Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष के दौरान घर में पूजा करें या नहीं, जानें मान्यता?
Pitru Paksha 2025: आपके मन में यह सवाल होगा कि पितृपक्ष के दौरान घर में देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए या नहीं. अगर पूजा करनी है, तो किन नियमों और विधियों का पालन करना चाहिए ताकि पितर भी प्रसन्न हों और उनके आशीर्वाद से घर में सुख-शांति बनी रहे.
Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय बहुत पवित्र माना जाता है. यह 16 दिनों की ऐसी अवधि है, जो हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए समर्पित है. इस दौरान मुख्य रूप से श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य जैसे कर्म किए जाते हैं. कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या पितृ पक्ष में सामान्य देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए या नहीं.
शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में पूजा करना न केवल शुभ, बल्कि अनिवार्य भी माना गया है. यह समय पितरों के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का है, और पूजा-पाठ के माध्यम से ही यह संभव हो पाता है. जब हम सच्चे मन से पूजा करते हैं, तो पूर्वज प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
पितृ पक्ष में पूजा और पितरों का स्मरण
ध्यान रखें कि जैसे हम रोज सुबह अपने घर में भगवान की पूजा करते हैं, वैसे ही पितृ पक्ष के दौरान भी नियमित रूप से आराधना करनी चाहिए. घर या मंदिर में पूजा करने के बाद पितरों का स्मरण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. भगवान को भोग अर्पित करते समय भी पूर्वजों का स्मरण करें. बार-बार स्मरण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से घर में सुख-शांति बनी रहती है.
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इसके अतिरिक्त, भगवान के भोग के साथ कुत्ता, कौवा और अन्य पक्षियों के लिए भी भोजन निकालें और सभी को ग्रहण करवाएं. ऐसा करने से पितरों की तृप्ति होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
- शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में पूजा करते समय कुछ विशेष बातों का पालन करना चाहिए:
- सादगी और पवित्रता: पूजा के दौरान आपका मन और वातावरण दोनों शुद्ध होना चाहिए. इस समय सात्विक भोजन ही ग्रहण करें और मांसाहार, प्याज, लहसुन और मद्यपान से पूरी तरह बचें.
- पूर्वजों का स्मरण: पूजा करते समय अपने पितरों का नाम लेकर उनका ध्यान करें और उनका आशीर्वाद माँगें. यह कर्म पितरों को तृप्त करता है और उन्हें शांति प्रदान करता है.
- सही दिशा: पूजा के लिए घर की ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) दिशा को सबसे शुभ माना जाता है. यदि यह संभव न हो, तो घर के किसी पवित्र स्थान का चयन करें.
- श्राद्ध और तर्पण का महत्व: पूजा के साथ-साथ श्राद्ध और तर्पण करना भी आवश्यक है. ये कर्म पितृ पक्ष के मूल स्तंभ हैं, जिनके बिना अनुष्ठान अधूरा माना जाता है.
- अगर किसी कारण से आप विधि-विधान से पूजा नहीं कर पाते हैं, तो भी मन से और श्रद्धा के साथ पूर्वजों को याद करना शुभ माना जाता है. पितृ पक्ष का उद्देश्य भौतिक सुखों से परे होकर अपने पूर्वजों के प्रति आभार व्यक्त करना है. इसलिए, इस समय में पूजा-पाठ को अधिक महत्व देना चाहिए.
