50% टैरिफ की धमकी देकर भारत से क्या चाहते हैं ट्रंप, जिसे मानने को तैयार नहीं है सरकार; जानिए पूरी बात
Trump Tariffs India : भारत और अमेरिका के संबंध अभी जिस ओर जा रहे हैं, उसमें ट्रंप ने अपने पूर्व राष्ट्रपति निक्सन की याद दिला दी है, हालांकि भारत और अमेरिका के संबंध अभी वैसे नहीं हुए हैं जैसे कि निक्सन के दौर में थे. ट्रंप, अमेरिकी टैरिफ के जरिए भारत को धमकाना चाहते हैं और यह सोच रहे हैं कि भारत उनकी दबाव की राजनीति के आगे नतमस्तक हो जाएगा. लेकिन यह उनकी कोरी कल्पना है, यह बात प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने अपने किसानों के हित की बात करके साबित कर दी है.
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Trump Tariffs India : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 90 देशों पर लगाएं गए टैरिफ लागू हो गए हैं. 7 अगस्त से अमेरिकी टैरिफ को लागू होना था. टैरिफ लागू होने पर ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, आधी रात हो गई है! अरबों डॉलर के टैरिफ अब संयुक्त राज्य अमेरिका में आ रहे हैं! ट्रंप ने यह भी कहा है कि अरबों डॉलर, उन देशों से आएंगे जिन्होंने कई सालों तक संयुक्त राज्य अमेरिका का फायदा उठाया है. अमेरिका ने भारत पर भी 25% टैरिफ लगाया था, जिसे बुधवार को बढ़ाकर 50% कर दिया गया है.यह अतिरिक्त 25% टैरिफ 21 दिनों के बाद लागू होगा. हालांकि भारत ने इस फैसले को अविवेकपूर्ण निर्णिय बताया है. अमेरिकी टैरिफ पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएम मोदी ने कहा है कि किसानों का हित भारत की पहली प्राथमिकता है और भारत किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेंगे,चाहे इसके लिए उसे आर्थिक परिणाम ही क्यों न भुगतने पड़ें.
किस बात को लेकर बौखलाया हुआ है अमेरिका
अमेरिका, यह चाहता है कि भारत अपनी नीतियों को इस तरह निर्धारित करे कि वह अमेरिका के पक्ष में हों. भारत और रूस के मैत्रीपूर्ण संबंधों और व्यापार से भी उसे दिक्कत है. वह लगातार भारत पर इस बात के लिए दबाव बना रहा है कि वह रूस से तेल ना खरीदे. अमेरिका का यह कहना है कि रूस से तेल खरीदकर भारत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उसके लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है. अमेरिका का यह मानना है कि रूस से तेल खरीदकर भारत, रूस को यूक्रेन के साथ युद्ध के लिए एक तरह से फंड उपलब्ध करा रहा है. अमेरिका की बेचैनी की एक बड़ी वजह यह भी है कि भारत उसके लिए अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को नहीं खोल रहा है, जबकि अमेरिका इसके लिए दबाव बनाया हुआ है. भारत लगातार इस बात को मजबूती के साथ रख रहा है कि उसके अपने किसानों का हित उसके लिए सर्वोपरि है. अमेरिकी टैरिफ की बड़ी वजह यह भी है कि अमेरिका अपने लोगों का हित सुरक्षित करना चाहता है. अमेरिका भारत से आयात अधिक और निर्यात कम करता है. ट्रंप आयात-निर्यात के इस असंतुलन को ठीक करना चाहता है. इसी कोशिश में वह टैरिफ लगा रहा है. भारत से आयातित वस्तुएं जिनमें स्टील, एल्युमिनियम, टेक्सटाइल, दवाईयां और ऑटो पार्ट्स शामिल हैं, वे वहां सस्ती बिकते हैं जिससे वहां के स्थानीय कंपनियों को चुनौती मिलती है. ट्रंप इस स्थिति को बदलना चाहते हैं और अपने देश के हितों की रक्षा करना चाहते हैं. इतना ही नहीं अमेरिका यह भी चाहता है कि भारत अमेजन और वाॅलमार्ट जैसी कंपनियों पर से सभी प्रतिबंध हटा दे, ताकि उन्हें खुला बाजार मिल सके. अभी सरकार ने इन कंपनियों पर कई प्रतिबंध लगाकर रखें हैं, ताकि छोटे दुकानदारों को बचाया जा सके. साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर धनंजय त्रिपाठी का कहना है कि अमेरिका जो कुछ कर रहा है उसके पीछे तीन बड़ी वजह है-
- भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र में प्रवेश के लिए
- रूस पर दबाव बनाने के लिए
- ट्रंप का ईगो हर्ट है
