क्या भारत में आ सकता है अफगानिस्तान जैसा या उससे भी खतरनाक भूकंप?  बिग वन ड्‌यू के दावे का सच जानिए

Afghanistan Earthquake : अफगानिस्तान के भूकंप में धरती इस कदर हिली कि 800 लोगों को लील गई. इस घटना ने एक बार फिर वैज्ञानिकों के उस दावे की याद करा दी है, जिसमें यह कहा गया है कि भारत के हिमालयी क्षेत्रों में एक बड़ा भूकंप आना है, जिसे ‘बिग वन ड्‌यू’ बताया जा रहा है. दरअसल हिमालय का क्षेत्र लगभग 2,500 किमी लंबा क्षेत्र है. इस क्षेत्र में काफी लंबे समय से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है जबकि भूकंप के लिए जिम्मेदार भूवैज्ञानिक घटनाएं लगातार हो रही हैं. इसी वजह से वैज्ञानिक यह कह रहे हैं कि भारत में बड़ा भूकंप आ सकता है, लेकिन वह कब आएगा इसकी जानकारी किसी को नहीं है.

By Rajneesh Anand | September 2, 2025 2:19 PM

Afghanistan Earthquake : सोमवार को अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत नांगरहार में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें अबतक 800 से अधिक लोगों की मौत हुई है और  2500 के करीब लोग घायल हैं. यह अधिकारिक जानकारी है. भूकंप की वजह से यहां सैकड़ों मकान ध्वस्त हो गए और यहां काफी बर्बादी भी हुई है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि भूकंप का केंद्र जिसे Depth of hypocenter कहते हैं वह जमीन की ऊपर सतह के काफी करीब था. जानकारी के अनुसार इस भूकंप का केंद्र जमीन से महज 8–10 किलोमीटर ही अंदर था, जिसकी वजह से जब भूकंप की ऊर्जा सीधे सतह तक पहुंच गई और बड़ा नुकसान हुआ. आइए समझते हैं कि अफगानिस्तान में आया भूकंप इतना खतरनाक क्यों था और क्या इस तरह का भूकंप भारत में भी आ सकता है?

अफगानिस्तान का भूकंप क्यों था इतना खतरनाक

अफगानिस्तान का भयंकर भूकंप

अफगानिस्तान में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.0 थी, यानी यह भूकंप का मजबूत झटका था. इस तरह के झटकों में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अगर निर्माण भूकंपरोधी ना हो और कच्चा निर्माण हो तो बड़े नुकसान की पूरी आशंका है. अफगानिस्तान के जलालाबाद में यही हुआ. इस क्षेत्र में  आबादी बहुत घनी है और कच्चे मकान हैं. दूसरी जो सबसे बड़ी वजह है, इतने बड़े नुकसान की वो है– भूकंप का केंद्र जमीन की सतह से मात्र 8–10 किलोमीटर अंदर होना. भूकंप का केंद्र अगर सतह से 0–70 किलोमीटर नीचे हो तो नुकसान की आशंका सबसे अधिक होती है. भूकंपविज्ञानी (Seismologist) यह मानते हैं कि 0–70 किलोमीटर  की गहराई तक अगर भूकंप का केंद्र हो, तो भूकंप के झटके सीधे सतह तक पहुंच जाते हैं और ऊर्जा कम दूरी में फैलती है. इस तरह की भूकंप का सबसे बड़ा उदाहरण 2015 में आया नेपाल का भूकंप था, जहां भूकंप का केंद्र महज 15 किलोमीटर की गहराई पर था. तीसरी जो सबसे बड़ी वजह अफगानिस्तान के भूकंप में जान और माल के नुकसान की बनी है, वो है रात का समय. रात होने की वजह से अधिकतर लोग घरों में थे और सो रहे थे.

किस तरह के भूकंप को माना जाता है सबसे खतरनाक

तीव्रता (Magnitude)कैसा भूकंप माना जाता हैसामान्य प्रभाव
2.0 तकमाइक्रोलोग महसूस नहीं करते, सिर्फ यंत्र पकड़ते हैं
2.0 – 3.9छोटा (Minor)हल्के झटके, नुकसान नहीं
4.0 – 4.9हल्का (Light)बर्तन हिल सकते हैं, खिड़कियां- दरवाजे बज सकते हैं, हल्का नुकसान संभव
5.0 – 5.9मध्यम (Moderate)इमारतों में दरारें, कमजोर ढांचे गिर सकते हैं
6.0 – 6.9मजबूत (Strong)घनी आबादी वाले या कमजोर निर्माण वाले क्षेत्र में गंभीर नुकसान
7.0 – 7.9बड़ा (Major)बड़े पैमाने पर तबाही, कई इमारतें ढह सकती हैं
8.0 और उससे ऊपरबहुत बड़ा (Great)क्षेत्रीय स्तर पर विनाशकारी असर, सैकड़ों-हजारों मौत संभव

भूकंप की तीव्रता अगर रिक्टर स्केल पर 8 या उससे अधिक हो तो उसे बहुत बड़ा भूकंप माना जाता है. उससे भूकंप तीव्रता का भूकंप यानी 7 से 7.9 तक का भूकंप भी बड़ा और खतरनाक ही माना जाता है और इसमें भी नुकसान की आशंक बहुत अधिक होती है. 6 से 6.9 तीव्रता वाला भूकंप भी मजबूत भूकंप ही माना जाता है और इसमें भी अगर आबादी घनी हो तो नुकसान बहुत होता है. 5 से 5.9 तक की तीव्रता के भूकंप को मध्यम श्रेणी का भूकंप माना जाता है जिसमें कमजोर निर्माण को हानि होती है, मकानों में दरारें पड़ सकती हैं. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2 से मानी जाती है. जब 2 तीव्रता क भूकंप आता है, तो जमीन की सतह पर उसका पता नहीं चलता है, इसे महसूस नहीं किया जा सकता है, केवल भूकंप मापने वाले यंत्र ही इसका पता कर पाते हैं.

