Pitru Paksha Tarpan: पितृ पक्ष में ऐसे करें पितृ तर्पण, जानें सही विधि

Pitru Paksha Tarpan: पितृ पक्ष में पितृ तर्पण का महत्व अत्यधिक है. इस दौरान अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए सही विधि से तर्पण करना चाहिए. तर्पण से पितृ दोष दूर होता है और घर में सुख-शांति एवं समृद्धि बनी रहती है.

By Shaurya Punj | September 9, 2025 11:39 AM

Pitru Paksha Tarpan: बीते 7 सितंबर 2025 से पितृ पक्ष शुरू हो गया है और यह 21 सितंबर तक चलेगा. इस पवित्र समय में अपने पूर्वजों को याद करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तथा तर्पण करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, यदि पितृ प्रसन्न रहते हैं तो परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है. पितृ पक्ष में श्राद्ध-तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है. परंपरा के अनुसार, तीन पीढ़ियों तक श्राद्ध करना शुभ माना गया है. इसमें पिता को वसु देवता, दादा को रुद्र देवता और परदादा को आदित्य देवता के रूप में पूजने की प्रथा है. इस प्रकार पितृ पक्ष न केवल पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि यह घर और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि भी लाता है.

पितृ पक्ष, हिंदू धर्म में एक बहुत ही पवित्र समय होता है. यह हमारे पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है. इस दौरान किया जाने वाला पितृ तर्पण एक ऐसा अनुष्ठान है, जो पूर्वजों को तृप्त करके उनका आशीर्वाद दिलाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है.

तर्पण का सही समय और स्थान

तर्पण का अनुष्ठान अमावस्या या पितृ पक्ष की किसी भी तिथि पर किया जा सकता है. यह किसी नदी, तालाब या अन्य जल स्रोत के पास करना शुभ होता है, लेकिन अगर ऐसा संभव न हो तो आप घर पर भी यह विधि कर सकते हैं.

पितृ तर्पण की विधि

  • शुद्ध मन और सात्विक भोजन: तर्पण से पहले मन को शांत और शुद्ध रखें. इस दौरान सात्विक भोजन ही करें और तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांसाहार और मद्यपान से पूरी तरह बचें.
  • सामग्री: तर्पण के लिए तिल, जल, और तर्पण पात्र (जैसे एक लोटा या छोटा बर्तन) तैयार रखें.
  • पूर्वजों का स्मरण: तर्पण करते समय अपने पूर्वजों का नाम लेकर उनका ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद मांगे.
  • जल अर्पित करें: तिल और जल को एक पात्र में लेकर, दोनों हाथों से जल को पूर्वजों को अर्पित करें. ऐसा मानते हैं कि यह जल सीधे पितरों तक पहुंचता है.
  • भोजन और दान: तर्पण के बाद, घर में सात्विक भोजन तैयार करें और इसे श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान दें.

महत्वपूर्ण बातें

  • पूरे पितृ पक्ष में मन में श्रद्धा और भक्ति का भाव बनाए रखें.
  • तर्पण के बाद खुद भी सात्विक भोजन ही ग्रहण करें.
  • यह एक कर्मकांड नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति आदर और आभार व्यक्त करने का एक तरीका है.
  • सही विधि और सच्चे मन से किया गया तर्पण पूर्वजों को प्रसन्न करता है, और उनके आशीर्वाद से घर में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है.