ट्रंप के टैरिफ का भारत पर प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह का टैरिफ भारत पर लगाया है, बेशक उसके प्रभाव पड़ेंगे. भारत से अमेरिका लगभग 87 बिलियन डाॅलर का आयात करता है. अब जबकि टैरिफ में इतनी वृद्धि हुई है तो निश्चित तौर पर आयात पर असर पड़ेगा. 25% के टैरिफ से पहले अमेरिका, भारत पर 0-5% तक टैरिफ लगाता था. टैरिफ बढ़ने से भारत से अमेरिका जाने वाले सामानों की कीमत बढ़ जाएगी जिसकी वजह से अमेरिका में उनकी मांग घट सकती है. यह भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ा झटका होगा. खासकर स्टील, फार्मा, टेक्सटाइल, ज्वेलरी के उत्पादों में यह असर साफ दिखेगा. परिणाम यह होगा कि भारत की निर्यात आय घटेगी और लाखों नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं. एमएसएमई सेक्टर में बड़ा असर दिखेगा, छोटे और मध्यम उद्यम जो अमेरिका को निर्यात करते हैं, उनके सामने अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती आ सकती है, क्योंकि उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान होगा. भारत का निर्यात घटेगा तो विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ सकता है, जो बड़ी चुनौती होगी. प्रोफेसर धनंजय त्रिपाठी बताते हैं कि बेशक टैरिफ की वजह से भारत का आयात प्रभावित होगा. इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा, लेकिन जो ट्रंप चाहते हैं यानी कृषि और डेयरी क्षेत्र को उनके लिए खोलना, उसके नुकसान से यह नुकसान कम है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जिस अंदाज में भारत के लिए बयानबाजी कर रहे हैं और टैरिफ लगा रहे हैं उससे भारत और अमेरिका के पीपुल टू पीपुल रिलेशन पर भी काफी असर होगा, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे. ट्रंप का भारत को डेड इकोनाॅमी बताना 25% और फिर 50 टैरिफ की धमकी देना दोनों देशों के सुधरते संबंधों को खराब कर देगा. शीत युद्ध के बाद से दोनों देशों ने अपने संबंधों को सुधारने की कोशिश की और इस स्थिति में पहुंचे हैं कि ट्रंप और मोदी एक दूसरे को अपना मित्र बताते हैं,लेकिन अमेरिका का अगर यही रवैया रहा तो दोनों देशों के संबंध एक बार फिर बिगड़ सकते हैं.
| क्रमांक | श्रेणी | विवरण |
|---|---|---|
| 1 | रत्न और आभूषण (Jewelry) | हीरे, सोने-चांदी के गहने, कीमती पत्थर आदि |
| 2 | दवाएं (Pharmaceuticals) | जेनेरिक दवाएं, एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट (API) आदि |
| 3 | परिधान और वस्त्र (Textiles & Apparel) | तैयार परिधान, होम टेक्सटाइल्स, कॉटन उत्पाद आदि |
| 4 | ऑर्गेनिक रसायन (Organic Chemicals) | रासायनिक यौगिक, डाई इंटरमीडिएट्स आदि |
| 5 | इंजीनियरिंग वस्तुएँ (Engineering Goods) | ऑटो पार्ट्स, मशीनरी, औद्योगिक उपकरण आदि |
| 6 | आईटी और बिज़नेस सेवाएँ (Services) | सॉफ्टवेयर सेवाएं, बीपीओ, तकनीकी सहायता, कस्टमर सपोर्ट आदि |
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भारत के पास क्या हैं विकल्प
अमेरिकी टैरिफ के बाद भारत यह कोशिश कर सकता है कि वह अमेरिका पर निर्भरता कम कर दे, इसके लिए यूरोपीय संघ, यूके, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका जैसे देशों से Free Trade Agreements का विकल्प भारत के पास मौजूद है. इससे नए बाजार मिलेंगे और निर्यातकों को नया रास्ता मिल जाएगा. MSME सेक्टर को घाटे से बचाने के लिए सरकार लोन और टैक्स छूट का रास्ता भी चुन सकता है. भारत को चाहिए कि वह रुपया-युआन, रुपया-दिरहम, रुपया-रियाल जैसे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाए, ताकि अमेरिका का दबाव कम हो. प्रोफेसर धनंजय त्रिपाठी कहते हैं कि भारत को सबसे पहले तो अमेरिका के दबाव में नहीं आना चाहिए. साथ ही अमेरिका को यह भी मैसेज देना चाहिए कि भारत पर उनके टैरिफ का कोई असर नहीं पड़ेगा, कम से कम राजनीतिक रूप से तो उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए. जैसा कि आज प्रधानमंत्री ने बयान दिया है वह भारत के रुख को स्पष्ट करता है. भारत और अमेरिका के बीच बातचीत का रास्ता तो खुला है ही, किसी भी समस्या के समाधान के लिए बातचीत जरूरी है, जो भारत कर सकता है. ट्रंप बयानवीर हैं, लेकिन उन्हें भी पता है कि भारत से ज्यादा दिनों तक संबंध खराब नहीं किए जा सकते हैं, इसलिए परिस्थितियां बदलेंगी इसमें कोई दो राय नहीं है. लेकिन अभी भी स्थिति में भारत को कतई दबाव में नहीं आना चाहिए.
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