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उभरता इस्लामिक स्टेट

कई वर्षों के युद्ध व आतंक से तबाह हो चुके अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट का उभार दुनिया, खासकर दक्षिण एशिया, के लिए बड़ी चिंता का कारण है.

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के एक गुरुद्वारे में हुए भयावह आतंकी हमले ने उन आशंकाओं को फिर सही साबित किया है, जिनमें कहा जाता रहा है कि इस्लामिक स्टेट नये सिरे से अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहा है. इस हमले में कम से कम 25 लोगों के मारे जाने और 200 लोगों के इमारत के अंदर फंसे होने की खबरें आ रही हैं. विभिन्न देशों में सक्रिय इस आतंकी गिरोह ने आज ही मोजाम्बिक में भी अनेक हमलों का अंजाम दिया है. रिपोर्टों में कहा गया है कि कई जानें गयी हैं और विस्फोटों से भारी नुकसान हुआ है. साल 2019 के शुरू में सीरिया में इस समूह के आखिरी ठिकानों को खत्म कर दिया गया था और बड़ी तादाद में आतंकवादियों को पकड़ा गया था.

बाद में इसका सरगना अबु बकर बगदादी भी मारा गया था. लेकिन आज भी सीरिया और इराक के कुछ प्रांतों के ग्रामीण इलाकों में इस्लामिक स्टेट के लड़ाके मौजूद हैं, भले ही वे बहुत हद तक निष्क्रिय हैं. जानकारों का मानना है कि अभी भी इस्लामिक स्टेट के पास 14 से 18 हजार लड़ाके हैं, जिनमें तीन हजार विदेशी हैं. जब यह संगठन इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर काबिज था, तब एशिया और अफ्रीका के अनेक देशों के कई आतंकी समूहों ने बगदादी को अपना खलीफा माना था और अपने गिरोहों को इस्लामिक स्टेट के साथ संबद्ध कर दिया था.

उस समय यूरोप में भी यह समूह अपनी पहुंच बनाने में कामयाब रहा था. पहले के संपर्कों और बाद में मध्य-पूर्व में हारते हुए इसके कुछ लड़ाकों के अफगानिस्तान पहुंचने की वजह से उसकी मौजूदगी को आधार मिला है. कई वर्षों के युद्ध व आतंक से तबाह हो चुके इस देश में इस्लामिक स्टेट का उभार दुनिया, खासकर दक्षिण एशिया, के लिए बड़ी चिंता का कारण है. बहुत समय नहीं बीता है, जब कश्मीर में कुछ आतंकियों ने इस्लामिक स्टेट से अपने को जोड़ने की घोषणा की थी. मोजाम्बिक के आज के हमलों और बुर्किना फासो की वारदातों को काबुल की खौफनाक घटना से अलग कर नहीं देखा जाना चाहिए.

कुछ दिन पहले बुर्किना फासो में अनेक हमले हुए हैं. पिछले साल वहां करीब दो हजार लोग मारे गये थे और अभी पांच लाख से अधिक लोग देश के भीतर ही शरणार्थी बने हुए हैं. आस-पड़ोस के कुछ देशों में भी इस संगठन का असर बढ़ रहा है. याद रहे, अल-कायदा के बड़े ठिकाने अफ्रीकी देशों में थे. मध्य-पूर्व, अफ्रीका और अफगानिस्तान में सक्रिय रहे बहुत आतंकी इस्लामिक स्टेट में शामिल होते रहे हैं. अफगानिस्तान में तालिबान पहले से ही हमारे लिए चिंता और आशंका का बड़ा कारण है. ऐसे में इस्लामिक स्टेट बड़ी चुनौती बन सकता है. समूची दुनिया, खासकर बड़े देशों, को मिलकर इसे रोकने की तुरंत पहलकदमी करनी चाहिए, अन्यथा एक बार फिर अलग-अलग देशों में हिंसा और आतंक का भयानक दौर देखना पड़ेगा.

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