ढपोर शंख हैं असीम मुनीर, डींग हांकने के लिए बनाया गया है फील्ड मार्शल, ये है भारत कनेक्शन
Asim Munir : पाकिस्तानी सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ असीम मुनीर एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो यह चाहते हैं कि पाकिस्तान के इतिहास में उनका नाम इस तरह दर्ज हो जैसा किसी का ना हुआ हो. बस इसी चाहत में वे बिना किसी उपलब्धि के फील्ड मार्शल बन गए हैं, इस फैसले को मंजूरी देना सरकार की मजबूरी भी है, क्योंकि पाकिस्तान में सेना, सरकार पर हावी है. तो यह समझने की जरूरत है कि मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि दी नहीं गई है, बल्कि उन्होंने इस तमगे को उठाकर अपनी वर्दी पर सजा लिया है.
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Asim Munir : भारत-पाकिस्तान के बीच पहलगाम हमले की घटना के बाद से तनाव व्याप्त है और इन सबके बीच एक नाम सबकी जुबान पर है वो है असीम मुनीर. असीम मुनीर पाकिस्तानी सेना का अध्यक्ष है भारत विरोधी बयान देने के लिए चर्चित रहने वाला व्यक्ति भी है. भारत के ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद असीम मुनीर बौखला गया और यह दावा करने लगा कि उसने भारत को गहरी चोट दी है. हालांकि सच्चाई से पूरी दुनिया परिचित थी कि किस तरह भारत ने मुनीर और उसके देश को उसके घर में घुसकर मारा, लेकिन पाकिस्तान कुछ भी नहीं कर पाया. भारत से बुरी तरह शिकस्त खाने के बाद भी पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोशन दिया गया है. आखिर क्यों भारत से बुरी तरह मुंह की खाने के बाद भी मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया गया है. इसके पीछे की वजह क्या है?
असीम मुनीर की महत्वाकांक्षा ने उन्हें बनाया फील्ड मार्शल
असीम मुनीर से पहले पाकिस्तान के इतिहास में पूर्व सेनाध्यक्ष अयूब खान को फील्ड मार्शल की उपाधि मिली थी. 1959 में अयूब खान पाकिस्तान के पहले फील्ड मार्शल बने थे. असीम मुनीर खुद को उसी श्रेणी के शासकों में शामिल करना चाहते हैं. वे सिर्फ सेनाध्यक्ष बनकर नहीं रहना चाहते हैं उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा भी है. यही वजह है कि उन्होंने फील्ड मार्शल की उपाधि ग्रहण की है. वैसे तो यह पद सिर्फ एक मानध उपाधि ही है, पाकिस्तानी सेना का सर्वोच्च पद चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ही है.
भारत से मिली हार के जख्मों को फील्ड मार्शल की उपाधि से ढंकने की कोशिश
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की पूरे विश्व में किरकिरी हुई है. उनके डिफेंस सिस्टम को भारत ने जिस तरह बेकार करके ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, उससे यह बात फैल गई कि पाकिस्तानी सेना, भारतीय सेना के सामने कहीं टिकती नहीं है. इससे पाकिस्तानी सेना का मनोबल टूटा और वे असहाय महसूस करने लगे. इस स्थिति को बदलने के लिए असीम मुनीर ने कई बेतुके बयान दिए, जिसमें कहा गया कि उन्होंने भारतीय राफेल को मारकर गिरा दिया. भारतीय सेना को मजबूर कर दिया और वे यह भी कह रहे हैं कि उन्होंने जीत दर्ज की है. मुनीर के इसी ढपोर शंखी (ढपोर शंख उस शंख को कहा जात है, जो बजता नहीं है, इस मुहावरे का अर्थ है बड़ी-बड़ी बातें करना) बयानों को सच साबित करने और सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए मुनीर ने फील्ड मार्शल की उपाधि ग्रहण की है.
कट्टरपंथी हैं असीम मुनीर
पाकिस्तान के फील्ड मार्शल बने असीम मुनीर का पूरा नाम सैयद असीम मुनीर अहमद शाह है. वे एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार के हैं, जिन्हें कट्टरपंथी माना जाता है. पाकिस्तान में मुनीर के परिवार को हाफिज कहा जाता है, जिन्हें कुरान कंठस्थ है. असीम मुनीर एकमात्र ऐसे सेनाध्यक्ष हैं, जिन्हें कुरान कंठस्थ है. मुनीर की नीतियां भारत विरोधी हैं. वे यह कहते रहते हैं कि भारत ने पाकिस्तान के साथ सामंजस्य नहीं बैठाया इसलिए हम भी उनके साथ सामंजस्य नहीं बैठाएंगे. मुनीर ने जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान की गले की नस बताते हुए हमेशा यह कहा है कि वह पाकिस्तान में शामिल होगा. मुनीर अफगानिस्तान के खिलाफ भी सोच रखते हैं.
असीम मुनीर के पूर्वज भारत से गए थे पाकिस्तान
असीम मुनीर का परिवार उन लोगों में शामिल है, जिन्होंने 1947 में भारत के विभाजन का समर्थन किया और पाकिस्तान चले गए. मुनीर का परिवार भी दो राष्ट्र के सिद्धांत का समर्थक था और यह मानता था कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं रह सकते हैं. मुनीर का परिवार भारत के जालंधर में रहता था और विभाजन के समय वे पाकिस्तान चले गए थे. अपने माता-पिता की तरह ही असीम मुनीर दो राष्ट्र के सिद्धांत का समर्थक है. उसने कई बार हिंदू विरोधी बयान दिए हैं और हमेशा यह माना है कि हिंदू और मुसलमान एक राष्ट्र में साथ नहीं रह सकते हैं.
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