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वायु प्रदूषण की चुनौती

लगातार प्रदूषित हवा में सांस लेने से बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग अधिक प्रभावित होते हैं. कामकाजी आबादी की क्षमता भी कम होती है.

यह बेहद चिंताजनक है कि दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित 50 शहरों में 39 भारत में हैं. इस आंकड़े को विस्तार दें, तो सर्वाधिक प्रदूषित 10 शहरों में छह, 20 में 14 और 100 में 65 शहर हमारे देश के हैं. सबसे अधिक प्रदूषित देशों की सूची में भारत आठवें स्थान पर है. स्विट्जरलैंड की संस्था आईक्यूएयर द्वारा जारी इस अध्ययन में प्रदूषण की रोकथाम के उपायों के असर में भी विषमता दिखती है. एक ओर 31 भारतीय शहरों में प्रदूषण स्तर में उल्लेखनीय गिरावट आयी है, पर 38 शहरों में बीते वर्षों के औसत की तुलना में प्रदूषण बढ़ गया है.

अधिक आबादी वाले और औद्योगिक शहरों में अधिक प्रदूषण होने को समझा जा सकता है, किंतु चौंकाने वाली बात यह है कि विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित 20 शहरों में से पांच बिहार में हैं- दरभंगा, असोपुर, पटना, छपरा और मुजफ्फरपुर. बार-बार चर्चा में आने तथा उपायों के दावों के बावजूद देश की राजधानी दिल्ली भी अत्यधिक प्रदूषित बनी हुई है. यह ताजा रिपोर्ट अन्य अध्ययनों के निष्कर्षों के अनुरूप ही है. इस रिपोर्ट का आधार हवा में पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा है.

इस संबंध में यह उल्लेख जरूरी है कि दो प्रदूषक तत्वों के मिश्रण से अब ओजोन प्रदूषण भी बढ़ने लगा है. दूसरे अध्ययनों के आलोक में देखें, तो जिन जगहों या इलाकों में हवा जहरीली होती जा रही है, वहां नदियों और जलाशयों में भी प्रदूषण है. हमारे शहरों की एक बड़ी समस्या समुचित कचरा प्रबंधन का न होना भी है. एक ओर शहरों की बढ़ती आबादी से उपलब्ध संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है, वहीं निर्माण कार्यों में भी तेजी आ रही है.

भले ही वाहनों को मानकों के अनुसार बनाने और प्रदूषण जांच के बाद ही उन्हें चलाने के नियमों का असर तो पड़ता है, लेकिन वाहनों की बढ़ती संख्या से ऐसे उपाय कारगर नहीं रह जाते. लगातार प्रदूषित हवा में सांस लेने से बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग अधिक प्रभावित होते हैं. कामकाजी आबादी की क्षमता भी कम होती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण से भारत का आर्थिक नुकसान 150 अरब डॉलर है.

दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषण की समस्या दक्षिण एशिया में हैं, जहां जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत सबसे बड़ा देश है. यदि हमें अपनी आबादी को स्वस्थ रखना है और असमय होने वाली हजारों मौतों को रोकना है, तो प्रदूषण की रोकथाम को आंदोलन में बदलना होगा. सरकार द्वारा चलाये जा रहे स्वच्छता संबंधी कार्यक्रम तथा प्रदूषण निगरानी की व्यवस्था स्वागतयोग्य है, लेकिन हर नागरिक को प्रदूषण नियंत्रित करने में योगदान करना होगा.

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