क्या आपकी कुंडली में हैं सुखी वैवाहिक जीवन के संकेत? जानें विशेष योग

Astro Tips:यदि आपने अभी तक विवाह नहीं किया है, तो आप यह जानने के इच्छुक होंगे कि आपका वैवाहिक जीवन सुखद होगा या दुखद? यदि आपका विवाह हाल ही में हुआ है, तो भी आप इस विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि, यदि आपके विवाह को कुछ वर्ष हो चुके हैं, तो आप निश्चित रूप से यह जान चुके होंगे कि आपका वैवाहिक जीवन किस दिशा में जा रहा है. इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करें.

By Shaurya Punj | March 18, 2025 8:20 AM

Astro Tips for Married Life: सभी व्यक्तियों की यह इच्छा होती है कि उनका वैवाहिक जीवन सुखद हो और पति-पत्नी एक साथ मिलकर रहें. विवाह का संबंध हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. यदि वैवाहिक जीवन में विवाद उत्पन्न हो जाए, तो यह स्थिति बहुत कठिनाई पैदा कर सकती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सुखी वैवाहिक जीवन के लिए कई ग्रहों का अनुकूल होना आवश्यक है. वर्तमान समय में यह देखा जाता है कि लोग मित्रता या प्रेम के बाद 20 से 30 दिनों के भीतर विवाह के बंधन में बंध जाते हैं, जो कभी-कभी सुखी वैवाहिक जीवन के लिए समस्याएं उत्पन्न कर सकता है. इस लेख के माध्यम से हम आपको बता रहे हैं कि जन्मकुंडली में कुल बारह भाव होते हैं, जिनका प्रभाव अलग-अलग होता है. कुंडली का पांचवां भाव प्रेम संबंधों को दर्शाता है, जबकि सातवां भाव वैवाहिक जीवन का संकेत देता है.

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए ग्रहों का महत्व

सुखद वैवाहिक जीवन के निर्माण में ग्रहों की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण होती है. पुरुष की कुंडली में शुक्र और महिला की कुंडली में गुरु का विशेष स्थान होता है. इन दोनों ग्रहों का शुभ स्थिति में होना आवश्यक है. यदि जन्मकुंडली के सप्तम भाव में चंद्रमा, शुक्र या गुरु जैसे शुभ ग्रह उपस्थित हैं, तो यह वैवाहिक जीवन में सुख और संतोष प्रदान करते हैं, जिससे पति-पत्नी दोनों प्रसन्न रहते हैं.

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जन्मकुंडली के केंद्र और त्रिकोण में शुभ ग्रहों की उपस्थिति

जब जन्मकुंडली के केंद्र और त्रिकोण में गुरु, चंद्रमा और शुक्र जैसे शुभ ग्रह होते हैं, तो वैवाहिक जीवन सुखद रहता है. हालांकि, यदि गुरु, शुक्र या चंद्रमा नीच स्थान पर या शत्रु राशि में स्थित हैं, तो कभी-कभी वैवाहिक जीवन में विवाद उत्पन्न हो सकते हैं.

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आवश्यक योग

  • सप्तमेश या शुक्र की वृहस्पति के साथ युति या वृहस्पति से दृष्टि हो.
  • यदि पुरुष की कुंडली में शुक्र और स्त्री की कुंडली में मंगल पीड़ित नहीं हैं, तो यह सुखद वैवाहिक जीवन की ओर ले जाता है.
  • जब पंचमेश या नवमेश का शुक्र पर दृष्टि होती है, तो वैवाहिक जीवन में सफलता प्राप्त होती है.
  • यदि सातवें भाव में कोई अशुभ ग्रह उपस्थित है, तो भी वह वैवाहिक जीवन में तनाव उत्पन्न कर सकता है.
  • लग्नेश का सप्तमेश के निकट होना वैवाहिक जीवन को सुखद बनाता है.
  • यदि सप्तमेश से दूसरे, सातवें और ग्यारहवें भाव में शुभ ग्रह स्थित हैं, और लग्नेश तथा सप्तमेश नवमांस कुंडली में छठे, आठवें, बारहवें या दूसरे भाव में हैं, तो वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847