Margashirsha Purnima 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व, जानें बत्तीसी पूर्णिमा से इसका संबंध

Margashirsha Purnima 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा यानीअगहन पूर्णिमा हिन्दू पंचांग में विशेष महत्व रखती है. यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा, व्रत और दान का प्रतीक है. बत्तीसी पूर्णिमा के साथ इसका संबंध इसे और भी खास बनाता है. इस दिन किए गए धार्मिक उपाय जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाते हैं.

By Shaurya Punj | December 3, 2025 8:46 AM

Margashirsha Purnima 2025: अगहन पूर्णिमा यानी मार्गशीर्ष पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार अगहन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है. इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा का विधान है. कहा जाता है कि अगहन पूर्णिमा पर किए गए व्रत, पूजा और दान के पुण्य फल जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति प्रदान करते हैं.

कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त

इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा कल यानी 04 दिसंबर 2025, गुरुवार के दिन रखा जाएगा.

सूर्य-चंद्र की विशेष स्थिति और लाभ

इस दिन सूर्य और चंद्र की विशेष स्थिति के कारण यह पूर्णिमा अन्य पूर्णिमाओं से अलग माना जाता है. धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि अगहन पूर्णिमा पर किए गए उपाय न केवल व्यक्तिगत जीवन को सुखद बनाते हैं, बल्कि परिवार में सामंजस्य और प्रेम को भी बढ़ाते हैं.

अगहन पूर्णिमा और बत्तीसी पूर्णिमा के बीच संबंध

अगहन पूर्णिमा और बत्तीसी पूर्णिमा के बीच भी खास संबंध है. बत्तीसी पूर्णिमा, जिसे चंद्रमा के विशेष प्रभाव के कारण चुंबकीय और सकारात्मक माना जाता है, अगहन पूर्णिमा के कुछ दिन बाद आती है. बत्तीसी पूर्णिमा पर भी व्रत और पूजा का महत्व है, और इसे अगहन पूर्णिमा की आध्यात्मिक ऊर्जा का विस्तार माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दौरान किए गए साधना और दान से जीवन में बाधाओं का निवारण होता है और सुख-समृद्धि आती है.

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अगहन पूर्णिमा पूजा, व्रत और शुभ उपाय

इस दिन लोग व्रत, ध्यान और मंत्र जाप के साथ-साथ गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना भी शुभ मानते हैं. घर और मंदिरों में दीप प्रज्वलित करना, गरीबों को भोजन देना और विशेष पूजा करना भाग्य और समृद्धि बढ़ाने का जरिया माना जाता है.

अतः अगहन पूर्णिमा केवल एक धार्मिक दिन नहीं, बल्कि आत्मा और परिवार के लिए सुख और ऊर्जा का स्रोत भी है. बत्तीसी पूर्णिमा के साथ इसका संबंध इसे और भी विशेष बनाता है. इस दिन की आध्यात्मिक महत्ता को समझकर किए गए उपाय जीवन में स्थायित्व, प्रेम और समृद्धि लेकर आते हैं.