Posh Putrada Ekadashi: कल है पुत्रदा एकादशी का व्रत, जानिए दिन, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत नियम और इसका महत्व…

Posh Putrada Ekadashi: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. पंचांग के अनुसार महीने में दो एकादशी तिथियां होती हैं. वहीं, एक साल में 24 एकादशी तिथियां होती है. एकादशी तिथि का महत्व इसलिए अधिक होता है क्योंकि इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा की जाती है. एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2021 11:59 AM

Posh Putrada Ekadashi: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. पंचांग के अनुसार महीने में दो एकादशी तिथियां होती हैं. वहीं, एक साल में 24 एकादशी तिथियां होती है. एकादशी तिथि का महत्व इसलिए अधिक होता है क्योंकि इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा की जाती है. एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. प्रत्येक एकादशी को अलग-अलग नाम से जाना जाता है. वहीं, पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व कुछ अलग ही है. पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भक्त पुत्र की प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत रहने पर संतान की प्राप्ति होती है. इस साल ये व्रत 24 जनवरी को रखा जाएगा…

जानें शुभ मुहूर्त

व्रत की शुरुआत 23 जनवरी दिन शनिवार रात के 8 बजकर 56 मिनट से शुरू

व्रत का समापन 24 जनवरी दिन रविवार के दिन रात 10 बजकर 57 मिनट तक

पारण का समय 25 जनवरी दिन सोमवार सुबह 7 बजकर 13 मिनट से 9 बजकर 21 मिनट तक

पूजा विधि

सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत हो जाएं. स्नान करने के बाद पूजा घर में बैठें और साफ-सफाई करें. एकादशी तिथि से एक दिन पूर्व ही सात्विक भोजन ग्रहण करना शुरू कर दें. भगवान विष्णु की पूजा के लिए उनकी तस्वीर के समक्ष दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें. उनका अभिषेक करें, फिर चंदन, सिंदूर, फूल आदि से पूजा करें और उन्हें प्रसाद चढ़ाएं. इसके बाद दिन भर व्रत रखें. इस दौरान अपनी क्षमता के अनुसार दान-दक्षिणा करें.

व्रत नियम

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जो भी दंपति संतान प्राप्ति को इच्छुक हैं, उन्हें इस एकादशी का व्रत रखना चाहिए. व्रत रख कर उन्हें भगवान कृष्ण के बाल रूप की अराधना करनी चाहिए. इसके बाद पंचामृत का भोग लगाना शुभ फलदायी माना जाता है. साथ ही, इस व्रत के दिन तामसिक भोजन करने से बचें.

पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व

एकादशी तिथि के दिन भक्त संतान प्राप्ति की कामना करते है और उनकी लंबी आयु के लिए व्रत रखते हैं. मान्यता है कि इस दिन निर्जला और निराहार रहकर व्रत रखने से संतान संबंधी दिक्कतें दूर होती है. निः संतान या संतान सुख पाने की इच्छा रखने वाले दंपतियों को ये व्रत अवश्य रखना चाहिए. माना जाता है कि अगर दंपति साथ मिलकर इस दिन पूजा करें या फिर व्रत रखें, तो इसका प्रभाव अधिक फलदायी होता है.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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