Champa Shashti 2025: कब मनाई जाएगी चंपा षष्ठी, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Champa Shashti 2025: चंपा षष्ठी मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान कार्तिकेय और खंडोबा बाबा को समर्पित होता है. इस दिन विशेष पूजा, व्रत और सूर्य उपासना का महत्व माना जाता है. जानते हैं 2025 में चंपा षष्ठी की तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

By Shaurya Punj | November 18, 2025 12:40 PM

Champa Shashti 2025: मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला चंपा षष्ठी एक बेहद खास और पवित्र पर्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित माना जाता है. कई जगहों पर इस दिन खंडोबा बाबा की पूजा का भी खास महत्व है. खंडोबा बाबा को लोग मार्तण्ड भैरव और मल्हारी नामों से भी जानते हैं, जो कि शिवजी के ही अलग-अलग स्वरूप माने जाते हैं. अब जानते हैं चंपा षष्ठी 2025 की तारीख, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व.

Champa Shashti 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

  • साल 2025 में चंपा षष्ठी बुधवार, 26 नवंबर को मनाई जाएगी.
  • षष्ठी तिथि शुरू: 25 नवंबर 2025, रात 10:55 बजे
  • षष्ठी तिथि समाप्त: 26 नवंबर 2025, सुबह 11:55 बजे
  • इस समय के बीच भक्तजन व्रत, पूजा और भगवान कार्तिकेय की उपासना करते हैं.

चंपा षष्ठी का महत्व

चंपा षष्ठी का पर्व बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन किए गए खास पूजा-पाठ से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है. इस दिन मार्तण्ड भगवान सूर्य की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है. लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और सूर्योदय से पहले सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं. साथ ही, भक्तजन शिवजी का ध्यान करते हैं और शिवलिंग पर दूध, जल और गंगाजल चढ़ाते हैं. भगवान शिव को चंपा के फूल अर्पित करने की परंपरा भी है. माना जाता है कि इस फूल से शिवजी प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इसके अलावा, इस दिन भूमि पर सोने का भी विशेष महत्व है. कहा जाता है कि ऐसा करने से शरीर और मन दोनों पवित्र होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. चंपा षष्ठी की कथा और परंपराएँ कई जगहों पर स्कंद षष्ठी और खंडोबा देव से भी जुड़ी मानी जाती हैं.

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चंपा षष्ठी पूजा विधि

  • अगर आप इस दिन सही विधि से पूजा करना चाहें, तो यह आसान स्टेप्स फॉलो कर सकते हैं:
  • सबसे पहले अपना पूजा स्थान साफ करें.
  • भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र को लाल या पीले वस्त्र पर स्थापित करें.
  • अब एक कलश लें, उसमें पानी भरें, आम के पत्ते रखें और ऊपर नारियल रखें.
  • पूजा स्थल को फूलों, दीपक और रंगोली से सजाएँ.
  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें.
  • भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत का संकल्प लें.
  • पूजा सामग्री जैसे फूल, धूप, दीपक, कपूर आदि तैयार रखें.
  • भगवान कार्तिकेय की आरती करें और ध्यान लगाकर प्रार्थना करें.
  • पूजा के बाद चंपा षष्ठी की कथा सुनें या पढ़ें.
  • अंत में भगवान से अपने परिवार की शांति, समृद्धि और सुख की कामना करें.
  • इस श्रद्धा और भक्ति से की गई पूजा से मन को शांति मिलती है और भगवान कार्तिकेय का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.