Paush Purnima 2026: नए साल के शुरूआत में ही पौष पूर्णिमा, जानें सही तिथि

Paush Purnima 2026: पौष पूर्णिमा हिंदू पंचांग का अत्यंत शुभ पर्व माना जाता है. इस दिन चंद्रमा का पूर्ण रूप सौभाग्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना गया है. स्नान, दान, पूजा और चंद्र अर्घ्य का विशेष महत्व इसे साल की सबसे पुण्यकारी पूर्णिमाओं में से एक बनाता है.

By Shaurya Punj | November 22, 2025 2:37 PM

Paush Purnima 2026: हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है, जिसे कई स्थानों पर शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण स्वरूप में आकाश में दिखाई देता है और इसे अत्यंत शुभ माना गया है. परंपरा के अनुसार, पौष पूर्णिमा पर स्नान, दान और सूर्यदेव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार जैसे तीर्थों में गंगा स्नान करने से पापों का क्षय होता है और मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है.

हर माह आने वाली पूर्णिमा को भक्त उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं. कई लोग इस पावन अवसर पर भगवान सत्यनारायण की कथा भी आयोजित करते हैं. लेकिन पौष और माघ की पूर्णिमा को विशेष रूप से अत्यधिक फलदायी माना गया है, क्योंकि यह आध्यात्मिक ऊर्जा, समृद्धि और मनोकामना-पूर्ति से जुड़ी हुई है.

पौष पूर्णिमा 2026 कब है?

  • हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 में पौष पूर्णिमा शनिवार, 3 जनवरी को मनाई जाएगी. इस दिन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पूरे प्रभाव में रहेगी.
  • पूर्णिमा प्रारंभ: 2 जनवरी, शाम 6:53 बजे
  • पूर्णिमा समाप्त: 3 जनवरी, दोपहर 3:32 बजे

शाकंभरी पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

राशिफल मान्यताओं और पुराणों के अनुसार पौष पूर्णिमा को शाकंभरी देवी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. स्कंद पुराण में बताया गया है कि इस दिन पवित्र नदियों—गंगा, यमुना या नर्मदा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मन में निर्मलता आती है. चंद्र देव को अर्घ्य देने से मानसिक तनाव और चंद्र दोष कम होते हैं.

ये भी देखें: नए साल में लगेंगे चार ग्रहण, जानें भारत में नजर आएंगे या नहीं

पूजा और व्रत का सही तरीका

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें, पानी में गंगाजल मिलाना शुभ माना गया है.
  • घर के मंदिर में दीप जलाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें.
  • व्रत रखने वाले पूरे दिन सात्विक भोजन का पालन करें.
  • विष्णुजी को प्रसाद में तुलसी अवश्य चढ़ाएं.
  • शाम में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को जल अर्पित करें.
  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और गर्म कपड़े दान करना कई गुना पुण्य प्रदान करता है.
  • गाय को भोजन कराना दुर्भाग्य और ग्रहदोषों को शांत करने वाला माना गया है.