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भूकंप की गहराई सतह से 30 किलोमीटर तक होना खतरनाक

भूकंप की गहराई (किमी)श्रेणीनुकसान की संभावना
0 – 30 किमीउथला (Shallow)बहुत ज्यादा (सबसे खतरनाक)
30 – 70 किमीमध्यम (Intermediate)मध्यम स्तर का नुकसान
70 – 300 किमीगहरा (Deep)कम नुकसान
300 किमी से अधिकबहुत गहरा (Very Deep)बहुत कम या न के बराबर नुकसान

भूकंप का केंद्र Depth of hypocenter  अगर जमीन से 0–30 तक हो, तो यह एक गंभीर और खतरनाक भूकंप का कारण बनता है, जो जानमाल को बड़ा नुकसान पहुंचाने वाले होते हैं. इसे उथला भूकंप या (Shallow-focus Earthquake) कहते हैं.  भूकंपविज्ञानियों के अनुसार अगर  भूकंप का केंद्र सतह से 0–70 किलामीटर के अंदर हो तो नुकसान सबसे ज्यादा होता है. वहीं अगर भूकंप 300–700 किलोमीटर के अंदर हों, तो नुकसान सबसे कम होता है. ये झटके दूर-दराज तक महसूस तो होते हैं, लेकिन ज्यादा तबाही नहीं कर पाते हैं.

क्या भारत में आ सकता है अफगानिस्तान जैसा बड़ा भूकंप?

क्या भारत को भी उस तरह के भूकंप का सामना करना पड़ सकता है, जैसा भूकंप अफगानिस्तान में आया है?  यह सवाल प्रासंगिक इसलिए है क्योंकि भारत में अकसर भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं. इस संबंध में जानकारी देते हुए जियोलॉजिस्ट नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि भारत सिस्मिक जोन में आता है, यानी यहां बड़े भूकंप की आशंका है. उन्होंने बताया कि भारत का हिमालयी क्षेत्र जिसमें उत्तर पूर्व के राज्य सहित गुजरात तक का हिस्सा आता है, यहां बड़े भूकंप की गंभीर आशंका है. इसकी वजह यह है कि धरती लगातार हिमालय की ओर खिसक रही है. पृथ्वी की सतह कई बड़े-बड़े टुकड़ों (प्लेट्स) में बंटी है. भारत की प्लेट को भारतीय प्लेट (Indian Plate) कहते हैं, और इसके उत्तर में है यूरेशियन प्लेट (Eurasian Plate). भारतीय प्लेट हर साल लगभग 5 सेंटीमीटर उत्तर की ओर बढ़ रही है. यह यूरेशियन प्लेट से लगातार टकरा रही है, जिसकी वजह से हिमालयी क्षेत्रों में लगातार ऊर्जा जमा हो रही है. जिस भी दिन इस ऊर्जा का विस्फोट होगा, उस दिन हिमालयी क्षेत्रों में बड़ा भूकंप आएगा. इसी वजह से यह कहा जा रहा है कि हिमालयी क्षेत्रों में यानी हमारे भारत के उत्तरपूर्व के राज्यों सहित, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू–कश्मीर और उत्तराखंड जैसे राज्यों में बड़ा भूकंप आने की आशंका है. संभवत: इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7 या उससे भी अधिक हो सकती है. 

हिमालयी क्षेत्र में लगातार हो रहा है परिवर्तन

प्लेट्‌स की टक्कर की वजह से हिमालयी क्षेत्र में लगातार परिवर्तन हो रहा है. हिमालय पर्वत का निर्माण भी इसी तरह की प्रक्रिया की वजह से हुआ है. नीतीश प्रियदर्शी बताते हैं कि हिमालयी क्षेत्रों में अभी परिवर्तन होना रूका नहीं है, वो जारी है. जैसे कि जब हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ, उस वक्त दक्षिण भारत के इलाकों में काफी तीव्र भूकंप आए, लेकिन अब यह क्षेत्र सिस्मक जोन के डेंजर जोन से निकल चुका है. लेकिन हिमालय का पूरा क्षेत्र अभी डेंजर जोन में है. पिछले कुछ समय से वहां जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं, जैसे भूस्खलन, बादल फटना और अन्य घटनाएं वह यह साबित करती हैं कि हिमालय क्षेत्र में परिवर्तन जारी है. इस वजह से बंगाल का गंगा सागर इलाका काफी खतरनाक जोन में आ गया है, क्योंकि यहां नदियां अपने साथ जो गाद और बालू लेकर आ रही हैं वो लिक्विफैक्शन को बढ़ा रहा है. यहां गंगा नदी काफी रेत और गाद लेकर आ रही हैं. जब जमीन में बहुत ज्यादा रेत और पानी जमा हो जाता है तो तेज भूकंप के झटकों में रेत-पानी का मिश्रण कीचड़ जैसा तरल बन सकता है और मकानों और अन्य निर्माण के धंसने की बड़ी वजह बनता है.

भारत के भूकंप जोन (Seismic Zones of India)

  • Zone V (सबसे खतरनाक): जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर-पूर्वी राज्य, अंडमान-निकोबार द्वीप.
  • Zone IV (उच्च जोखिम): दिल्ली-एनसीआर, बिहार, पश्चिम बंगाल का उत्तरी भाग, गुजरात का कुछ हिस्सा.
  • Zone III (मध्यम जोखिम): महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश आदि.
  • Zone II (कम जोखिम): दक्षिण का कुछ हिस्सा.

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