहीं मिली थी, तब सिम्पसन ने ऑस्ट्रेलिया की कमान फुल-टाइम कोच के रूप में संभाली. मैथ्यू हेडन सिम्पसन की ही खोज थे, उन्होंने सिम्पसन के निधन पर अपने करियर में उनके प्रभाव पर बात की. हेडेन ने भावुक नोट लिखते हुए बताया कि कैसे सिम्पसन ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का भविष्य गढ़ने में योगदान दिया. विदाई देते हुए हेडन ने खुलासा किया कि सिम्पसन ने ही उन्हें स्पिनरों के खिलाफ स्वीप शॉट खेलने की कला सिखाई थी. 

हेडन ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “बॉब सिम्पसन, ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के सच्चे दिग्गज अब हमारे बीच नहीं रहे. महान बल्लेबाज, प्रेरणादायी कप्तान, कोच और मेंटर, उनकी विरासत ने क्रिकेटरों की कई पीढ़ियों और हमारे इस महान खेल की आत्मा को आकार दिया. क्रीज से लेकर ड्रेसिंग रूम तक, सिमो की समझ, जज्बा और क्रिकेट के प्रति प्रेम ने अमिट छाप छोड़ी. उन्होंने न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया को फिर से महानता दिलाई बल्कि अनगिनत खिलाड़ियों को भी निखारा.”

हेडन ने आगे लिखा, “मैं उन भाग्यशाली खिलाड़ियों में से था जिसने स्वीप शॉट को स्पिन गेंदबाज़ी के खिलाफ हथियार बनाना उनसे सीखा. उनकी लेजेंडरी फील्डिंग सेशंस चाहे वह बैट के पास हों, स्लिप में हों या आउटफील्ड में, उन्होंने मेरी फील्डिंग के प्रति प्रेम को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया. आज हम एक दिग्गज को अलविदा कहते हैं, लेकिन उनका असर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की कहानी में हमेशा जिंदा रहेगा. बॉब सिम्पसन ए.ओ., आपको शांति मिले.”

सिम्पसन के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया ने टीम को नया जीवन देने के लिए युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताया और डेविड बून, डीन जोन्स, स्टीव वॉ, क्रेग मैकडरमॉट, मर्व ह्यूज जैसे कई खिलाड़ियों को डेब्यू का मौका दिया. 1987 में चयन पैनल का हिस्सा रहते हुए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की ‘गोल्डन जनरेशन’ की पहचान में अहम भूमिका निभाई. मार्क टेलर, इयान हीली, मार्क वॉ, शेन वॉर्न, जस्टिन लैंगर, मैथ्यू हेडन, डेमियन मार्टिन, ग्लेन मैक्ग्रा और रिकी पोंटिंग जैसे खिलाड़ियों का चयन भी सिम्पसन ने किया था. उन्होंने 1996 में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के कोच का पद छोड़ा.

सिम्पसन के कोचिंग करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक 1987 का क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतना था, जो भारत और पाकिस्तान की मेजबानी में हुआ था. कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेले गए रोमांचक फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 7 रन से हराकर अपना पहला वर्ल्ड कप जीता था. उनके कोचिंग करियर में ही ऑस्ट्रेलिया अपने घर में लगातार 19 टेस्ट मैचों में जीत दर्ज कर विश्व क्रिकेट का बादशाह बना था. 

सिम्पसन की मृत्यु पर सौरव गांगुली ने भी संवेदनाएं प्रस्तुत कीं. उन्होंने ट्विटर पर अपने पुराने समय को याद करते हुए उन्हें जेंटलमैन बताया. गांगुली ने लिखा, RIP बॉब सिम्पसन… 1999 विश्व कप की यादें और लंकाशायर में आपके साथ बिताया मेरा समय हमेशा मेरे दिल और यादों में रहेगा. आप पूरे दिल से एक सच्चे जेंटलमैन थे.”

लेग स्पिनिंग ऑलराउंडर से करियर की शुरुआत करने वाले बॉब सिम्पसन बाद में एक बेहतरीन ओपनिंग बल्लेबाज और शानदार स्लिप फील्डर के रूप में उभरे. उन्होंने 1957 से 1978 तक ऑस्ट्रेलिया के लिए 62 टेस्ट मैच खेले और 46.81 की औसत से 4,869 रन बनाए. उनका टेस्ट करियर 1957 में दक्षिण अफ्रीका दौरे से शुरू हुआ था. 

इंग्लैंड के खिलाफ 1964 में ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट में उन्होंने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ 311 रन बनाए. गेंदबाजी में उन्होंने कुल 71 विकेट हासिल किए, जिसमें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 5/57 रहा. कप्तान के तौर पर सिम्पसन ने 39 टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलियाई टीम का नेतृत्व किया, जिसमें 12 जीत, 12 हार और 15 ड्रॉ शामिल रहे. इसके अलावा, उन्होंने 2 वनडे मैच भी खेले, जिनमें 36 रन बनाए और 2 विकेट झटके.

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